New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 15 जनवरी, 2018 04:47 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
  @arvind.mishra.505523
  • Total Shares

गुजरात के विधानसभा चुनाव में मिली आशातीत सफलता के बाद राहुल गांधी अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी के दो दिनों के दौरे पर हैं. यह उनके पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद पहला दौरा है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अचानक अमेठी का दौरा सोची- समझी रणनीति के तहत किया गया है. राहुल गांधी का फोकस अब अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर है क्योंकि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज़्यादा 80 सीटें हैं और पिछले लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस को मात्र 2 पारम्परिक सीटें, अमेठी और रायबरेली पर ही संतोष करना पड़ा था. रायबरेली को सोनिया गांधी और अमेठी को राहुल गांधी लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. अब क्योंकि राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं तो प्रधानमंत्री के उम्मीदवार भी हो सकते हैं. ऐसे में वो अपनी ज़िम्मेवारी भी समझते हैं और इसी क्रम में उत्तर प्रदेश पर ध्यान देना शुरू कर दिया है.

राहुल गांधी, अमेठी, उत्तर प्रदेश, कांग्रेस

गुजरात की तरह सॉफ्ट हिंदुत्व जारी

जिस तरह से हाल में सम्पन्न हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी ने 'सॉफ्ट हिंदुत्व' अपनाया यानि मंदिर दर्शन करते रहे और उसका परिणाम भी अच्छा आया ठीक उसी तरह उत्तर प्रदेश में भी जारी रखने के सन्देश आ रहे हैं. खबर है कि पार्टी को मजबूत करने के लिए राहुल गांधी अमेठी से वर्ष के पहले हिन्दू त्यौहार मकर संक्रांति पर खिचड़ी भोज करेंगे, क्योंकि मकर संक्रांति के बाद खिचड़ी खाने का पूर्वांचल में खासा महत्व है. कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में खस्ता हालत

पिछले साल मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक साथ चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस 403 में से मात्र 7 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस के लिए हालात इतने खराब हुए कि पार्टी को अपने अभेद किले अमेठी और रायबरेली में भी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा और पार्टी को दोनों जिलों की 10 में से केवल 2 पर ही जीत हासिल हुई. पार्टी अमेठी की चार में से सभी विधानसभा सीटें हार गई. उससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे 80 में से केवल 2 सीटें ही हासिल हुई थीं. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी जीतने में कामयाब रहे थे, लेकिन भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी से कड़ी चुनौती मिली थी.

इस बार कांग्रेस को कड़ी टक्कर

पिछले साल विधानसभा चुनावों में 'उत्तर प्रदेश के लड़के' - अखिलेश यादव और राहुल गांधी - साथ-साथ चुनाव लड़े थे, लेकिन इस बार यानी लोकसभा चुनावों में अखिलेश यादव पहले ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को आगे न ले जाने का मन बना चुके हैं. शायद अखिलेश यादव को कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने का खामियाज़ा भुगतना पड़ा था, जब उसे 47 सीटों पर ही कामयाबी हासिल हुई थी. मायावती भी अकेले ही चुनाव लड़ने के मूड में हैं. ऐसे में राहुल गांधी के लिए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली मज़बूत भाजपा से मुक़ाबला करना मुश्किल तो होगा ही, और तो और हो सकता है कि केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी में उनके ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में फिर से कूदें, क्योंकि वो बीच-बीच में अमेठी का दौरा करने से नहीं चूकतीं.

अमेठी कांग्रेस का गढ़ रहा है

गांधी परिवार और अमेठी का रिश्ता काफी पुराना रहा है. 1980 में पहली बार इस लोकसभा सीट से संजय गांधी ने जीत हासिल की थी और तब से कांग्रेस की जीत का सिलसिला जारी है. यहां से राजीव गांधी और सोनिया गांधी भी जीत चुकी हैं और 2004 से लगातार राहुल गांधी अमेठी का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. अपवाद स्वरूप 1998 को छोड़कर, जब भाजपा से संजय सिंह चुनाव जीते थे, अब तक सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी ही यहां से चुनाव जीतती आई है.

जब कांग्रेस के नव निर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव तैयारियों के मद्देनज़र अपने इस अमेठी दौरे से भाजपा के खिलाफ इस साल की सबसे बड़ी चाल चली है तो ऐसे में आने वाला वक़्त ही इसका सही जवाब दे पाएगा कि आखिर राहुल गांधी इसमें कितना कामयाब हो पाएंगे.

ये भी पढ़ें-

अध्यक्ष बनने के बाद कर्नाटक का किला बचाना राहुल गांधी के लिए पहली अग्नि परीक्षा !

अब विपक्ष चुप रहे! पीएम मोदी का सूट-बूट कहां से आता है इसका जवाब मिल गया है...

ये वीडियो देखकर खुद फैसला कीजिए कि कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी का कितना सम्मान करती है?

लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय