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Updated: 06 अगस्त, 2022 03:29 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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जस्टिस यूयू ललित सुर्ख़ियों में हैं. कारण हैं सीजेआई एनवी रमना द्वारा केंद्रीय कानून मंत्रालय के सामने भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए यूयू ललित का नाम प्रस्तावित करना. चूंकि जस्टिस यूयू ललित नवंबर 2022 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इसलिए वो मात्र 74 दिनों या कहें कि ढाई महीने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी को संभालेंगे. हो सकता है कि सिर्फ 74 दिनों के लिए जस्टिस यूयू ललित के भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की खबर से आप चौंक उठें और हैरत में पड़ जाएं. इसलिए ये बताना बहुत जरूरी है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब कोई इतने कम समय के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा है. बतौर सीजेआई अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल जस्टिस कमल नारायण सिंह का था जिन्होंने 1991 में महज 17 दिनों के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया था. ज्ञात हो कि जस्टिस यूयू ललित के बाद अगले दो सालों तक जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ सीजेआई रहेंगे.

UU Lalit, CJI, Supreme Court, India, Judge, verdict, Ayodhya, Triple Talaq, Narendra Modiमाना जा रहा है कि अपने 74 दिन के कार्यकाल में जस्टिस यूयू ललित कुछ न कुछ इतिहास जरूर रचेंगे

जस्टिस यूयू ललित भारत के ऐसे दूसरे सीजेआई होंगे जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया जाएगा. जस्टिस एसएम सीकरी, जो जनवरी 1971 में 13वें CJI बने, मार्च 1964 में सीधे शीर्ष अदालत की बेंच में पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे.

तो कैसा रहा जस्टिस यूयू ललित का अब तक का सफर

जस्टिस यूयू ललित ने दिल्ली जाने से पहले 1983 से 1985 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील के रूप में प्रैक्टिस की. उन्हें अगस्त 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. बताते चलें कि बार द्वारा सुप्रीम कोर्ट  के न्यायाधीश के रूप में सिफारिश किए जाने से पहले, ललित ने सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक के रूप में 2जी मामलों में सुनवाई की थी. जिक्र अगर यूयू ललित की उपलब्धियों का हो तो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, ललित की ऐतिहासिक सुनवाइयों में  तीन तलाक का मामला शामिल था. ललित पांच-न्यायाधीशों की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने 2017 में 3-2 के बहुमत से फैसला सुनाया कि यह प्रथा अवैध और असंवैधानिक थी.

उन्होंने अयोध्या की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया क्योंकि वह बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित एक मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए पेश हुए थे. पिछले साल यानी 2021 में , जस्टिस ललित की अगुवाई वाली पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के विवादास्पद 'स्किन टू स्किन' के फैसले को उलट दिया था. शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि पॉक्सो अधिनियम के तहत किसी बच्चे के शरीर के निजी अंगों को छूना, या शारीरिक संपर्क से जुड़े किसी भी कार्य को "यौन इरादे" से  करना 'सेक्सुअल असॉल्ट' माना जाएगा.

इस साल जुलाई में, न्यायमूर्ति ललित के नेतृत्व वाली पीठ ने अदालत की अवमानना के एक मामले में विजय माल्या को चार महीने जेल की सजा सुनाई थी. इसके अलावा जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने त्रावणकोर के परिवार और श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर जो सबसे अमीर मंदिरों में से एक है, पर भी एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था.

जस्टिस यूयू ललित उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने भ्रष्ट चुनावी प्रथाओं और एससी/एसटी अधिनियम के दुरुपयोग का भी निपटारा किया था. जस्टिस  ललित राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, और जिन्होंने हमेशा प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बल दिया है.

महज 74 दिन के अपने कार्यकाल में, जस्टिस यूयू ललित भारत का मुख्य न्यायाधीश बनकर क्या इतिहास रचते हैं?  इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन जैसा उनका रिकॉर्ड है माना यही जा रहा है कि ढाई महीनों में यूयू ललित ऐसा बहुत कुछ करेंगे जिसके लिए उन्हें देश याद रखेगा. 

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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