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Updated: 08 दिसम्बर, 2021 03:53 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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पश्चिम बंगाल में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम को हराकर जीत हासिल करने के बाद तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी का सारा ध्यान 'मिशन 2024' पर लग गया है. भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी पार्टियों के गठबंधन का चेहरा बनने के लिए ममता बनर्जी खासी आतुर दिखाई दे रही हैं. ममता बनर्जी की इस कोशिश में उन्हें कई सियासी दलों का साथ भी मिल रहा है. वहीं, ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल से बाहर पार्टी के विस्तार के लिए कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करने का अभियान भी तेज कर दिया है. 2024 में अभी काफी समय बाकी हैं, तो ममता बनर्जी ने हर तरीके की तैयारी शुरू कर दी है. राजनीति में नेताओं की साफ-सुथरी इमेज चुनावी हवा का रुख बदलने में बहुत काम आती है. तो, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी लगातार अपनी इमेज को बदलने की कोशिश में लगी हुई हैं. दरअसल, सोशल मीडिया पर ममता बनर्जी का एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें वह बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार की सकारात्मक यानी पॉजिटव खबरों को बढ़ावा देने के लिए 'गोदी मीडिया' बनने का प्रस्ताव देती नजर आ रही हैं.

ममता बनर्जी का ये वीडियो उनके महाराष्ट्र दौरे के बाद पश्चिम बंगाल में हुए एक कार्यक्रम का है. जिसमें एक स्थानीय महिला पत्रकार उनसे छोटे समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में सरकारी विज्ञापन न मिलने की शिकायत कर रही थी. इस सवाल पर ममता बनर्जी की ओर से जो जवाब आया है, उसकी उम्मीद शायद ही किसी ने की होगी. ममता बनर्जी ने उक्त महिला पत्रकार को जवाब देते हुए कहा कि 'स्थानीय अखबारों में विज्ञापन पाने के लिए पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार की केवल सकारात्मक यानी पॉजिटिव खबरें छापो. और, इसके सबूत के तौर पर रोज अखबार की एक कॉपी को जिलाधिकारी यानी डीएम या पुलिस एसपी को भेजिए. जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस सरकार इन अखबारों को विज्ञापन देने पर विचार करेगी.' आसान शब्दों में कहा जाए, तो ममता बनर्जी ने खुलेआम इशारा कर दिया कि विज्ञापन के लिए अखबारों को 'गोदी मीडिया' बनना पड़ेगा. 

Mamata Banerjee About Government Advertisementक्या किसी राज्य के मुख्यमंत्री से आप इस तरह के जवाब की उम्मीद कर सकते हैं?

ममता का बयान सिर्फ हास्यास्पद नहीं है

क्या किसी राज्य के मुख्यमंत्री से आप इस तरह के जवाब की उम्मीद कर सकते हैं? यह एक हास्यास्पद स्थिति है कि लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी को अपने राज्य की सकारात्मक खबरों को स्थानीय स्तर पर लोगों के बीच पहुंचाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाने पड़ रहे हैं. दरअसल, पश्चिम बंगाल में स्थानीय स्तर पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच कट मनी जैसा अनौपचारिक कमीशनबाजी का खेल बहुत आम है. 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में कट मनी के आरोपों से घिरी तृणमूल कांग्रेस को बड़ा चुनावी नुकसान हुआ था. कट मनी को लेकर ममता बनर्जी के सामने स्थिति ऐसी हो गई थी कि उन्हें कट मनी को सार्वजनिक मंच पर स्वीकार करना पड़ा था. खैर, सोशल मीडिया लोग इस वीडियो पर जमकर रिएक्शन दे रहे हैं. कुछ लोग ममता बनर्जी का समर्थन भी कर रहे हैं और कुछ इसके विरोध में भी नजर आ रहे हैं.

भारत में एक कहावत है कि 'तुम मेरी पीठ खुजाओ, मैं तुम्हारी पीठ खुजाता हूं.' ममता बनर्जी भी इसी लीक पर चलने की नसीहत देती नजर आ रही हैं. खैर, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी एक राजनेता हैं, तो उनसे किसी अच्छे जवाब की उम्मीद करना बेमानी ही होगा. लेकिन, उनका ये जवाब भारत में पत्रकारिता के उन तमाम बड़े संगठनों के मुंह पर किसी तमाचे से कम नहीं है, जो मीडिया की स्वतंत्रता के नाम का ढपली पीटते रहते हैं. 

ममता बनर्जी के इस जवाब को सही साबित करने में जुटे लोग उनके बचाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी घसीटने में कतरा नही रहे हैं. लोगों के अपने तर्कों के जरिये अरविंद केजरीवाल पर भी लंबे समय से ऐसा ही करने का आरोप लगा रहे हैं. इतना ही नहीं, ये उन लोगों के लिए एक स्पष्ट इशारा है, जो टीएमसी सुप्रीमो में भविष्य के प्रधानमंत्री का चेहरा देख रहे हैं.

सोशल मीडिया पर लोग 'दीदी' को सरलता की मूर्ति बताने में लगे हैं. जो खुले मंच पर स्वीकार करने की हिम्मत रखती हैं. मतलब, जिस बात के लिए ममता बनर्जी की निंदा की जानी चाहिए. लोग उसी बात को उनकी सरलता से जोड़ते हुए ममता को खुले मंचों पर इस तरह के बयान न देने की सलाह दे रहे हैं. 

ममता बनर्जी को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह के रिएक्शन सामने आ रहे हैं. लेकिन, इन तमाम बातों से इतर सबसे बड़ी बात ये है कि भयमुक्त यानी फियरलेस पत्रकारिता करने का दावा ठोंकने वाले तमाम मीडिया संस्थानों की ओर से ममता बनर्जी के इस जवाब पर एक छोटी सी खबर भी नहीं लगाई गई है. वैसे, ममता बनर्जी के बारे में इस तरह की बात करने से देश के उन तमाम लिबरल लोगों की भावनाओं को चोट पहुंच सकती है, जो उनके अंदर अगला प्रधानमंत्री देख रहे हैं. तो, इस मामले में आप लोग ही अपनी राय दीजिए.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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