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Updated: 12 जुलाई, 2020 02:29 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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कांग्रेस ने यूपी में ब्राह्मणों (Brahmin Politics in India) के बीच पैठ बनाने की कवायद शुरू कर दी है, लेकिन लगता है गलत वक्त चुन लिया है. ब्राह्मण पॉलिटिक्स में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अगर इसके लिए विकास दुबे एनकाउंटर (Vikas Dubey encounter) के इस्तेमाल की कोशिश हुई तो कोई फायदा नहीं होने वाला. जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) के ब्राह्मण चेतना परिषद की तरफ से कितनी भी सफाई पेश की जाये, कोई फायदा नहीं होने वाला.

विकास दुबे के एनकाउंटर पर सभी विपक्षी दलों के नेता सवाल उठा रहे हैं. प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) और राहुल गांधी ने भी टिप्पणी की है - और मीडिया रिपोर्ट भी सवालों से भरी पड़ी हैं, लेकिन जिस तरीके से उदित राज ने सवाल उठाया है, उसमें जातीय राजनीति उछालने की कोशिश लग रही है - अगर वास्तव में कांग्रेस मौके का कोई फायदा उठाने की फिराक में है तो हाथ में कुछ भी नहीं आने वाला है.

माफिया जिंदा रहते ही वोट दिला सकता है

विकास दुबे एनकाउंटर पर जिस तरीके का सवाल कांग्रेस नेता उदित राज उठा रहे हैं, बिहार की जन अधिकार पार्टी वाले पप्पू यादव का बयान भी वही है. पप्पू यादव का कहना है कि यूपी की योगी सरकार ने 150 से ज्यादा ब्राह्मणों को मौत के घाट उतार दिया है. पप्पू यादव का आरोप है कि योगी राज में सिर्फ ब्राह्मण, दलित, मुस्लिम और यादव का एनकाउंटर हो रहा है. पप्पू यादव का बयान बहुत मायने नहीं रखता - एक तो यूपी में उनके बयान से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, दूसरे सबको मालूम है कि ये सुर्खियों में किसी तरह बने रहने की कोशिश भर है.

CAA विरोध के बहाने मुस्लिम समुदाय को लुभाने के बाद लगता है प्रियंका गांधी अब ब्राह्मणों के बीच कांग्रेस की पैठ बनाने की कोशिश कर रही हैं. प्रियंका गांधी खुद तो दूरी बनाये हुए हैं लेकिन ये टास्क यूपी के ब्राह्मण कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को दे दिया है. जितिन प्रसाद अपने संरक्षण में 'ब्राह्मण चेतना परिषद' के जरिये ब्राह्मणों को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं. जितिन प्रसाद ने अभी 6 जुलाई को ही ब्राह्मण चेतना परिषद की तरफ से एक बयान जारी किया था - और 12 जुलाई को फेसबुक लाइव की व्यापक तौर पर तैयारी चल रही है.

कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने विकास दुबे एनकाउंटर के बहाने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल उठाया है. न्यूज एजेंसी से बातचीत में हुसैन दलवई ने कहा है, 'पहली बार एनकाउंटर में एक ब्राह्मण मारा गया है इसलिए देशभर में इतना हंगामा मचा है.'

Priyanka Gandhi Vadra, jitin prasadजितिन प्रसाद को यूपी में कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा बनाने की कोशिश बेकार की कवायत है

हुसैन दलवई का मानना है कि अब तक एनकाउंटर में सिर्फ मुसलमान और दलित मारे जाते थे - साथ ही, हुसैन दलवई ने आशंका जतायी है कि हो सकता है इसकी वजह से योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़े.

असल बात तो ये है कि हुसैन दलवई को सही जानकारी नहीं है. अव्वल तो अपराधी की कोई जाति नहीं होती, वो सिर्फ अपराधी होता है. विकास दुबे के ही कारनामों की जो लिस्ट देखने को मिल रही है वो हर किसी को लूटता रहा है. थाने में घुस कर विकास दुबे ने जिस बीजेपी नेता की हत्या की वो भी ब्राह्मण ही थे. लगता है हुसैन दलवई श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम नहीं सुने हैं - श्रीप्रकाश शुक्ला वही अपराधी था जिसके गैंग के खात्मे के लिए ही यूपी में एसटीएफ का गठन हुआ था - और तरीका भले ही सवालों के घेरे में हो लेकिन उसी एसटीएफ ने विकास दुबे का भी एनकाउंटर किया है.

अगर कांग्रेस को किसी सूरत में इस बात की हल्की सी भी उम्मीद हो कि विकास दुबे के नाम पर ब्राह्मणों की सहानुभूति मिल सकती है, तो ये कोरी कल्पना ही हो सकती है. कांग्रेस अगर विकास दुबे को कृष्णानंद राय और बिहार के ब्रह्मेश्वर मुखिया की तरह देखने की कोशिश कर रही है तो ये उसकी बहुत बड़ी भूल होगी. ब्रह्मेश्वर मुखिया को उनका समाज देवता की तरह पूजता है - और कृष्णानंद राय के वोटर आज भी वैसे ही निष्ठावान हैं जैसे उनके जीवनकाल में थे. कुछ लोग ही सही, लेकिन विकास दुबे की मौत के बाद उसके गांव में मिठायी बांटी जा रही थी.

राजनीति में डिस्क्लेमर भ्रम पैदा करता है

पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने हाल ही में एक पत्र जारी किया था - 'वर्तमान सरकार में ब्राह्मण समाज के दर्जनों लोगों की हत्याएं एवं उनपर जानलेवा हमले हुए हैं. समाज के लोगों को न्याय नहीं मिला बल्कि वि‍भि‍न्न मामलों में सरकार में शामिल लोगों ने उल्टे अन्याय करने वालों को ही संरक्षण दिया है. जिस कारण समाज के लोग प्रदेश में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.' जितिन प्रसाद ने ब्राह्मणों की हत्याओं के खिलाफ ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन की कॉल दी है. जितिन प्रसाद ने फेसबुक लाइव के माध्यम से या फिर वीडियो बनाकर विरोध जताने की ब्राह्मण समाज से अपील की है - और साथ में ब्रह्म चेतना संवाद को टैग करने की सलाह दी है.

जितिन प्रसाद पहले ब्राह्मण चेतना यात्रा भी निकाल चुके हैं और ऐसे इलाकों में गये जहां ब्राह्मणों की हत्याएं हुई थीं - कन्नौज, बस्ती और मैनपुरी जैसे इलाके. 2019 के आम चुनाव के दौरान एक बार ऐसा लगा था जैसे जितिन प्रसाद ने बीजेपी ज्वाइन कर ली हो क्योंकि टिकट बंटवारे से वो नाराज हो गये थे. बाद में कांग्रेस नेतृत्व ने मना लिया और मान गये. 2009 में तो प्रसाद परिवार की विरासत के नाम पर जितिन प्रसाद लोक सभा पहुंच गये थे और मंत्री भी बने लेकिन 2019 में लगातार दूसरी बार चुनाव हार गये. राज बब्बर के इस्तीफे के बाद जितिन प्रसाद भी यूपी कांग्रेस अध्यक्ष पद के दावेदार रहे, लेकिन प्रियंका गांधी को कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू ही पंसद आये.

विकास दुबे एनकाउंटर को लेकर ब्राह्मण चेतना परिषद के सचिव रंजन दीक्षित की तरफ से डिस्क्लेमर भी आया है. रंजन दीक्षित ने कहा है कि परिषद के ऑनलाइन विरोध प्रदर्शन का विकास दुबे एनकाउंटर से कोई लेना देना नहीं है और कहा है कि विकास दुबे अपराधी था. रंजन दीक्षित का दावा है कि परिषद लंबे समय से प्रदेश में ब्राह्मणों की लगातार हो रही हत्याओं, उत्पीड़न और अपमान के खिलाफ संघर्ष कर रही है.

परिषद के विरोध प्रदर्शन को लेकर लाख सफाई भले ही दी जाये, लेकिन बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस में आये दलित नेता उदित राज के एक ट्वीट ने पानी फेरते हुए शक की गुंजाइश बढ़ा दी है. उदित राज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाते हुए पूछा है कि अगर कानपुर वाला विकास अगर ठाकुर होता तो क्या होता?

उदित राज दलित राजनीति करते आये हैं, लेकिन 2019 में एक स्टिंग ऑपरेशन में फंस जाने के कारण दिल्ली से लोक सभा के लिए बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया तो विरोध में कांग्रेस ज्वाइन कर लिये. यूपी में दलित के साथ ब्राह्मण वोट के गठजोड़ का सफल प्रयोग हो चुका है. हो सकता है कांग्रेस भी जितिन प्रसाद और उदित राज के माध्यम से ऐसी किसी तैयारी में हो, लेकिन ये तो मालूम होगा ही कि मायावती और उदित राज में कितना फासला है.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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