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Updated: 29 नवम्बर, 2019 08:57 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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महाराष्ट्र में शिवसेना (Shiv Sena) की सरकार बने और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को राज्य के मुख्यमंत्री की शपथ लिए चंद ही घंटे हुए हैं और सूबे में राजनीति की शुरुआत हो गई है. केंद्र और राज्य सरकार के बीच गतिरोध का जो पहला मामला आया है वो है बुलेट ट्रेन. शिवसेना प्रवक्ता मनीष कायदे ने बहुत ही नपे तुले लहजे में कह दिया है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (Bullet Train Project) को लेकर शिवसेना भाजपा की तरह गंभीर नहीं है. ये कथन क्यों आया इसके पीछे शिवसेना के अपने तर्क हैं. शिवसेना जहां एक तरफ इस मामले को गरीबों से जोड़ रही है. तो वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण को भी इस परियोजना को रोकने की एक बड़ी वजह माना जा रहा है. ध्यान रहे कि ये कोई पहली बार नहीं है जब शिवसेना ने पीएम मोदी के महत्वकांशी प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन पर अपना विरोध जताया है . इससे पहले भी शिवसेना प्रवक्ता इस बात को कह चुके हैं कि बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट के लिए आम के बागों की कटाई करनी होगी जो न तो पर्यावरण के लिए सही है और न ही किसानों के लिए. ज्ञात हो कि जिस वक़्त इस प्रोजेक्ट के शुरू होने की बात हुई फडणवीस सरकार में मंत्री दिवाकर राउत ने नवी मुंबई का जिक्र किया था और बताया था कि उस 13.36 हेक्टेयर जमीन पर तकरीबन 54 हजार आम के पेड़ लगे हैं. अब चूंकि नई सरकार आ गई है शिवसेना ने इसी बात को मुद्दा बनाते हुए पर्यावरण की दुहाई दी है.

उद्धव ठाकरे, शिवसेना, महाराष्ट्र, बुलेट ट्रेन, भाजपा , Uddhav Thackerayबुलेट ट्रेन का विरोध करके उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी को अपने इरादे बता दिए हैं

कहने, बताने को हमारे पास तमाम बातें हैं मगर उन पक्षों पर आने से पहले हमारे लिए प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट हाई स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना और उसके गुण दोषों को समझ लेना बहुत जरूरी है.

क्या है परियोजना

बात सितंबर 2017 की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने अपने जापानी समकक्ष शिंजो आबे के साथ मिलकर बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखी थी.बताया जाता है कि पीएम मोदी की इस परियोजना के लिए जापान ने कुछ आसान शर्तों पर सस्ता कर्ज  मुहैया कराने का वादा किया था.

पीएम मोदी अपनी इस परियोजना के लिए कितने गंभीर थे इसे हम साल 2016 से भी समझ सकते हैं. तब देश में हाई स्पीड ट्रेनों के संचालन के लिए नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन का गठन किया गया था. बात क्योंकि प्रधानमंत्री के इस प्रोजेक्ट की हो रही है तो बता दें कि प्रोजेक्ट साल 2022 तक प्रोजेक्ट पूरा होना था.

बात अगर वर्तमान की ही हो तो इस मुंबई और अहमदाबाद के बीच बनने वाले हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए 1380 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण की जरूरत है. अब तक 548 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया भी जा चुका है. माना जा रहा है कि ये पूरा रेल मार्ग 508 किलोमीटर लंबा होगा.

क्यों कर रही है शिवसेना विरोध ? क्या यही है असली वजह?

भले ही आज शिवसेना इस परियोजना का विरोध कर रही है और इसे गरीबों और पर्यावरण से जोड़ रही हो. लेकिन इस विरोध की वजह बहुत गहरी है और जिसके तार बालठाकरे और उनकी राजनीति से जाकर जुड़ते हैं. सवाल होगा कैसे ? तो वजह खुद शिवसेना पूर्व में कई बार बता चुकी है. शिवसेना की तरफ से लगातार यही बयान आए हैं कि इस परियोजना से आम मराठियों का फायदा नहीं होगा. यदि इस बात पर गौर करें तो एक हद तक ये बाद जायज भी नजर आ रही है.

अगर इस परियोजना को व्यापार और दो राज्यों के रिश्तों से जोड़ा जा रहा है तो हमें समझना होगा कि बुलेट ट्रेन से मराठियों को फायदा मिले न मिले, जबकि बात अगर गुजरातियों की हो तो उन्हें इससे फायदा जरूर मिलेगा और यही असल समस्या है. शिवसेना को महसूस हो रहा है कि इससे फायदा मराठियों का नहीं बल्कि गुजरातियों का है तो अब वो विरोध करके वो राजनीति कर रही है जिसके अंकुर कभी बाला साहेब ठाकरे ने डाले थे.

क्या थी बाल ठाकरे की राजनीति

बात बाल ठाकरे की रराजनीति की हुई है तो बता दें कि बाल ठाकरे की राजनीति का आधार ही मराठी अस्मिता था. अपने समय में बाल ठाकरे उन मराठियों को खोया हुआ सम्मान दिलाना चाहते थे जो महाराष्‍ट्र खासकर मुंबई में गुजराती व्‍यापारियों के प्रभाव के चलते खुद काे कमतर समझ रहे थे. अब जबकि बाल ठाकरे नहीं है शिवसेना इसी बात को मुद्दा बनाकर आम मराठियों के बीच बाल ठाकरे के बाद अपनी खोई पैठ दोबारा वापस हासिल करना चाहती है.

बात एकदम सीधी और साफ़ है उद्धव ने भाजपा से भले ही रिश्ता तोड़ लिया हो मगर वो जानते हैं कि बिना आम मराठियों को साधे कुछ भी नहीं किया जा सकता. विषय चूंकि अस्मिता की है इसलिए उद्धव को भी ये यकीन है कि कुछ ऊंच नीच हो गई तो मराठा मानुष तो मुट्ठी में रहेंगे ही.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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