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Updated: 28 नवम्बर, 2019 06:03 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के शपथग्रहण (Uddhav Thackeray Oath Ceremony) के लिए बने मंच में भी महाविकास आघाड़ी (Grand Alliance) के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (CMP) की झलक दिखे - ऐसा कतई जरूरी नहीं है. फिर भी मेहमानों की सूची और उनके इकरार और इंकार में देश की विपक्षी राजनीति के भविष्य (Third Front) का जो खाका उभर रहा है वो बेहद महत्वपूर्ण है.

शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे से शिवसैनिक को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने का वादा उद्धव ठाकरे पूरा करने जा रहे हैं. शिवाजी पार्क में बाल ठाकरे के समाधि स्थल को खूब सजाया गया है. उद्धव ठाकरे के लिए मंच तैयार करने की जिम्मेदारी बॉलीवुड के बड़े सेट डिजाइनर नितिन देसाई को ये जिम्मा मिला है. शिवाजी महाराज के मंच की तर्ज पर ही शपथग्रहण के मंच की साज-सज्जा हो रही है.

मुंबई और बेंगलुरू के विपक्षी जमावड़े में बड़ा फर्क है

मंच पर भगवा का दबदबा है - ऐसा लगता है ये जमाने के साथ कदम से कदम मिलाता धर्मनिरपेक्षता का कोई नया रंग हो! एक ऐसा रंग जिसमें 'राष्ट्रवादी...' 'कांग्रेस' और 'शिवसेना' सभी एक ही रंग में फिलहाल घुले हुए लगते हैं.

आगे जो भी हो अभी तो मान ही लेना चाहिये कि महाराष्ट्र में विपक्षी एकजुटता की ये रंग-बिरंगी तस्वीर है - लेकिन ये कर्नाटक में क्लिक हुई विपक्षी एकता की तस्वीरों से काफी अलग लग रही है.

शिवसेना नेता संजय राउत की मानें तो शपथ ग्रहण समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी न्योता भेजा गया है. उद्धव ठाकरे ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद फोन कर शपथग्रहण में आने का भी न्योता दिया है, हालांकि, उन्हें एडवांस बधाई से आगे कोई और आश्वासन नहीं मिला है.

वैसा ही रवैया कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से भी देखने को मिल रहा है - आदित्य ठाकरे ने खुद जाकर सोनिया गांधी को न्योता दिया है. मुलाकात के बाद कहा भी कि वो सोनिया गांधी और राहुल गांधी को न्योता देने और उनका आशीर्वाद लेने पहुंचे थे. बाद में आदित्य ठाकरे ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर जाकर उन्हें भी औपचारिक निमंत्रण दिया है - हालांकि, इन सभी के पहुंचने की संभावना कम ही नजर आ रही है.

aditya thackeray with sonia gandhiठाकरे राज को सोनिया गांधी के सपोर्ट की कोई सीमा भी है क्या?

सोनिया और राहुल के प्रतिनिधियों के अलावा जिनकी मौजूदगी देखी जा सकती है, वे सभी कांग्रेस सरकार वाले राज्यों के मुख्यमंत्री हैं - अशोक गहलोत, कमलनाथ, भूपेश बघेल और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम हैं.

विपक्षी खेमे से डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन तो सबसे पहले पहुंचे लोगों में शामिल हो चुके हैं. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी उद्धव ठाकरे के शपथग्रहण में शामिल होने वाले नेताओं में शामिल हैं. चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी भी पहले एनडीए में हुआ करती थी लेकिन आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा की मांग पर आम चुनाव से पहले अलग हो और चुनाव हारने के बाद उनके भी बुरे दिन आ गये. आम चुनाव के नतीजे आने से पहले तक चंद्रबाबू नायडू विपक्षी एकता के लिए प्रयासरत नेताओं की अगली कतार में हुआ करते रहे.

उद्धव के शपथग्रहण को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के नाम खासतौर पर उल्लेखनीय हैं. पहले ही कंफर्म हो चुका है कि ये नहीं आ रहे हैं - ये दोनों ही कुमारस्वामी के शपथग्रहण के मौके पर पहुंचे थे. वो पहला मौका था जब बाकी विपक्ष के किसी मजमे का हिस्सा अरविंद केजरीवाल भी बने थे.

पांच साल, ठाकरे राज?

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तीन दिन के भीतर इस्तीफा देने से पहले देवेंद्र फणडवीस ने महाविकास आघाड़ी सरकार के भविष्य पर पहले ही सवालिया निशान लगा दिया था. फडणवीस का कहना था कि तीन पहियों वाली सरकार लंबा नहीं चलने वाली है.

उद्धव ठाकरे के शपथग्रहण समारोह से पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने दावा किया है कि ये सरकार 5 साल चलेगी और जो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय किया गया उसीके हिसाब से चलेगी. थोराट ने कहा कि अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद भी कोई परेशानी होने वाली नहीं है.

कांग्रेस नेता ने सरकार चलाने को लेकर किसी तरह के रिमोट कंट्रोल होने से भी इंकार किया है, कहते हैं - सरकार में सब मिलजुल कर काम करेंगे. तीनों दलों की हिस्सेदारी भी काफी चर्चित रही है, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि दो-दो डिप्टी सीएम जैसी व्यवस्था नहीं रहने वाली. चूंकि मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के पास होगा, इसलिए डिप्टी सीएम NCP के हिस्से में जा रहा है और स्पीकर कांग्रेस से कोई नेता बनेगा. फिलहाल ऐसी ही तस्वीर पेश की जा रही है - बड़ा सवाल ये है कि डिप्टी सीएम कौन होगा? जयंत पाटिल या अजित पवार? अगर अजित पवार डिप्टी सीएम बनते हैं तो देवेंद्र फडणवीस सरकार बनवाने और गिराने में उनकी भूमिका नये सिरे से समझनी होगी.

ठाकरे परिवार और पवार परिवार तो खुश है ही, जाहिर है कांग्रेस नेता भी खुश होंगे ही - लेकिन सबसे ज्यादा खुशी तो संजय राउत के ट्विटर टाइमलाइन पर देखने को मिल रही है. संजय राउत पूछ रहे हैं - 'How is Josh?' फिल्म उरी का ये डायलॉग आम चुनाव और उससे पहले खास मौकों पर अक्सर सुनायी देता रहा.

महाराष्ट्र की जमीन से हो रहा ये सब एक नये राजनीतिक समीकरण की ओर इशारा कर रहा है. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का नया दावा है कि मुंबई में दिखाई दे रहा नजारा एक दिन दिल्ली में भी दिखेगा. शरद पवार ने भी ED के एफआईआर के बाद मराठाओं के खिलाफ दिल्ली की साजिश के रूप में समझाया था - और कहा था कि मराठा कभी दिल्ली के आगे झुके नहीं.

महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात ऐसे बदले हैं कि शरद पवार क्या संजय राउत की बातें भी सही साबित होने लगी हैं - और उनकी बातों को नजरअंदाज करना भी अब खतरे से खाली नहीं लग रहा है. वैसे भी संजय राउत जो कुछ भी बोलते हैं वो किसी अकेले मन की बात तो होती नहीं, बल्कि वो तो एक भरा-पूरा पैकेज होता है.

विपक्ष की राजनीति के जो समीकरण बन रहे हैं, वे स्वाभाविक तौर पर कर्नाटक के प्रसंग से जुड़ जाते हैं. चूंकि महाराष्ट्र में भी राजनीतिक उठापटक करीब करीब कर्नाटक जैसे ही हुई है, इसलिए मुंबई की राजनीतिक गतिविधियों को बेंगलुरू के साये से अलग करके देखना मुश्किल हो रहा है. आम चुनाव से पहले मई, 2018 में एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण के मौके मौके पर विपक्ष की जो एकजुटता दिखी, उद्धव ठाकरे के सपोर्ट में बिलकुल वैसा तो नहीं नजर आ रहा है - अगर बिलकुल वैसा नहीं है तो ये सब किस दिशा में आगे बढ़ रहा है?

ऐसा लग रहा है कि महाराष्ट्र से विपक्ष का एक नया गुट उभर रहा है जो विपक्षी एकजुटता के खिलाफ एक तीसरे मोर्चे के उभार जैसा है - और तमाम समीकरणों के बनने और बिगड़ने के बाद भी ये बीजेपी के पक्ष में ही जा रहा है. आखिर बंटा हुआ विपक्ष किसके फायदे में होगा?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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