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Updated: 19 मई, 2022 03:10 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने 'खेला' करने के लिए अब 'एकला चलो...' का फैसला कर लिया है. अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीनियर बीजेपी नेता अमित शाह के खिलाफ आक्रामक रहीं, ममता बनर्जी के निशाने पर अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी आ चुके हैं.

RSS प्रमुख मोहन भागवत के पश्चिम बंगाल दौरे को लेकर ममता बनर्जी ने बंगाल पुलिस को अलर्ट मोड में रहने की हिदायत दी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने अफसरों को साफ तौर पर निर्देश दिया है कि वे सुरक्षा बंदोबस्त में सुनिश्चित करें कि किसी भी सूरत में दंगा न हो - ऐसा करके, दरअसल, ममता बनर्जी अपनी तरफ से ये मैसेज देने की कोशिश कर रही हैं कि संघ प्रमुख के आने की वजह से वहां दंगा हो सकता है. मतलब, ये समझाने की कोशिश हो रही है कि संघ प्रमुख दंगा कराने के मकसद से बंगाल का दौरा कर रहे हैं.

ममता बनर्जी की तरफ से जो दिशानिर्देश अफसरों को जारी किये गये हैं, उसमें प्रशासन को नजर रखने और ये जानने समझने को कहा गया है कि संघ प्रमुख का एजेंडा क्या है?

तंज भरे लहजे में ममता बनर्जी ने मातहत अधिकारियों से कहा है कि वे संघ प्रमुख को मिठाई और फल भी भेजें, ताकि उनको भी मालूम हो सके कि बंगाल में खातिरदारी कैसी होती है. साथ ही, ममता बनर्जी आगाह भी किया है, लेकिन ध्यान रहे किसी तरह की अति न हो क्योंकि वो ऐसी चीजों का फायदा उठा सकते हैं.

ममता बनर्जी के निशाने पर अब मोहन भागवत: मोहन भागवत 20 मई तक तीन दिन के बंगाल दौरे पर हैं. वो मेदिनीपुर के केशियारी गांव में आयोजित संघ के शिक्षा वर्ग में हिस्सा ले रहे हैं. कार्यक्रम में हजारों स्वयंसेवकों को शारीरिक और बौद्धिक ट्रेनिंग दी जानी है. मोहन भागवत से पहले ममता बनर्जी भी तीन दिन के पश्चिमी मेदिनीपुर के दौरे पर थीं - और उसी दौरान एक प्रशासनिक बैठक के दौरान के ममता बनर्जी ने ये सारे निर्देश अधिकारियों को दिये.

ऐसे कार्यक्रम हर साल कहीं न कहीं होते रहते हैं, इस बार पश्चिम बंगाल में कार्यक्रम बना है - ऐसा लगता है, 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद संघ अभी से 2024 की तैयारी में लग गया है.

वैसे ममता बनर्जी ही कहां पीछे हैं. वो तो विधानसभा चुनाव जीतने के साथ ही अगले लोक सभा की तैयारी में जुट गयी थीं. बीच में कई बार निराश और हताश भी होना पड़ा था. ममता बनर्जी के साथ ये तो लगा ही रहता है, तभी तो वो खुद को फाइटर बताती हैं.

mamata banerjeeदिल्ली के लिए ममता बनर्जी ने शुरू किया कैंपेन - 'ऐकला चोलो रे...'

अब तो तृणमूल कांग्रेस की तरफ से 'इंडिया वॉन्ट्स ममता दी' मुहिम भी शुरू हो चुकी है - ये एक तरीके से तृणमूल कांग्रेस की तरफ से ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार (TMC PM Candidate) घोषित करने जैसा ही लगता है.

ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम

'एक पैर से बंगाल जीतने के बाद दो पैरों से दिल्ली' जीतने के लिए ममता बनर्जी ने बड़ी तेजी से कदम बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन विपक्षी खेमे से ही बाधाएं खड़ी की जाने लगीं. पहले तो कह रही थीं कि वो विपक्ष को एक सदस्य के रूप में एकजुट करे की कोशिश कर रही हैं, लेकिन फिर कांग्रेस को किनारे करने की मांग करने लगीं - जब शरद पवार कांग्रेस को अलग थलक करने को तैयार नहीं हुए तो कुछ दिन तक शांत होकर सब कुछ देखती भी रहीं.

एक वजह ये भी रही कि प्रशांत किशोर ने तृणमूल कांग्रेस से रिश्ता तोड़ने का मन बना लिया था, इसलिए भी क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व के साथ उनकी अच्छी बातचीत होने और आगे बढ़ने लगी थी. उसी दौरान प्रशांत किशोर ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस के साथ चुनाव कैंपेन का करार फाइनल कर लिया. हो सकता है तृणमूल कांग्रेस को भी तभी उम्मीद जगी हो - और कांग्रेस से बातचीत टूटते ही रास्ता साफ नजर आने लगा हो.

ममता बनर्जी को देश का प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम चलाने के लिए तृणमूल कांग्रेस की तरफ से एक वेबसाइट तैयार की गयी है - 'इंडिया वॉन्ट्स ममता दी'. ये मुहिम चलाने की जिम्मेदारी टीएमसी के युवा नेताओं पर होगी जिसकी जिम्मेदारी संघमित्रा बनर्जी कर रही हैं. तृणमूल युवा कांग्रेस के सुदीप मुखर्जी और नीलंजन दास भी अभियान में सहयोगी रहेंगे. टीएमसी सांसद डेरेक ओर ब्रायन ने वेबसाइट को लॉन्च किया और मौके पर मौजूद टीएमसी नेताओं ने संकल्प लिया कि ममता बनर्जी को देश का पहला बंगाली प्रधानमंत्री बनाना है.

1. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने एक नारा दिया था - 'बांग्ला निजेर मेये चाई' और ये नयी मुहिम भी उसी का एक्सटेंशन लग रही है - 'इंडिया वॉन्ट्स ममता दी'. विधानसभा के चुनावी नारे का मतलब ये था कि बंगाल को अपनी बेटी चाहिये - और नये स्लोगन का अर्थ है भारत को ममता दी चाहिये.

2. पश्चिम बंगाल के लिए स्लोगन बंगाली में तैयार किया गया था, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए नया नारा अंग्रेजी में गढ़ा गया है. ऐसा दो वजहों से किया गया लगता है. एक वजह तो स्लोगन की अखिल भारतीय पहुंच बनाना है - और दूसरी वजह दक्षिण के राज्यों पर फोकस लगता है.

ममता बनर्जी को मालूम है कि बीजेपी दक्षिण भारत में उत्तर भारत के मुकाबले कमजोर है. उत्तर भारत में बीजेपी से टकराना टीएमसी के लिए मुश्किल टास्क हो सकता है - और इसी चलते हिंदी की जगह अंग्रेजी को चुना गया है.

अब तक तो यही माना जाता रहा कि ममता बनर्जी अपनी राष्ट्रीय राजनीति के लिए हिंदीभाषी न होने को बाधा समझती रहीं, लेकिन अब उनके सलाहकारों को लगा होगा कि बीजेपी के हिंदी प्रेम के दक्षिण में विरोध का फायदा उठाने का ये तरीका कारगर हो सकता है.

3. तृणमूल कांग्रेस की तरफ से नयी मुहिम के तहत बताया जा रहा है कि अब दिल्ली में भी 'मां, माटी और मानुष की सरकार बनेगीट' - और हर भारतीय को सुशासन का फायदा मिलेगा.

प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी फिर साथ साथ!

कुछ ही दिन पहले ममता बनर्जी ने एनडीटीवी से बातचीत में माना कि तृणमूल कांग्रेस में भी इस बात को लेकर असमंजस रहा कि प्रशांत किशोर पार्टी के साथ हैं या नहीं - लेकिन अब साफ कर दिया गया है कि टीएमसी प्रशांत किशोर की कंपनी के साथ जुड़ी रहेगी. ममता बनर्जी ने बताया कि पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन रहा, लेकिन सबको स्पष्ट कर दिया गया है कि प्रशांत किशोर टीएमसी से चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जुडे़ रहेंगे.

करीब उसी आस पास प्रशांत किशोर की तरफ से भी रुख साफ किया गया. एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने बताया कि ममता बनर्जी के साथ काम करने में उनको कभी भी दिक्कत नहीं हुई. आज तक कोई मनमुटाव नहीं हुआ - और ममता बनर्जी ने जैसा चाहा और जो चाहा टीएमसी के लिए काम किया.

गोवा, त्रिपुरा और असम में संगठन खड़ा किया: तृणमूल कांग्रेस की तरफ से पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद से ही कई राज्यों में संगठन के विस्तार की कोशिशें शुरू हो गयी थीं. हाल ही में टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने असम में पार्टी दफ्तर का उद्घाटन किया था.

अब बताया जा रहा है कि टीएमसी असम, त्रिपुरा और गोवा में बुनियादी ढांचा खड़ा किया जा चुका है. टीएमसी ने गोवा विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. हरियाणा में तो उलटा ही 'खेला' हो गया - कांग्रेस से आये अशोक तंवर को ममता बनर्जी के दोस्त पुराने दोस्त अरविंद केजरीवाल ने झटक लिये.

ममता बनर्जी PM बनेंगी और अभिषेक बनर्जी CM: इसी बीच टीएमसी सांसद अपरूपा पोद्दार के एक ट्वीट ने धमाल मचा दिया है. टीएमसी सांसद ने ट्विटर पर लिखा है, ‘2024 में आरएसएस के चुने हुए राष्ट्रपति ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाएंगे - और अभिषेक बनर्जी बंगाल के मुख्यमंत्री बनेंगे.’

हालांकि अपरूपा पोद्दार ने घंटे भर के भीतर ही अपना ट्वीट डिलीट कर दिया - और एक बात और हुई कि बंगाल में टीएमसी की तीसरी जीत की पहली सालगिरह पर टीएमसी नेता कुणाल घोष का ट्विटर पर ही बयान आया, ‘तृणमूल कांग्रेस के एक सैनिक के तौर पर मैं कह सकता हूं कि ममता बनर्जी 2036 तक बंगाल की मुख्यमंत्री बनी रहेंगी... 2036 में वो एक अभिभावक के तौर पर एक कार्यक्रम में मौजूद होंगी, जहां अभिषेक बनर्जी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.’

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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