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Updated: 02 सितम्बर, 2017 06:41 PM
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27 दिसंबर 2007 को पाकिस्तान की तेजतर्रार नेता और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी. भुट्टो की हत्या के मामले में फैसला आने में 10 साल लग गए. इस मामले में पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधी अदालत ने बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में पूर्व सैन्य शासक परवेज़ मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित कर दिया है.

अदालत ने पांच कथित तालिबान उग्रवादियों के खिलाफ हत्या में शामिल होने के आरोपों को खारिज कर दिया. जबकि दो पुलिस अधिकारियों को "मौका-ए-वारदात से छेड़छाड़" का दोषी पाया गया. ये दोनों ही इस मामले में दोषी पाए गए. बेनजीर पर गोली चलाई गई जो सीधा उनके गर्दन में जाकर लगी. इसके बाद हत्यारे ने खुद को उड़ा दिया. इसमें 24 लोगों की मौत हो गई.

benazir Bhutto, Pakistaबेनजीर को अपने ही देश की सरकार सुरक्षा नहीं दे पाई

लेकिन हत्या के एक दशक बाद आए फैसले में इस बात का कोई खुलासा नहीं किया गया कि आखिर इस हत्या का मास्टरमाइंड कौन था. पाकिस्तान में राजनीतिक हत्याएं कोई नई बात नहीं है. ऐसे में बेनजीर भुट्टो की हत्या भी कोई अपवाद नहीं. लेकिन उनकी हत्या और उनके हत्यारे को लेकर कई तरह के अनुमान लगाए गए हैं.

पाकिस्तानी सरकार का पक्ष-

तात्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भुट्टो की हत्या के लिए पाकिस्तानी तालिबान चीफ बैतुल्लाह मैसूद को दोषी ठहराया. हालांकि, खुद मैसूद ने इसमें अपना हाथ होने से इंकार कर दिया था. 2009 के अमेरीकी ड्रोन हमले में मैसूद मारा गया था. भुट्टो देश में इस्लामिक चरमपंथ की घोर विरोधी थी. उन्होंने पाकिस्तान के कबायली इलाकों में आतंकवादियों से मुकाबला करने और उनका सफाया करने का भी वादा किया था.

बेनजीर भुट्टो को अल-कायदा, तालिबान सहित कई जिहादी ग्रुपों से जान से मारने की धमकी मिली थी. लेकिन पाकिस्तानी जांचकर्ताओं ने अपनी जांच को बड़े पैमाने पर निचले-स्तर के कार्यकर्ताओं तक ही केंद्रित किया. हत्या की योजना, उसके फाइनेंस और फिर उसे करने की प्लानिंग जैसे बड़े हिस्सों को छोड़ दिया. 2013 में किसी आर्मी चीफ के खिलाफ अप्रत्याशित कदम उठाते हुए भुट्टो हत्याकांड में आधिकारिक तौर पर मुशर्रफ को आरोपी माना. पाकिस्तान की सरकार द्वारा मुशर्रफ की विदेश यात्रा पर लगा बैन हटाने के बाद 2016 में मुशर्रफ पाकिस्तान छोड़ भाग निकले.

देखें बेनजीर पर हुए हमले का वीडियो-

यूनाईटेड नेशन की थ्योरी-

भुट्टो की हत्या के तुरंत बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार बनी. सरकार की मांग पर संयुक्त राष्ट्र ने हत्या की जांच के लिए तीन लोगों को भेजा. 2010 में रीलिज किए गए अपने 70 पन्नों की रिपोर्ट में जांच दल ने भुट्टो की हत्या के लिए सीधा-सीधा मुशर्रफ प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. जांच टीम ने लिखा कि- 'अगर उचित सुरक्षा प्रबंध किए गए होते तो भुट्टो की हत्या टल सकती थी.'

रिपोर्ट में पुलिस द्वारा हत्या की जांच सही ढंग से कर पाने और मौका-ए-वारदात की जगह को सुरक्षित न रख पाने के लिए भी दोषी पाया. हमले के दो घंटे के अंदर ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी खुर्रम शहजाद ने उस जगह को धुलवा दिया. सजा पाने वाला दूसरे रावलपिंडी स्थित पुलिस अधिकारी सउद अजीज ने भुट्टो के शव की ऑटोप्सी की मांग को कई दफा ठुकरा दिया था.

पुलिस ने यूएन के जांच अधिकारियों को बताया कि क्राइम सीन से वो महज 23 सबूत इकट्ठा कर सके जबकि वहां से हजारों सबूत मिल सकते थे. लेकिन संयुक्त राष्ट्र की टीम ने पुलिस की इस अक्षमता से आगे बढ़कर कुछ संकेत दिए. उन्होंने कहा कि हत्या कि आधिकारिक जांच देश की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दबा दी गई थी. हालांकि किसी का नाम यूएन जांचकर्ताओं ने भी नहीं लिया और कहा कि इस बात की जिम्मेदारी पाकिस्तानी कोर्ट की बनती है.

साजिश की थ्योरी-

benazir Bhutto, Pakistaबेनजीर भुट्टो की हत्या जरदारी ने करवाई?

भुट्टो की हत्या के बाद पीपीपी सत्ता में आई. बेनजीर भुट्टो के पति आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति बने लेकिन वो भी अपनी पत्नी की हत्या की साजिश का खुलासा करने में असफल रहे. जिससे उनपर साजिश का आरोप लगने लगा. 2013 में एक आत्मघाती हमले में जरदारी के विश्वासपात्र बिलाल शेख की हत्या ने इस आशंका को और तूल दे दिया.

अक्टूबर 2007 में बेनजीर भुट्टो के कराची वापस आने के बाद शेख ही उनकी सुरक्षा का इंचार्ज था. इस समय भी बेनजीर के काफिले पर बम से हमला हुआ था जिसमें 140 लोगों की मौत हो गई थी.

हालांकि यूएन जांच दल के अध्यक्ष और चिली के राजनयिक हेराल्डो मुनोज ने बेनजीर की हत्या में जरदारी का हाथ होने की बात को हास्यास्पद करार दिया. उनका मत था कि- 'अल-कायदा बेनजीर की हत्या करना चाहता था. जबकि पाकिस्तानी तालिबान ने हमले को अंजाम दिया. संभवत: पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों की मदद से. इस मामले की लिपापोती का काम पुलिस ने किया, संभवत: पुलिस के बड़े अधिकारियों ने.'

उन्होंने आगे कहा कि- 'भुट्टो की अपनी सुरक्षा व्यवस्था ही फेल हो गई और जिन लोगों ने उन्हें पाकिस्तान वापस लौटने के लिए प्रोत्साहित किया था वो भी उन्हें सुरक्षा देने में नाकाम रहे.'

अन्य अटकलों की मानें तो भुट्टो के भरोसेमंद अंगरक्षक खलिद शहंशाह का हाथ भी भुट्टो की हत्या में माना जा रहा है. भुट्टो मौत से पहले की रैली में जब लोगों को संबोधित कर रही थी तब मंच से शहंशाह को अजीब इशारे करते हुए देखा गया था. भुट्टो की हत्या के कुछ महीनों बाद ही रहस्यमयी तरीके से कराची में शंहशाह की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

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