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Updated: 24 अक्टूबर, 2018 02:43 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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भगवान राम और रावण के बीच युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण को तीर लगा था तो हनुमान संजीवनी बूटी लेने पहाड़ पर गए थे. बूटी नहीं पहचान पाए तो पूरा पहाड़ ही उठा लाए. इन दिनों राजस्थान में भी 38 पहाड़ गायब हो चुके हैं, ना जाने इस बार किसकी जान बचाने के लिए कौन संजीवनी बूटी ढूंढ़ने निकला है. यहां के अरावली रेंज में करीब 128 पहाड़ियां हुआ करती थीं, लेकिन अब उसमें से करीब 38 गायब हो चुकी हैं. जब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो राजस्थान सरकार से सवाल पूछे गए. यकीनन, इस बार हनुमान जी ने पहाड़ गायब नहीं किए, बल्कि ये शैतानों की कारस्तानी है, लेकिन अरावली के पहाड़ गायब करने वाले ये रावण कौन सी लंका में छुपे हैं, ये राजस्थान सरकार अच्छे से जानती है.

सुप्रीम कोर्ट, राजस्थान, खननअरावली रेंज में करीब 128 पहाड़ियों में से करीब 38 गायब हो चुकी हैं.

हनुमान नहीं, शैतान हैं ये

अरावली रेंज से पहाड़ों को गायब करने के पीछे कोई भगवान या हनुमान नहीं, बल्कि शैतान हैं. ये वो शैतान हैं जो गैर-कानूनी तरीके से प्राकृतिक धरोहर को नुकसान पहुंचाते हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या सरकार को इसकी भनक नहीं है? ऐसा कैसे मुमकिन है कि सरकार की नाक के नीचे से सैकड़ों एकड़ में फैले पहाड़ गायब हो जाएं और अधिकारियों को पता ही ना चले? हां वो बात अलग है कि अगर इन पहाड़ों का सफाया होने से सरकार को या फिर अधिकारियों को भी लाभ मिल रहा हो. इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है.

'हनुमान जी की तरह आदमी ले उड़े पहाड़'

जब पहाड़ों के गायब होने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने कहा- 'राजस्थान में ये हो क्या रहा है? इंसानों में क्या हनुमान जी की ताकत आ गई है जो वो लोग पहाड़ लेकर उड़ जा रहे हैं?' कोर्ट ने साफ कहा कि ये सब अवैध खनन की वजह से हो रहा है और इसके लिए राजस्थान सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए फटकार भी लगाई. कोर्ट ने आदेश भी दे दिया है कि 48 घंटे के अंदर राजस्थान सरकार सभी अवैध खनन पर रोक लगाए और इसकी पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दे.

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

जब सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को फटकार लगाई तो उन्होंने ये तो माना कि करीब 115 हेक्टेयर की जमीन पर अवैध खनन चल रहा है, लेकिन फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पर सवाल उठाने लगे. सरकार ने कहा कि उन्होंने बिना स्थानीय अधिकारियों से बात किए ये रिपोर्ट तैयार की. आपको बता दें कि फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने अवैध खनन के इस मामले में राजस्थान सरकार को फटकार लगाई है.

सरकार हो रही मालामाल, दिल्ली वालों का बुरा हाल

जस्टिस लोकुर ने कहा- 'ये पहाड़ एक बैरियर का काम करते हैं. अगर आप उन्हें तोड़ते रहेंगे तो राजस्थान से प्रदूषण दिल्ली में घुस जाएगा. अपने राज्य के कुछ लोगों के हित के लिए आप दिल्ली के लाखों लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं.' जब सुप्रीम कोर्ट को पता चला कि राजस्थान सरकार को खनन के सालाना 5000 करोड़ रुपए की रॉयल्टी मिलती है तो ये समझते देर नहीं लगी कि 38 पहाड़ कहां गायब हो गए. जस्टिस लोकुर ने राजस्थान सरकार को फटकारते हुए कहा- 'रॉयल्टी के लिए आप दिल्ली के लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं. क्योंकि आप मान रहे हैं कि अवैध खनन हो रहा है तो आपको मिलने वाली रॉयल्टी दिल्ली के लोगों को दे दीजिए. वहां अस्पतालों में लोगों की भीड़ लगी हुई है.' आपको बता दें कि गुड़गांव के रहने वाले पर्यावरणविद् चेतन अग्रवाल का कहना है कि अरावली के पहाड़ थार मरुस्थल के धूल भरे तूफानों को रोकने का काम करते हैं. साथ ही, इन पहाड़ों में बहुत सी दरारें हैं, जो पानी को जमीन में जाने का रास्ता देती हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को फटकार तो लगा दी है, लेकिन ये भी साफ हो गया है कि अवैध खनन चोरी-छिपे नहीं, बल्कि सरकार की आंखों के सामने ही हो रहा था. खुद सरकार ने भी अवैध खनन की बात कबूल की है. यानी सिर्फ रॉयल्टी के लिए राजस्थान सरकार प्राकृतिक धरोहर को नुकसान पहुंचाने दे रही थी. इससे ना सिर्फ प्राकृतिक धरोहर का नुकसान हुआ है, बल्कि दिल्ली में राजस्थान से आने वाली धूल के कारण प्रदूषण बढ़ने का खतरा भी पैदा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को 48 घंटों में अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए तो कह दिया है, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि इस पर रोक लगेगी या फिर अपनी 5000 करोड़ रुपयों की सालाना रॉयल्टी बचाने के लिए कोई बीच का रास्ता निकाला जाएगा.

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