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Updated: 29 सितम्बर, 2019 05:51 PM
विकास कुमार
विकास कुमार
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जम्मू-कश्मीर में धारा-370 खत्म किए जाने के बाद से पाकिस्तान पूरी तरह से बौखलाया हुआ है. वो भारत को हर रोज जंग की धमकी दे रहा है. पाकिस्तान भारत को कभी मिसाइल हमले की धमकी देता है तो कभी परमाणु हमले की. हालांकि, हम सबको पता है कि भारत से सीधे युद्ध करने की उसकी क्षमता नहीं है, लेकिन वो परोक्ष तौर पर कभी भी कोई बड़ा आतंकी हमला करवा सकता है. ऐसे में जवाबी कार्रवाई के लिए भारत को हमेशा तैयार रहना पड़ेगा. इसी के मद्देनजर मोदी सरकार सेना को युद्धस्तर पर आधुनिक हथियारों से लैस करने में जुटी हुई है. इसी कड़ी में सिर्फ इस महीने यानी सितंबर 2019 में भारत की जल, थल और नभ तीनों सेनाओं को कई ऐसे घातक हथियार मिले हैं, जो पाकिस्तान के किसी भी नापाक मंसूबे को नाकाम कर सकते हैं.

3 सितंबर: सेना में शामिल हुआ अपाचे हेलीकॉप्टर

पाकिस्तान की ओर से POK में आतंकियों के भारी जमावड़े की खुफिया जानकारी लगातार मिल रही है. ये आतंकी कश्मीर में घुसकर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में हैं. ऐसे में इस बात की संभावना भी प्रबल है कि भारत फिर से सीमा पार कोई सर्जिकल स्ट्राइक करे, जिसमें अपाचे जैसे हेलीकॉप्टर का अहम रोल हो सकता है. भारतीय सेना में अमेरिका से खरीदे गए 8 अपाचे हेलीकॉप्टर इसी महीने शामिल किए गए हैं. इन हेलीकाप्टर्स की मदद से सेना दुर्गम सीमावर्ती इलाकों में दुश्मन के खिलाफ बड़े अभियानों को अंजाम दे सकेगी. इसी वजह से इसे पाकिस्तान सीमा के निकट पठानकोट एयरबेस पर तैनात किया गया है.

अपाचे हेलीकॉप्टर की खासियत

- हेलीकॉप्टर अपाचे एक मिनट में 128 लक्ष्यों पर निशाना लगाने में सक्षम है.

- अपाचे हेलीकॉप्टर के नीचे लगी राइफल में एक बार में 30एमएम की 1200 गोलियां भरी जा सकती हैं.

- 16 एंटी टैंक मिसाइल छोड़ने की क्षमता के चलते सबसे खतरनाक है अपाचे.

- 02 इंजन होने के कारण हेलीकॉप्टर की रफ्तार बहुत ज्यादा है.

- अपाचे हेलीकॉप्टर एक बार में 3 घंटे से ज्यादा समय तक उड़ सकता है.

13 सितंबर: तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग

भारतीय वायुसेना के बेड़े में एक बड़ा हिस्सा रूस से खरीदे गए मिग-21 का है, जो बहुत पुराना हो गया है. ये विमान अक्सर हवा में ही क्रैश हो जाता है, जिससे वायुसेना को जानमाल का काफी नुकसान हो रहा है. इस विमान का ये हाल है कि इसे हवा में उड़ता हुआ ताबूत कहा जाने लगा है. ऐसे में इसकी जगह दूसरे विमानों की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही है. इसी को ध्यान में रखकर पूरी तरह से स्वदेशी विमान तेजस को तैयार किया गया है. कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी तेजस में उड़ान भरी थी. तेजस लड़ाकू विमान का ही एडवांस वर्जन है 'तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट' (LCA). इस विमान की खासियत है कि यह किसी युद्धपोत पर भी लैंड कर सकता है, जिसे अरेस्टेड या नियंत्रित लैंडिंग कहते हैं. अरेस्टेड लैंडिंग के लिए एयरक्राफ्ट के पीछे के हिस्से में मजबूत स्टील के वायर से जोड़कर एक हुक लगाया जाता है. लैंडिंग के दौरान पायलट को यह हुक युद्धपोत या शिप में लगे स्टील के मजबूत केबल्स में फंसानी होती है, ताकि जैसे ही प्लेन रफ्तार कम करते हुए डेक पर उतरे, वैसे ही हुक तारों में पकड़कर उसे थोड़ी दूरी पर रोक ले. तेजस को अब इस खूबी से भी लैस कर दिया गया है, जिसका सफल परीक्षण इसी महीने 13 सितंबर को हुआ. तेजस यह मुकाम पार करने वाला देश का पहला एयरक्राफ्ट बन गया है.

भारतीय सेना, पाकिस्तान, अपाचे, राफेलइस विमान की खासियत है कि यह किसी युद्धपोत पर भी लैंड कर सकता है, जिसे अरेस्टेड या नियंत्रित लैंडिंग कहते हैं.

तेजस की खासियत

- अरेस्टेड लैंडिंग की तकनीक दुनिया में सिर्फ 5 देशों द्वारा निर्मित विमानों में ही मौजूद है.

- एयरक्राफ्ट कैरियर के छोटे रनवे में फाइटर जेट की लैंडिंग कराने के लिए यह तकनीक अहम है.

- कम ऊंचाई पर उड़कर यह दुश्मन पर नजदीक से सटीक निशाना साध सकता है.

- यह दुश्मन के रडार को चकमा देने में माहिर है.

- तेजस हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मिसाइल दागने में सक्षम है.

- तेजस में एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं.

- डर्बी और अस्त्र मिसाइल से भी लैस हो सकता है तेजस.

- तेजस लड़ाकू विमान के जरिए लेजर गाइडेड बम से दुश्मनों पर हमला किया जा सकता है.

- आधुनिक रडार और मिसाइल जैमर से भी इस लड़ाकू विमान को लैस किया गया है.

- ध्वनि की गति से दोगुनी रफ्तार से उड़ान भरने वाला 'तेजस' 2222 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भरने में सक्षम है

- तेजस एक बार में 3850 किमी की दूरी तक उड़ान भरने की काबीलियत रखता है.

15 सितंबर: शुरू हुई 'स्पाइस' की आपूर्ति

स्पाइस (SPICE), जिसके नाम से ही समझ में आ जाता है कि यह दुश्मनों के लिए कितना ‘तीखा’ है. नाम के मुताबिक ही काम करते हुए स्पाइस-2000 बम बालाकोट एयर स्ट्राइक में अपनी क्षमता का लोहा मनवा चुका है. इजरायल से इसी महीने (15 सितंबर) से भारतीय वायु सेना को स्पाइस 2000 के एडवांस वर्जन की आपूर्ति भी शुरू हो गई है. इस बम का प्रयोग फ्रांसीसी मूल के मिराज 2000 लड़ाकू विमानों में किया जाता है. यह बम अचूक निशाने के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है और इसकी कुछ खासियतें इसे सबसे घातक बना देती हैं.

- SPICE-2000 एक 'गाइडेंस किट' है, जो एक स्टैंडर्ड वॉरहेड या बम से जुड़ी होती है.

- यह बम किसी भी प्रकार की बिल्डिंग और बंकर को तबाह करने में सक्षम है.

- लेजर गाइडेड होने के कारण इस बम को लक्ष्य से काफी दूर होने पर भी दागा जा सकता है.

- लक्ष्य की गति के हिसाब से यह बम खुद ही अपने रास्ते को बदलने में सक्षम है.

- इस स्मार्ट बम के शीर्ष पर एक कैमरा लगा होता है जो लक्ष्य को साधने में मदद करता है.

- दो वर्जन वाली इस मिसाइल में कई एडवांस सेंसर्स और फीचर्स हैं, जो इसे हर मौसम में कारगर बनाते हैं.

- पायलट इसे फायर करने के बाद भूल भी जाएं तो भी मिसाइल अपना काम कर देगी, इसीलिए इसे Fire and Forget मिसाइल कहा जाता है.

- राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम द्वारा निर्मित इस बम का प्रयोग भारत और इजरायल के साथ कई देशों की वायुसेना करती है

18 सितंबर: 'अस्त्र' का सफल परीक्षण

पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के बीच 18 सितंबर को DRDO ने हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र का सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल दुश्मन को हवा में ही मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है. यह मिसाइल अपने दुश्मनों को 70 किलोमीटर दूर से ही उड़ाने में सक्षम है. मतलब साफ है कि अगर पाकिस्तान ने अब भारत की सीमा के आसपास फटकने का भी प्रयास किया तो उसके फाइटर प्लेन को आसमान में ही आसानी से नष्ट कर दिया जाएगा.

कई खूबियों से लैस है भारतीय 'अस्त्र'

- अस्त्र एक BVR यानी 'बियोंड विजुएल रेंज' वाली हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है.

- अस्त्र मिसाइल की रेंज 70 किमी है, जो हवा में ही दुश्मन द्वारा छोड़ी गई मिसाइल को खत्म कर सकती है.

- अस्त्र का इस्तेमाल किसी भी तरह के मौसम में किया जा सकता है. इसे एक्टिव रडार टर्मिनल गाइडेंस से लैस किया गया है.

- DRDO की तरफ से अभी इसका परीक्षण Su-30MKI एयरक्राफ्ट के साथ किया गया है. भविष्य में इसका इस्तेमाल अन्य लड़ाकू विमानों के साथ भी किया जा सकता है.

- इस मिसाइल को मिराज-2000 H, Mig-29, Mig-29K, LCA तेजस, Mig-21 बायसन और सुखोई एसयू-30 एमकेआई विमानों में लगाने के लिए विकसित किया गया है.

20 सितंबर: फ्रांस से मिला पहला राफेल

पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर बड़ी तादाद में आतंकियों को मार गिराया था. इसके बाद पाकिस्तान ने भी अपने F-16 लड़ाकू विमान से भारत में मिसाइल दागे थे, जिसे विंग कमांडर अभिनंदन ने मिग-21 के जरिए पाकिस्तान में घुसकर मार गिराया. हालांकि इस दौरान मिग-21 भी क्रैश हो गया और पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को बंधक बना लिया. हालांकि, भारत के कूटनीतिक दबाव में पाकिस्तान को अभिनंदन को 48 घंटे के अंदर छोड़ना पड़ा. इस पूरे ऑपरेशन के दौरान जिस चीज की सबसे ज्यादा कमी खली, वो थी राफेल जैसे घातक लड़ाकू विमान की कमी. अगर ऐसा फाइटर जेट भारत के पास होता तो हमें पाकिस्तान में घुसने की भी जरूरत नहीं पड़ती और हम अपनी सीमा में रहकर ही पाकिस्तानी टारगेट को ध्वस्त कर देते. अब चिंता खत्म होने वाली है, क्योंकि फ्रांस से पांचवीं पीढ़ी का हाइपर टेक्नोलॉजी वाला पहला राफेल विमान हमें मिल गया है. इसे 8 अक्टूबर को विधिवत भरतीय सेना में शामिल भी कर लिया जाएगा. इसके बाद पाकिस्तान फिर कोई दुस्साहस करने की हिम्मत भी नहीं कर पाएगा.

राफेल की खासियत उसे बनाती है खास

- यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है, जो भारतीय वायुसेना की पहली पसंद है. हर तरह के मिशन में भेजा जा सकता.

- अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगा राफेल, प्लेन के साथ मेटेअर मिसाइल भी है.

- राफेल में 150 किमी की बियोंड विज़ुअल रेंज मिसाइल और हवा से जमीन पर मार वाली स्कैल्प मिसाइल भी लगाई जा सकती है. आपको बता दें स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किमी है.

- इसकी अधिकतम स्पीड 2,130 किमी. प्रति घंटा है और 3700 किमी. तक मारक क्षमता है.

- यह 1 मिनट में 60,000 फ़ुट की ऊंचाई तक जा सकता है और 4.5 जेनरेशन के ट्विन इंजन से लैस है.

- 24,500 किलो उठाकर ले जाने में सक्षम और 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की गारंटी.

- 75% विमान हमेशा ऑपरेशन के लिए तैयार रहता है और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है.

28 सितंबर: नौसेना में शामिल हुई 'खांदेरी' पनडुब्बी

पाकिस्तान पर पिछली दो सैन्य स्ट्राइक थल सेना और वायुसेना के द्वारा की गईं, लेकिन अब पाकिस्तान पुलवामा जैसी कोई दूसरी हिमाकत करता है तो उसे करारा जवाब देने के लिए नौसेना भी पूरी तरह से तैयारी में जुटी है. इसी के मद्देनजर इसी महीने 28 सितंबर को खांदेरी सबमरीन को नौसेना में शामिल कर लिया गया है. स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस 'खांदेरी' को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई में नौसेना में शामिल किया. यह पनडुब्बी अत्याधुनिक सुविधाओं से पूरी तरह से लैस है.

- 'खांदेरी' ऐसी तकनीक है कि यह दुश्मन देशों की नेवी के रडार पर नजर नहीं आएगी.

- 'खांदेरी' पनडुब्बी एंटी सबमरीन मिसाइल से लेकर परमाणु झमता वाली मिसाइल से भी लैस है.

- 'खांदेरी' दुश्मनों पर सटीक हमला करने में सक्षम है.

- 'खांदेरी' पनडुब्बी हर तरह के मौसम और युद्धक्षेत्र में संचालन कर सकती है.

- 'खांदेरी' सतह-रोधी युद्ध क्षमता, पनडुब्बी-रोधी युद्ध क्षमता, खुफिया जानकारी जुटाने और क्षेत्र की निगरानी करने की क्षमता से लैस है.

इसके अलावा 28 सितंबर को ही P-17A सीरीज के पहले युद्धपोत आईएनएस नीलगिरि को भी लॉन्च किया गया. साथ ही इसी दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विमानवाहक पोत के ड्राइडॉक की आधारशिला भी रखी. आईएनएस नीलगिरि और सबमरीन खांदेरी मिलने के बाद अब नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. बता दें, समुद्र में भारत को पाकिस्तान से ज्यादा चुनौती चीन से है, जो हिंद महासागर में लगातार अपनी ताकत को बढ़ाने में लगा हुआ है. ऐसे में युद्धस्तर पर चल रही ये तमाम तैयारियां ना सिर्फ पाकिस्तान को, बल्कि चीन को भी संदेश देती हैं कि अगर भारत के खिलाफ कोई भी नापाक हरकत की तो उसका अंजाम भुगतना पड़ेगा.

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लेखक

विकास कुमार विकास कुमार @100001236399554

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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