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Updated: 14 मई, 2021 11:18 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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यूथ कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी (Srinivas BV) से दिल्ली पुलिस की पूछताछ ने राजनीतिक रंग ले लिया है - राहुल गांधी ने तो दबी जबान में कटाक्ष किया है, लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस वाकये को मोदी सरकार का रेड-राज करार दिया है.

कांग्रेस (Congress) प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने श्रीनिवास बीवी से दिल्ली पुलिस की पूछताछ को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है - और पूछ रहे हैं कि क्या मुसीबत में ऑक्सीजन पहुंचाना अपराध है?

यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी की कोरोना संकट के दौरान सोशल मीडिया पर काफी तारीफ हो रही है - और देश के सामने आयी मुसीबत की सबसे बड़ी घड़ी में वो कोरोना संक्रमित लोगों को ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं से लेकर भोजन तक मुहैया करा रहे हैं.

कोरोना संकट में सोनू सूद के बाद राजनीतिक क्षेत्र से श्रीनिवास बीवी भी वैसे ही लोगों की मदद करते आ रहे हैं, जैसे जेल भेजे जाने से पहले तक बिहार के लोग पप्पू यादव की तरह आखिरी वक्त में भी उम्मीद भरी नजरों से देखते रहे - और बड़ी बात ये रही है कि तीनों की ही कोशिश किसी को निराश न करने की होती है, लेकिन जिस तादाद में इनके पास मदद की गुहार पहुंचती है पूरा करना काफी मुश्किल होता है.

ऐसे में जबकि लगता है जैसे सरकारी मशीनरी जवाब दे गयी है और यूपी जैसे राज्यों में ऑक्सीजन की कमी बताने वालों पर एनएसए लागू करने और उनकी संपत्ति सीज कर लिये जाने के मुख्यमंत्री की तरफ से आदेश मिल रहे हों - ये मददगार भी कहीं कहीं उस राहगीर जैसा महसूस करने लगे हैं जो मार्च, 2016 से पहले किसी घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाते वक्त भी डरा रहता था कि पुलिस कहीं उसी को फंसा न दे.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला सवाल तो उसी तरीके से उठा रहे हैं, लेकिन ये नहीं सोच रहे हैं कि श्रीनिवास बीवी और पप्पू यादव के केस का फर्क लोग समझेंगे तो कांग्रेस की क्या छवि उनके मन में उभरेगी?

रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि आज देश के हर व्यक्ति को ये फैसला करना होगा कि क्या मुसीबत में फंसे किसी इंसान की मदद करना गुनाह है? क्या रेमडेसिविर इंजेक्शन की तलाश में मरते हुए व्यक्ति की मदद करना गुनाह है - दवा पहुंचाना गुनाह है?

समझने वाली बात ये है कि दिल्ली पुलिस ने श्रीनिवास बीवी से ये पूछताछ दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर की है - और श्रीनिवास बीवी कोई पहले नेता नहीं हैं जिनसे ऐसी पूछताछ हुई है.

सवाल ये है कि पहले से ही विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही कांग्रेस ने अदालती आदेश को केंद्र में सत्ताधारी पार्टी की तरफ से राजनीतिक कार्रवाई के रूप में देश के सामने पेश कर क्या हासिल करना चाहती है - और कांग्रेस को इससे कोई फायदा या बीजेपी को कोई नुकसान भी हो सकता है क्या?

मुसीबत में फंसे आदमी के मददगारी की मुश्किल और पार्टी-पॉलिटिक्स

मार्च, 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस केएस राधाकृष्णन कमेटी की सिफारिश पर बनी केंद्र सरकार की गाइडलाइन को मंजूरी दे दी थी - और तभी से पूरे देश में ये लागू हो गया कि सरेराह पड़े घायल व्यक्ति के मददगार किसी भी क्रिमिनल या सिविल केस के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे. साथ ही कुछ और भी महत्वपूर्ण बातें बताई गयी हैं - घायल के बारे में पुलिस या अस्पताल को सूचना देने वाले को पेश होकर ब्योरा नहीं देना होगा, मददगार को निजी जानकारियां देना उसकी मर्जी पर निर्भर करेगा न कि अनिवार्य शर्त होगी और अगर कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी ऐसा करन के लिए दबाव डालता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कोरोना संकट में संक्रमित व्यक्ति के मददगार को भी इसी दलील के साथ पेश कर रहे हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि ये बातें पूरी तरह लागू हों हीं. सक्षम अधिकारी विवेकाधिकार से फैसला जरूर ले सकता है. वैसे मानवीय आधार पर कानून में बहुत सारी छूट भी दी जाती है - और उम्रकैद की सजा तक माफ हो जाती है. हां, उसके लिए सरकार को अदालत में दरख्वास्त देनी पड़ती है.

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रणदीप सुरजेवाला अगर पप्पू यादव की गिरफ्तारी को लेकर बिहार सरकार और उसके जरिये केंद्र की मोदी सरकार या नाम लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी सवाल खड़ा करते तो अनसुना करना किसी के लिए भी संभव नहीं होता, लेकिन श्रीनिवास बीवी के केस को भी पप्पू यादव की तरह या रास्ते में पड़े किसी घायल व्यक्ति मदद की तरह पेश करना सही नहीं लगता.

बेशक श्रीनिवास बीवी फिलहाल देश भर में कोरोना पीड़ित मरीजों और उनके घर वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए आखिरी उम्मीद बने हुए हैं - और उनका काम भी किसी भी मायने में सोनू सूद या पप्पू यादव जैसा ही है या बढ़कर भी हो सकता है, लेकिन दिल्ली पुलिस की पूछताछ को पॉलिटिकल एक्शन के तौर पर पेश करना गले के नीचे नहीं उतर रहा है.

प्रेस कांफ्रेंस में जब बुनियादी फर्क बताते हुए एक पत्रकार ने पूरे सम्मान के साथ रणदीप सुरजेवाला से सवाल किया तो आपे से बाहर हो गये. हर शब्द से पत्रकार को जलील करने की कोशिश करते हुए श्रीनिवास बीवी के कामों को आधार बनाकर मोदी सरकार का एक्शन बताकर सवाल खड़े करने लगे. पत्रकार से भी उनको ये अपेक्षा होने लगी कि वो क्यों नहीं एक नागरिक होने के नाते श्रीनिवास बीवी से दिल्ली पुलिस की पूछताछ को उनकी तरह निंदा कर रहा है?

रणदीप सुरजेवाला का ये सवाल बिलकुल सही है कि मुश्किल में हर इंसान की मदद करना महत्वपूर्ण है - और इसके लिए किसी को सरकार परेशान भी नहीं कर सकती है. रणदीप सुरजेवाला के इस तर्क से किसी को भी आपत्ति भी नहीं हो सकती, लेकिन एक अदालती आदेश के पुलिस की तरफ से अनुपालन को सत्ताधारी दल के पॉलिटिकल एक्शन के रूप में पेश करने की कोशिश किसी के भी गले नहीं उतरने वाली.

श्रीनिवास बीवी की ही तरह दिल्ली पुलिस उनसे पहले बीजेपी नेता हरीश खुराना और आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे से भी पूछताछ कर चुकी है - और दिल्ली से बीजेपी सांसद गौतम गंभीर से भी पुलिस ने कुछ जानकारियां मांगी हैं - क्योंकि वो भी कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवा फैबीफ्लू लोगों को मुफ्त में बांट रहे हैं.

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बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने 25 अप्रैल को ऐलान किया था कि वो दिल्लीवालों को कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवा फैबीफ्लू (Fabiflu) मुफ्त में तो देंगे ही, साथ में ऑक्सीजन सिलिंडर भी मुहैया कराएंगे.

जब दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी का मामला अस्पतालों की तरफ से अर्जियों के जरिये दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा तो सुनवाई के दौरान गौतम गंभीर की समाज सेवा का भी जिक्र हुआ, लेकिन सवाल उठाते हुए.

दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल किया कि क्या गौतम गंभीर कोविड-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही दवाएं बड़ी मात्रा में खरीदने और लोगों के बीच बांटने में सक्षम हैं? जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ का सीधा सा सवाल था - कैसे किसी व्यक्ति को ऐसी दवा बांटने की अनुमति दी जा सकती है? क्या उनके पास इसके लिए लाइसेंस है?

मीडिया के जरिये ये चर्चा आगे बढ़ी और फिर एक एनजीओ के अध्यक्ष और निशानेबाज दीपक सिंह की तरफ से याचिका दायर कर कोरोना संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं बांटने के मामले में मुकदमा चलाये जाने और सीबीआई जांच की मांग की गयी. हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश से तो इंकार कर दिया लेकिन आदेश दिया कि दिल्ली पुलिस केस की जांच करे.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत दिल्ली पुलिस आयुक्त के पास करने को कहा. साथ ही पुलिस आयुक्त को जांच के बाद शिकायत करने वाले को जवाब देने के लिए भी कहा. अदालत ने पुलिस को दिये आदेश में साफ तौर पर कहा कि जांच के दौरान अगर किसी अपराध का पता चलता है तो दिल्ली पुलिस FIR दर्ज कर कार्रवाई करे. कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया - अगली सुनवाई 17 मई को होनी है.

याचिका में सवाल किया गया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत आवश्यक दवाइयां ये नेता कैसे बगैर अनुमति खरीद ले रहे हैं, जबकि आम लोगों के ये मिल ही नहीं रही हैं. कहा गया कि राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा करना गंभीर अपराध है क्योंकि देश भर में मरीजों को वक्त रहते दवाइयां न मिल पाने से लोगों की जान चली जा रही है.

श्रीनिवास बीवी के सपोर्ट में ट्विटर पर #IStandWithIYC ऊपर ही ट्रेंड कर रहा है - और इसी हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी एक ट्वीट किया है - राहुल गांधी ने ट्वीट में साफ साफ तो कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन ये जरूर साफ है कि उनके भी निशाने पर मोदी-शाह ही हैं.

राहुल गांधी ने जो कहा है वो तो बिलकुल वैसे ही राजनीतिक बयान है जैसे कई घटनाओं को लेकर कुछ नेताओं के ट्वीट में लिखा रहता है - सत्यमेव जयते!

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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