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Updated: 23 मई, 2021 08:46 PM
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पप्पू यादव (Pappu Yadav) का काम बोल रहा था, तभी बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का एक्शन बोलने लगा - और जब ये सब हो रहा है तो लालू यादव (Lalu Yadav) का पूरा परिवार खामोश है.

ऐसे में जबकि कोविड महामारी की चपेट में आयी हर नजर पप्पू यादव की तरफ आखिरी उम्मीद से देख रही थी, बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने पूर्व सांसद और जन अधिकारी पार्टी के नेता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है - जाहिर है निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही निशाने पर रहेंगे.

नीतीश कुमार निशाने पर विपक्षी पार्टी आरजेडी के भी हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि लालू यादव की पार्टी के निशाने पर पप्पू यादव भी हैं - और आरजेडी प्रवक्ता पप्पू यादव की गिरफ्तारी को नौटंकी बताते हुए दोनों की मिली भगत की राजनीति बता रहे हैं.

देखा जाये तो एक अरसे से पप्पू यादव बिहार के सोनू सूद बने हुए हैं - हर गाढ़े वक्त में अगर जरूरतमंद लोगों तक कोई पहुंच भी सका है तो वो पप्पू यादव के मदद के हाथ ही रहे हैं. पटना में बाढ़ के वक्त ये पप्पू यादव ही रहे जो नाव लेकर घर घर दूध-ब्रेड और दवाएं पहुंचा रहे थे - और जब कोविड महामारी के चलते सरकारी व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है तो पप्पू यादव की लोगों कोविड मरीजों को दवा और ऑक्सीजन से लेकर खाने तक के इंतजाम कर रहे हैं.

सोशल मीडिया पर पप्पू यादव की रिहाई के ट्रेंड चल रहे हैं. पप्पू यादव को गिरफ्तार करके जब पुलिस ले जा रही थी तो सड़क के दोनों किनारे लोग खड़े थे और जगह जगह पप्पू यादव के समर्थक पुलिस की गाड़ी के आगे ही सड़क पर लेट जा रहे थे.

ये समझना जरूरी हो गया है कि आखिर नीतीश सरकार ने पप्पू यादव को गिरफ्तार कर रातों रात हीरो बनाने का जोखिम क्यों लिया?

सोनू सूद को लेकर भी शिवसेना ने सामना में लिखा था कि एक व्यक्ति को रातों रात हीरो बना दिया जाता है - और फिर मालूम हुआ बीएमसी ने हाई कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में सोनू सूद को हैबिचुअल ऑफेंडर बता डाला था. सोनू सूद अपने होटल में कुछ निर्माण को लेकर बुरी तरफ घिरे हुए थे और मातोश्री से लेकर शरद पवार के घर तक हाजिरी लगाते फिर रहे थे - आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया तब कहीं जाकर चैन मिली.

ये कैसी विडम्बना है - लोक कल्याण के लिए बनी सरकारें लोगों की मदद नहीं कर पा रही हैं और ऐसे में अगर कोई मदद के लिए आगे आता है तो उसके साथ ऐसे ऐसे सलूक होने लगते हैं. सोनू सूद को तो सरकारी दफ्तरों और अदलतों के चक्कर ही काटने पड़े, पप्पू यादव को तो जेल तक जाना पड़ गया - वो भी तब जबकि हाल ही में उनका ऑपरेशन हुआ है.

पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद बिहार में एक नैरेटिव चल रहा है कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए पप्पू यादव को हीरो बना रहा है - लेकिन कितनी अजीब बात है. अभी न तो कोई चुनाव है और न ही कोई राजनीतिक संकट, भला ऐसे में नीतीश कुमार लोगों की नाराजगी मोल लेने के जोखिम पर ऐसी राजनीति के चक्कर में क्यों पड़ेंगे?

पप्पू यादव की गिरफ्तारी में तमाम राजनीतिक लोचे देखने को मिल रहे हैं - डबल इंजिन वाली सरकार में ये एक ही चाणक्य का फैसला है या इसमें भी डबल रोल है?

और सबसे बड़ा ताज्जुब तो ये है कि बात बात पर एक साथ पांच पांच ट्वीट करने वाला लालू यादव के परिवार को लगता है जैसे सांप सूंघ गया हो, लेकिन ऐसे सवालों के जवाब में पप्पू यादव ने जो कुछ भी तेजस्वी यादव और लालू परिवार के लोगों के लिए कहा है - उसमें हर कोई कठघरे में खड़ा नजर आने लगा है.

पप्पू यादव की पॉलिटिक्स

पप्पू यादव के ट्विटर प्रोफाइल में साफ साफ लिखा है - "सिर्फ राजनीति और कुछ भी नहीं."

और जिस तरीके से पप्पू यादव बिहार के लोगों के दिलों में जगह बनाने के बाद नीतीश कुमार की जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार के जेल भेज देने के बाद हीरो बन कर उभरे हैं, लगता तो ऐसा ही है जैसे ओम् शांति ओम् में शाहरूख खान का डायलॉग कानों में गूंज रहा हो - “अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है."

राजनीति को सर्वोपरि बताने वाले पप्पू यादव ज्यादा सुर्खियां समाजसेवा से बटोर रहे हैं और ऐसा काफी दिनों से हो रहा है - क्योंकि चुनावों में तो पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी चारों खाने चित्त हो जा रही है.

pappu yadavपप्पू यादव की सेवा की सियासत बिहार में लालू यादव की जाति की राजनीति पर भारी पड़ने लगी है

पप्पू यादव सांसद रहे हैं और पति-पत्नी दोनों के एक साथ अलग अलग पार्टियों से लोक सभा सांसद रहने का रिकॉर्ड भी बना चुके हैं - 2014 में पप्पू यादव मधेपुरा से आरजेडी के टिकट पर संसद पहुंचे थे जबकि उनकी पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस के टिकट पर सुपौल से.

फिलहाल पप्पू यादव को सुपौल की ही वीरपुर जेल में रखा गया है - सुपौल की पूर्व सांसद रंजीत रंजन ने नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोला है. रंजीत रंजन ने ट्विटर पर सीधे सीधे लिख डाला है कि अगर पप्पू यादव को कुछ हुआ तो 'मुख्यमंत्री आवास से घसीट कर अगर चौराहे पर नहीं खड़ा किया तो मेरा नाम रंजीत रंजन नहीं.'

जेल जाने से पहले पप्पू यादव भी लालू यादव की तरह बता गये हैं कि उनके लौटने तक उनकी टीम उनकी बातें लोगों से शेयर करती रहेगी. ट्विटर पर पप्पू यादव की टीम लगतार अपडेट दे रही है, लेकिन हर किसी को हैरानी लालू परिवार की चुप्पी पर हो रही है. अब तक तो यही देखने को मिला है कि किसी भी मुद्दे पर कम से कम पांच ट्विटर हैंडल से किसी भी मुद्दे पर मिलती जुलती बातें पोस्ट की जाती हैं. ये हैं - लालू प्रसाद यादव, तेजस्‍वी यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती और रोहिणी आचार्य के ट्वटिर हैंडल. कभी कभी किसी मुद्दे पर राबड़ी देवी के ट्विटर हैंडल से भी ऐसे ट्वीट किये जाते हैं - और ऐसा दिन में कई बार होता है. राज्य सभा सांसद मीसा भारती और रोहिणी आचार्य लालू यादव की बेटियां हैं.

बाहर की बदइंतजामियों पर लगातार शोर मचाने वाले पप्पू यादव जेल पहुंच कर भी भूख हड़ताल पर बैठ गये हैं - और ये जानकारी भी उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दी गयी है.

पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद ऐसा बिलकुल नहीं है कि सिर्फ यादव समुदाय को तकलीफ हुई है, बल्कि समाज का हर तबका नीतीश कुमार सरकार के इस कदम से गुस्से में है.

हर वो तबका गुस्से में है जिसे पप्पू यादव से कभी न कभी मदद मिली है - चाहे पटना में आयी बाढ़ के वक्त चाहे अभी कोरोना महामारी के वक्त. किसी को दवा की जरूरत पड़ी तो वो भी मिली. किसी को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी तो वो भी मिली - और कोई भूखे था तो उसे खाना भी मिला.

पप्पू की गिरफ्तारी से आम लोग ही नहीं राजनीति में भी पार्टीलाइन आड़े नहीं आ रही है. हर राजनीतिक दल में नेताओं की भी खासी तादाद है. पटना में सत्ता के गलियारों में घूमने वाले और उन पर नजर रखने वाले किसी भी शख्स से भी बात कीजिये - वो पप्पू यादव की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए सत्ता पक्ष के लोगों का नाम लेकर ठेठ अंदाज में गाली देते हुए ही बात कर रहा है.

पप्पू यादव के नाम पर हर पार्टी में बंटवारा हो गया है - और चाहे वो आरजेडी हो, जेडीयू हो या फिर बीजेपी. बीजेपी नेता आधिकारिक तौर पर भले ही नाराजगी जाहिर करें, लेकिन बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूड़ी के खिलाफ पप्पू यादव के एक्शन को गलत नहीं मानने वाले नेताओं की संख्या भी काफी है. जेडीयू में तो पप्पू यादव के पक्ष और विपक्ष में साफ साफ बंटवारा हो गया है. पप्पू यादव के खिलाफ नीतीश सरकार के एक्शन से हर कोई खफा है.

नीतीश की फजीहत और लालू परिवार की मुश्किल

जिस दिन लालू यादव जेल से रिहा हुए उसी दिन उनके बेहद करीबी और बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की मौत की खबर मिली - और अभी दिल्ली में अपनी बेटी मीसा भारती के पास कुछ दिन खुली हवा में सांस लिये हैं कि पप्पू यादव की गिरफ्तारी ने नयी मुश्किल में डाल दिया है.

अपनी पार्टी बनाने से पहले पप्पू यादव ने राजनीति की शुरुआत लालू यादव की आरजेडी के साथ ही की थी. जब पप्पू यादव आरजेडी सांसद थे तो बताते नहीं थकते थे कि कैसे लालू यादव उनको मानस-पुत्र मानते हैं. ये सब बताने के पीछे मकसद एक ही रहा - आरजेडी में लालू यादव का उत्तराधिकारी बनने की कोशिश. रास्ते में कोई रोड़ा न आये इसलिए वो तेजस्वी यादव को कमतर करके प्रोजेक्ट करते थे.

तभी एक दिन लालू यादव ने साफ कर दिया कि वो अपनी पार्टी आरजेडी की विरासत तेजस्वी यादव को ही सौंपेंगे, किसी और को तो बिलकुल नहीं है. सच भी यही है कि बड़े बेटे को दरकिनार करते हुए लालू यादव ने तेजस्वी को ही अपनी विरासत सौंपी है.

ये भी तब की ही बात है जब लालू यादव ने कहा था, 'बेटा वारिस नहीं होगा तो क्या भैंस चराएगा?' - और उसके कुछ दिन बाद ही लालू यादव ने पप्पू यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

लालू का साथ छूटने के बाद पप्पू यादव को यादव कम्युनिटी का साथ नहीं मिला. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी पूरा यादव वोट लालू परिवार की पार्टी आरजेडी के ही खाते में गया और समाजसेवा में दुआएं बटोर लेने वाले पप्पू यादव राजनीति में थोड़े से वोट के लिए भी मोहताज रहे. फिर भी पप्पू यादव लोगों की सेवा से कभी पीछे नहीं हटे - और कोरोना वायरस की महामारी में जहां पूरे देश का सिस्टम फेल हो चुका है, पप्पू यादव लगातार लोगों को मदद पहुंचाते रहे.

बिहार में चर्चा ये भी है कि आरजेडी की तरफ से पप्पू यादव की गिरफ्तारी के विरोध एक ट्वीट किया तो गया था, लेकिन बाद में उसे हटा लिया गया. बिहार की राजनीति का आलम ये है कि तेजस्वी यादव या कुछ मामलों में उनको कृष्ण और खुद को अर्जुन बताते हुए सामने आने वाले तेज प्रताप यादव भी सीन से नदारत हैं. आरजेडी की तरफ से रिएक्ट करने के लिए कुछ नेताओं और प्रवक्ता को आगे कर दिया गया है.

ये तो आसानी से समझा जा सकता है कि लालू परिवार यादव वोटों को लेकर बुरी तरह डरा हुआ है - और डैमेज कंट्रोल के मकसद से ऐसी पॉलिटिकल लाइन ली गयी है कि बीच का रास्ता निकाला जा सके. आरजेडी प्रवक्ता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठ कर पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर अजीब तरीके से ज्ञान दे रहे हैं.

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी समझाते हैं, ये पप्पू यादव और नीतीश सरकार के बीच सेटिंग है. फिर बताते हैं कि दोनों की मिलीभगत से गिरफ्तारी का नाटक रचा गया है. अगर पप्पू यादव को गिरफ्तार करना होता तो बहुत पहले ही ऐसा किया जा सकता था.

दरअसल, आरजेडी प्रवक्ता समझाने की कोशिश करते हैं कि जिस तरह से पप्पू यादव सरकार के खिलाफ हमलावर रहे हैं, बहुत पहले ही एक्शन ले लिया गया होता.

पप्पू यादव की गिरफ्तारी नीतीश सरकार ने की है - और कोई दो राय नहीं कि नीतीश सरकार भी पप्पू यादव से काफी परेशान रही है. पप्पू यादव लगातार सरकार पर हमलावर रहे हैं - और स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने में जुटे हुए थे. वो सीधे अस्पतालों में पहुंच जाते थे और बदइंतजामी उजाकर कर देते रहे.

लालू परिवार की खामोशी का राज नीतीश कुमार और बीजेपी तो समझ ही रहे हैं, पप्पू यादव को भी सब मालूम है ही, तभी तो तेजस्वी यादव को नसीहत मिलती है - और ये पप्पू यादव अपनी ही स्टाइल मे देते हैं. पप्पू यादव पत्रकारों के पूछने पर कहते हैं, तेजस्वी अस्पताल में मरीजों के बीच जाये और उनकी सेवा करें. जरूरतमंदों की मदद के लिए बाहर निकलें - उनके लिए दवायें और ऑक्सीजन का इंतजाम करें.

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