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Updated: 03 फरवरी, 2020 12:54 PM
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कांग्रेस नेतृत्व (Sonia Gandhi) दिल्ली को हाल के विधानसभा चुनावों से थोड़ा अधिक गंभीरता से ले रहा है. एक वजह सब कुछ दिल्ली में होना हो सकती है, बाकी तो बीते चुनावों से मिले कुछ सबक भी हो सकते हैं.

हाल के तीन चुनावों में सिर्फ हरियाणा में सोनिया गांधी की एक रैली तय हुई थी, लेकिन आखिरी वक्त में वो भी रद्द कर दी गयी - और फिर राहुल गांधी ने वहां पहुंच कर चुनाव प्रचार किया. स्टार प्रचारकों की सूची में नाम तो सभी (Gandhi Family) के होते थे, लेकिन न तो महाराष्ट्र और न ही हरियाणा दोनों ही चुनावों में प्रियंका गांधी की कोई रैली नहीं हुई. बताया गया कि प्रियंका गांधी चूंकि यूपी चुनाव 2022 पर फोकस कर रही हैं इसलिए वो दूसरे राज्यों के चुनाव प्रचार से परहेज कर रही हैं. कुछ ही दिन बाद झारखंड चुनाव हुए तो प्रियंका गांधी रैली करने पहुंच गयीं - ऐसा क्यों हुआ ये तो नहीं बताया गया, लेकिन समझ में ये जरूर आया कि राहुल गांधी के 'रेप इन इंडिया' वाले बयान पर मचे बवाल के चलते ऐसा किया गया होगा.

बहरहाल, दिल्ली चुनाव (Delhi Election 2020) को लेकर खबर यही पक्की हुई है कि राहुल गांधी के साथ साथ प्रियंका गांधी तो चुनाव प्रचार करेंगी है - साथ में सोनिया गांधी भी दिल्ली में एक रैली करने वाली हैं. हालांकि, तबीतय खराब होने के कारण उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराना पड़ा है. दिल्ली में 8 फरवरी को वोटिंग है और सोनिया गांधी की ये रैली 5 फरवरी को होने वाली थी. फिलहाल ये तय नहीं है कि सोनिया गांधी इस रैली को संबोधित करेंगी या नहीं, लेकिन दिल्ली चुनाव को पूरा गांधी परिवार गंभीरता से ले रहा है.

दिल्ली चुनाव प्रचार में उतरेगा पूरा गांधी परिवार

कांग्रेस ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची तो पहले ही जारी कर दी थी, लेकिन गांधी परिवार का कार्यक्रम बिलकुल आखिर में तय हो पाया है. दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा साथ साथ चुनाव प्रचार करने जा रहे हैं - दोनों भाई-बहन दो दिनों तक एक साथ चुनाव प्रचार करेंगे - और ऐसी कुल चार साझा जनसभाएं होंगी.

4 फरवरी को तो सिर्फ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मोर्चा संभालेंगे, लेकिन 5 फरवरी को सोनिया गांधी भी चुनाव प्रचार में बच्चों को ज्वाइन कर लेंगी. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कोंडली से कांग्रेस उम्मीदवार अमरीश गौतम के समर्थन में पब्लिक मीटिंग करेंगे.

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हारून युसुफ, मिर्जा जावेद अली और अलका लांबा के सपोर्ट में भी रैली करेंगे. अलका लांबा अभी अभी आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में लौटी हैं. 2015 में वो चांदनी चौक से विधायक चुनी गयी थीं, लेकिन अरविंद केजरीवाल से मतभेदों के चलते झगड़ा बढ़ता गया और आखिरकार पार्टी छोड़ दीं.

gandhi family to campaign in delhiदिल्ली में पूरा गांधी परिवार चुनाव प्रचार करने जा रहा है, सवाल है हासिल क्या होगा?

राहुल और प्रियंका जिन उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करेंगे उनमें से एक पूनम आजाद भी हैं. पूनम आजाद, दिल्ली में कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद की पत्नी हैं - और संगम विहार से चुनाव लड़ रही हैं. संगम विहार सीट गठबंधन कोटे से जेडीयू के हिस्से में गयी है लेकिन उस पर बीजेपी के ही एससीएल गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं. गुप्ता के चुनाव प्रचार के लिए ही नीतीश कुमार ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ साझा रैली का कार्यक्रम बनाया. पूनम आजाद का मुकाबला गुप्ता के अलावा मौजूदा आप विधायक दिनेश मोहनिया से है जो 2013 और फिर 2015 का चुनाव जीत चुके हैं.

आम चुनाव में भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को साथ में रोड शो करते देखा गया था, लेकिन दूसरे उम्मीदवारों के लिए भाई-बहन का साथ चुनाव प्रचार देखने में भी दिलचस्प होगा. आम चुनाव में शीला दीक्षित के लिए वोट मांगते वक्त प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट कर रही थीं और खुद को 'दिल्ली की लड़की' बताते हुए सवाल भी पूछे थे. जिस हिसाब पले बढ़े होने के कारण प्रियंका गांधी ने खुद दिल्ली की लड़की बताया वैसे तो राहुल गांधी भी 'दिल्ली का लड़का' हुए, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो लोग कन्फ्यूज भी होंगे - क्योंकि 2017 में समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव के साथ चुनाव प्रचार में राहुल गांधी को भी 'यूपी के लड़के' कह कर बुलाया जा रहा था - और एक रैली में प्रियंका गांधी ने भी ऐसे ही संबोधित किया था.

CAA विरोध के साथ NYAY पर भरोसा

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साझा प्रचार करने की वजह चुनाव का दिल्ली में होना भर है या कुछ और भी? झारखंड की एक रैली में जब राहुल गांधी ने 'रेप इन इंडिया' बोल दिया तो खूब बवाल हुआ. संसद में भी और सड़क पर भी. बाद में राहुल गांधी के कोटे की बची हुई एक रैली के लिए प्रियंका गांधी खूंटी पहुंची और चुनाव प्रचार किया. क्या साथ में चुनाव कार्यक्रम बनाये जाने की वजह कोई विशेष भी हो सकती है - मसलन, जो भी बोलना हो पहले से सोच विचार कर बोला जाये ताकि बाद में सारी ऊर्जा डैमेज कंट्रोल में ही जाया न हो जाये.

कारण बहुतेरे हैं. प्रियंका गांधी हाल फिलहाल नागरिकता संशोधन कानून CAA के विरोध का मुख्य चेहरा बनने की कोशिश करती नजर आयी हैं. वो पूरे यूपी में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ खड़ी दिखाने की कोशिश करती आयी हैं. दिल्ली में प्रियंका गांधी ने ऐसी ही कोशिश की थी, लेकिन लोगों के स्वीकार न करने की वजह से उन्हें दूरी बनानी पड़ी. जैसे प्रियंका गांधी CAA के खिलाफ खड़ी हुई हैं, वैसे ही राहुल गांधी गरीब, बेरोजगारों और किसानों के साथ डटे रहने के प्रयास करते आये हैं.

कांग्रेस के दिल्ली चुनाव घोषणा पत्र को देखें तो ऐसी दो चीजें साफ तौर पर नजर आती हैं. कांग्रेस की ओर से सत्ता में आने पर दिल्ली के पांच लाख जरूरतमंत परिवारों को हर साल 72 हजार रुपये दिये जाने का वादा किया गया है. इस वादे को कोई नाम तो नहीं दिया गया है लेकिन ये पूरी तरह आम चुनाव में पार्टी के NYAY स्कीम जैसा ही है. हो सकता है किसी खास वजह से इस बार नाम देने से परहेज किया गया हो. वैसे ग्रैजुएट नौजवानों को 5000 रुपये और पोस्ट-गैजुएट युवाओं को 7500 रुपये का बेरोजगारी भत्ता देने का भी वादा घोषणा पत्र में किया गया है. जैसे राहुल गांधी की पसंद के ये चुनावी वादे किये गये हैं वैसे ही दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनने पर CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में अपील का भी चुनावी वादा हुआ है - और ये प्रियंका गांधी की फील्ड से जुड़ा लगता है.

क्या इन्हीं वजहों से भाई-बहन दिल्ली में साझा चुनाव प्रचार करने जा रहे हैं - या फिर ये राहुल गांधी के री-लांच और प्रियंका गांधी को कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने का संकेत है? एक और सवाल - ये तो ठीक है कि पूरा गांधी परिवार दिल्ली के चुनाव प्रचार में उतर रहा है, लेकिन क्या देर नहीं हो गयी है?

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