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Updated: 03 अप्रिल, 2018 08:58 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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भारतीय सेना द्वारा जम्मू कश्मीर में आतंकियों और घुसपैठियों को खदेड़ने की कार्रवाई लगातार जारी है. वादी में आए दिन सेना घुसबैठियों का सफाया कर पाकिस्तान को करारा जवाब दे रही है. आतंकवाद पर नियंत्रण के मद्देनजर सेना की इस कार्यवाई से जहां एक तरफ आम भारतीय खुश हैं. तो वहीं कुछ ऐसे लोग भी है जो इसे मानवाधिकार का उल्लंघन बता रहे हैं और भारतीय सेना की आलोचना कर अपनी पाकिस्तान परस्ती का परिचय देते नजर आ रहे हैं. आतंकियों पर लगाम कसने को लेकर यदि दुनिया का कोई आम आदमी भारतीय सेना की आलोचना करे तो बात अलग है. मगर वो लोग जिन्हें लोग जानते हैं वो यदि कुछ बोलें तो विवाद का होना लाजमी है.

शाहिद आफरीदी, पाकिस्तान, कश्मीर, बयान    कश्मीर को मुद्दा बनाकर शाहिद एक लम्बे समय से भारतीय सेना के खिलाफ जहर उगल रहे हैं

जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा आतंकरोधी अभियान के तहत मारे गए 13 आतंकियों से जहां एक तरफ पाकिस्तानी सरकार गमजदा है. तो वहीं इसको लेकर पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी खासे आहत हैं. शाहिद ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भारतीय सेना के बारे में आपत्तिजनक बातें कहीं हैं तो वहीं वो आतंकियों के प्रति हमदर्दी जताते नजर आए. अफरीदी ने ट्वीट कर कश्मीर की स्थिति को बेचैन करने वाला बताया है और यूएन के अलावा दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के रवैये पर भी सवाल खड़े किये हैं.

शाहिद अफरीदी ने ट्वीट में कहा है कि "भारत के कब्जे वाले कश्मीर में दुखद और चिंताजनक हालात हैं, वहां पर दमनकारी सत्ता द्वारा बेगुनाहों को मारा जा रहा है. इसका मकसद आत्म निर्णय और आजादी की आवाज को कुचलना है, आश्चर्य होता है कि यूएन और दूसरी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं कहां हैं और वे संस्थाएं इस खून-खराबे को रोकने के लिए कोई कोशिश क्यों नहीं कर रही है?"

गौरतलब है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब शाहिद कश्मीर को लेकर भारत और भारतीय सेना को भला बुरा कह रहे हैं. गत वर्ष भी उन्होंने एक ऐसा ही ट्वीट किया था जिसपर उनकी खूब आलोचना हुई थी. आपको बताते चलें कि तब अपने उस ट्वीट में अफरीदी ने लिखा था, 'कश्मीर पिछले कई दशकों से क्रूरता का शिकार हो रहा है, अब वक्त आ गया है कि इस मुद्दे को सुलझा लिया जाए जिसने कई लोगों की जान ली.

बहरहाल, शाहिद के इन ट्वीट्स को देखकर एक बात तो स्पष्ट है कि कहीं न कहीं वो इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि अब उनसे क्रिकेट होने वाला नहीं है. ऐसे में राजनीति ही वो चीज है जिसके दम पर ये दो वक़्त की रोटी का इन्तेजाम कर सकते हैं. साथ ही शाहिद इस बात को भी भली प्रकार जानते हैं कि बात जब भारत या पाकिस्तान में राजनीति की होती है तो उसे जनता द्वारा हाथों हाथ लिया जाता है जो कश्मीर को लेकर बयानबाजी करता है और लगातार चर्चा में रहता है.

बात खत्म करते हुए ये कहना भी गलत नहीं है कि, क्रिकेट के खेल में पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान से प्रभावित रहने वाले शाहिद राजनीति में भी उन्हीं के नक़्शे कदम पर चल रहे हैं. राजनीति के मद्देनजर शाहिद वही कर रहे हैं जिसके दम पर पाकिस्तान की राजनीति में इमरान को लोगों ने हाथों हाथ लिया है. ध्यान रहे कि इमरान खान भी आतंकियों पर भारतीय सेना द्वारा की जा रही कार्यवाई से आहत हैं और उन्होंने यूएन से आग्रह किया है कि वो जल्द से जल्द इस मसले पर दखल दे और कश्मीरी आवाम को उसका हक़ दिलाए.

कश्मीरी आवाम के किस हक की बात हो रही ये शाहिद और इमरान जानें मगर जो उनकी हरकत है उसको देखकर साफ पता चलता है कि ये दोनों ही क्रिकेटर और कुछ नहीं बस अवसरवादी राजनीति कर रहे हैं. हां वही अवसरवादी राजनीति जिसके दम पर चुनाव लड़े भी जाते हैं और जीते भी जाते हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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