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Updated: 28 मार्च, 2017 05:52 PM
मोहित चतुर्वेदी
मोहित चतुर्वेदी
  @mohitchaturvedi123
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यूपी में करारी हार के बाद सपा ने अब 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कमर कसना शुरू कर दी है. शिकस्त झेलने के बाद समाजवादी पार्टी काफी कुछ बदलने की दिशा में है. जहां समाजवादी पार्टी ने अपना स्लोगन बदला है... लेकिन पार्टी के अंदर चीजें अभी भी वैसी ही हैं.

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हार के बाद समाजवादी पार्टी में दंगल पार्ट-2

समाजवादी पार्टी में घमासान अभी जारी है. मार्च को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा बुलाई गयी समीक्षा बैठक में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव, उनके भाई शिवपाल सिंह यादव और सपा नेता आज़म खान शामिल नही हुए थे. अखिलेश ने अब 28 मार्च को नवनिर्वाचित विधायको की बैठक बुलाई है वहीं सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने 29 मार्च को शाम 6 नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई है. अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव द्वारा विधायकों की अलग-अलग बैठक बुलाये जाने से सपा में पड़ी दरार का और गहरा होने की उम्मीद है.

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बदला स्लोगन

समाजवादी पार्टी ने हार के बाद अपना नारा भी बदल लिया है. सपा का नया नारा कुछ इस प्रकार है 'आपकी साइकिल सदा चलेगी आपके नाम से, फिर प्रदेश का दिल जीतेंगे हम मिलकर अपने काम से'. इससे पहले समाजवादी पार्टी का नारा था 'काम बोलता है' जो बुरी तरह फ्लॉप हुआ था. लोगों ने ट्विटर पर इसका मजाक भी उड़ा था.

हार के बाद पार्टी ने तुरंत अपना स्लोगन बदला. जोश से भरे इस स्लोगन पर भी सोशल मीडिया पर मजाक बन गया. हालांकि, सपा का नया नारा नया-नया है. लेकिन इतना लंबा नारा लोगों की जुबान पर चढ़ना थोड़ा मुश्किल है और जनता के फरमान के बाद अचानक लोकसभा चुनाव के लिए नया नारा देना कितना सही है ये कहना अभी थोड़ा मुश्किल है.

2014 लोकसभा चुनाव की बात करें, तो बीजेपी का अच्छे दिन वाला नारा अभी भी आम बोलचाल में बोला जाता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी का ये नारा कितना प्रभावशाली था. इसके गाने से लेकर प्रमोशन तक. इस नारे ने बीजेपी के प्रचार को नेक्स्ट लेवल में पहुंचा दिया था और इसी नारे के बदौलत अच्छे दिन वाली सरकार आई थी. नोटबंदी के बाद अच्छे दिन का नारा फिर जोरों से लिया गया था. इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर 'अच्छे दिन आने अब शुरु हो गए हैं' नाम से नया गाना भी आ गया था.

बीजेपी पहले से ही 2019 चुनाव के लिए पूरी तरह तैयारी कर चुकी है. वहीं समाजवादी पार्टी ने भी मोर्चा खोल दिया है. अभी तो लोकसभा चुनाव में 2 साल हैं. अब ये देखना होगा कि इन दो सालों में क्या सपा पार्टी के अंदर नया दंगल ना शुरू हो जाए. नहीं तो इसका लोकसभा चुनाव में इसका असर पड़ सकता है.

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लेखक

मोहित चतुर्वेदी मोहित चतुर्वेदी @mohitchaturvedi123

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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