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Updated: 05 अगस्त, 2016 05:47 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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बाबा रामदेव परसेप्शन मैनेजमेंट की सबसे बड़ी सक्सेस स्टोरी हैं - और यही वजह है कि बड़े से बड़े मार्केटिंग एक्सपर्ट भी उनका लोहा मान रहे हैं. बाबा के इस हुनर का लोहा तो एक दिन दुनिया को भी मानना पड़ेगा.

जिस फास्ट फुड को वो कल तक जहर बताया करते थे आज उसी नूडल्स को पैसे लेकर प्रसाद के तौर पर परोस रहे हैं - और लोग उसी श्रद्धा से उनकी दोनों बातें मान रहे हैं. अब भला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कैसे पीछे रहता.

महिला वोट बैंक

संघ का पूर्णकालिक प्रचारक बनने के लिए बैचलर होना तो जरूरी है ही - अगर किसी ने ध्यान दिया हो तो संघ कार्यकर्ताओं में महिलाओं को लेकर अब तक एक संकोच भी नजर आता रहा है. अब तक जब भी संघ के कार्यकर्ता शाखा के लिए या किसी और काम से लोगों के घर जाते हैं तो वे बाहर से ही बात करते हैं - या फिर महिलाओं से एक तरह की दूरी बनाए दिखते हैं. प्रचारकों के बैचलर होने पर दिग्विजय सिंह की टिप्पणी तो लोगों को याद ही होगी.

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लगता है अब संघ भी महिला वोट बैंक की अहमियत समझने लगा है. महिला वोट बैंक को लेकर नीतीश कुमार जहां शराबबंदी के लिए अलख जगाये हुए हैं वहीं अब मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी में महिलाओं को ज्यादा अहमियत दिये जाने पर जोर दिया है.

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इस बार 17 अगस्त को पहला अंतर्राष्ट्रीय रक्षा बंधन पर्व मनाने जा रहा है. संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने एक कार्यक्रम में बताया कि रक्षा बंधन के ठीक एक दिन पहले दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इस मौके पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होगा.

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समरसता के नाम पर कितने प्रयोग...

असल में राखी के बहाने संघ महिलाओं को संघ से जोड़ने की तैयारी तो कर ही रहा है, खासतौर पर दलितों से कनेक्ट होने की कोशिश कर रहा है. ऊना की घटना के बाद इसे संघ की ओर से डैमेज कंट्रोल के तौर पर भी देखा जा रहा है.

संघ की दलित राखी

संघ का एक मंदिर, एक कुआं और एक श्मशान वाला फॉर्मूला अब तक कोई चमत्कार नहीं दिखा पाया है. सिंहस्थ कुंभ में समरसता स्नान और नेताओं का दलितों के घर समरसता भोज भी तकरीबन बेअसर ही रहा है. धम्म यात्रा में तो हाल ये हुआ की ऊना से गुस्साए दलित समुदाय के लोगों से बचने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का आगरा का कार्यक्रम ही रद्द करना पड़ा.

यही वजह है कि दलित कनेक्शन मजबूत करने के लिए संघ अब राखी के जरिये रास्ता तलाश रहा है. राखी के मौके पर संघ के प्रचारक दलितों के घर जाकर राखी बंधवाएंगे.

दलितों के घर जाकर संघ कार्यकर्ता सिर्फ राखी बंधवाते और लौट आते तो कोई खास बात नहीं होती. खबर है कि कार्यकर्ता इस दौरान दलित महिलाओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास और उसके एजेंडे से भी रू-ब-रू कराएंगे.

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संघ के एजेंडे के प्रचार प्रसार का ये तरीका बाबा रामदेव की मार्केटिंग स्टाइल से पूरी तरह मैच कर रहा है. लगता है संघ भी बाबा रामदेव को अब अपना मार्केटिंग गुरु मान चुका है.

जिस तरह बाबा रामदेव ने पहले लोगों को योग सिखाते सिखाते लोगों के साथ एक इमोशनल बॉन्ड डेवलव किया - और फिर उन्हीं लोगों को वो नूडल्स बेचने लगे - उसी तरह संघ राखी बंधवाने पहुंच कर संघ की गाथा का बखान करेगा. आखिर, पतंजलि के नूडल्स बेचने का तरीका भी तो यही है. है कि नहीं?

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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