New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 04 सितम्बर, 2017 11:14 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

मानवाधिकार संस्थाओं की माने तो दूनिया का सबसे उपेक्षित वर्ग रोहिंग्या मुस्लिम हैं. रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार की आबादी का एक बहुत ही छोटा हिस्सा हैं. इस बौद्ध बहुल देश में मुस्लिमों को देश के एक कोने राखिन प्रांत में दबा दिया गया है. जहां गैंग रेप, मर्डर तो आम बात हो चली है. नवजात शिशुओं और बच्चों को भी मौत के घाट उतारा जा रहा है. म्यांमार सरकार उन्हें 'बंगाली' कहती है. मतलब कि वे पारंपरिक तौर से बांग्लादेश के रहनेवाले हैं. जो कि ब्रिटिश राज में विस्थापित होकर म्यांमार में प्रवेश कर गए. अब म्यांमार सरकार उन्हें वापस बांग्लादेश भेजना चाहती है. लेकिन बांग्लादेश भी इन्हें अपनाने को तैयार नहीं है. रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार के 1982 के नागरिक अधिनियम के तहत देश के 135 जातीय समूहों में भी शामिल नहीं किया गया है. जिसके कारण इनके पास रहने का कोई देश ही नहीं है.

रोहिंग्या, रोहिंग्या मुस्लिम, बर्मा, बांग्लादेशरोहिंग्या मुस्लिम1.70 लाख रोहिंग्या मुसलमानों को छोड़ना पड़ा देश

इतिहासकारों की मानें तो रोहिंग्या मुस्लिम वहां करीब 15वीं शताब्दी से राखिन प्रांत में रह रहे हैं. रोहिंग्या मुस्लिमों की आबादी करीब 11 लाख है. जिन्हें अब बेघर ठहराकर उन्हें बुनियादी अधिकार और सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है. हालिया हिंसा ने अंतराष्ट्रीय समाज का इस ओर ध्यान आकर्षित किया है. 2012 में तीन मुस्लिम लड़कों ने एक बौद्ध महिला के साथ रेप करके उसे मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद बौद्ध निवासी इन रोहिंग्‍या मुस्लिमों को राखिन से बाहर करने पर तुल गए. हिंसा भड़क गई. करीब 300 लोग मारे गए. और तकरीबन सवा लाख रोहिंग्या और अन्य मुसलमानों को जबरन देश से बाहर कर दिया गया. सरकार ने मस्जिदों को तबाह कर दिया. एक बड़ी आबादी को जेल में डाल दिया गया. यहां तक कि विस्‍थापित मुस्लिमों को सरकार ने कोई सहायता नहीं दी. फरवरी 2017 में यूएन ने एक रिपोर्ट पेश की. इसमें 9 अक्‍टूबर, 2016 के बाद से वहां की स्थिति के बारे में जिक्र किया. जिसके अनुसार 'उत्तरी राखिन प्रांत में म्यांमार के सुरक्षा बल मुस्लिमों पर कई तरह के अत्याचार करते हैं. वे वहां महिलाओं के साथ गैंग रेप करते हैं. यहां तक नवजात शिशुओं और बच्चों को मार देते हैं.' इसके कारण लाखों रोहिंग्या देश छोड़ने पर मजबूर हो गए. 2012 से अब तक करीब 1.70 लाख रोहिंग्या देश छोड़ चुके हैं. अंतराष्ट्रीय दबाव के बावजूद नोबल शांति पुरस्कार जीत चुकी 'स्टेट काउंसलर' आंग सान सू ची इस मुद्दे पर चुपी साधे रखती हैं.

भारत में 6 जगहों पर मौजूद हैं 40 हजार रोहिंग्या

रोहिंग्या का एक बड़ा वर्ग भारत में भी मौजूद है. भारत सरकार की माने तो भारत में इनकी आबादी तकरीबन 40 हजार है. वहीं UNHCR की अनुसार तकरीबन 14 हजार रोहिंग्या भारत के 6 जगहों पर फैले हैं. इनमें जम्मू, हरियाणा का मेवात जिला, दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर और चेन्नई शामिल हैं. जिनमें से 11 हजार रोहिंग्या को भारत में रिफ्यूजी का दर्जा मिला हुआ है. बाकि बचे 3,000 शरण चाहने वालों की श्रेणी में हैं. भारत सरकार करीब 500 रोहिंग्या को लॉन्ग टर्म विजा भी दे चुकी है. जिसके इस्तमाल से वे भारत में बैंक खाते खोल सकते हैं.

रोहिंग्या को भारत से भगाने की कोशिश

हाल ही में गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि रोहिंग्या मुस्लिम भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं. और उन्हें भारत से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए. खैर अभी तक भारत सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई प्लान सामने नहीं आया है. रिजिजू ने इतना जरूर कहा है कि- हमलोग बिना कोई ठोस प्लान के उन्हें ऐसे ही बंगाल की खाड़ी में नहीं फेंक देंगे. मतलब साफ है कि सरकार बस ठोस प्लान का इंतजार कर रही है. पिछले कुछ महीनों से भारत में रोहिंग्या विरोधी माहौल बन रहा है. राइट-विंग समूहों ने कश्मीर में रोहिंग्या के विरोध में कैंपेन भी चलाया था.

रोहिंग्या मुसलमानों के भारत में कट्टरपंथियों के हाथ पड़ जाने का खतरा

25 अगस्त को राखिन प्रांत में गोला, बारूद से लैस 150 लोगों ने 24 पुलिस चैकियों और एक आर्मी बेस पर हमला कर दिया. जिसमें 71 लोगों की जान चली गई. इस घटना ने विश्व में अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी के आगमन के संकेत दे दिए हैं. रोहिंग्‍या समुदाय के इस आतंकी संगठन का मुखिया अताउल्लाह है. अता उल्लाह रोहिंग्या है, जिसका जन्म कराची में हुआ है और परवरिश मक्का में. बर्मा, बांग्लादेश और भारत के खुफिया विभाग के अनुसार पाकिस्तान के आतंकी संगठन रोहिंग्या को बांग्लादेश के रिफ्यूजी कैंप से अपने समूहों में शामिल कर रहे हैं. इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराया जा रहा है. यदि रोहिंग्‍या इतनी आसानी से कट्टरपंथियों के हाथ पड़ रहे हैं तो भारत में भी इनका दुरुपयोग किया जा सकता है. जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

म्यांमार दौरे पर मोदी करेंगे बात

भारत सरकार ने रोहिंग्या के मुद्दे पर अपना रूख कभी स्पष्ट नहीं किया है. 2012 की हिंसा के बाद, तब की यूपीए सरकार ने दस लाख डॉलर दान किए थे. तब के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद राखिन में हिंसाग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया था. और म्यांमार सरकार को राशी प्रदान की थी. लेकिन इसके बाद यह मुद्दा कभी नहीं उठा. अब भारत में रोहिंग्या के बढ़ते पलायन को देखते हुए प्रधानमंत्री अपने दौरे में म्‍यांमार की सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे. विदेश मंत्रालय में बांग्लादेश एवं म्यांमार मामलों की प्रभारी संयुक्त सचिव श्रीप्रिया रंगनाथन ने बताया कि मोदी 'स्टेट काउंसलर' आंग सान सू ची के साथ 6 सितंबर को द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि म्यांमार के राखिन प्रांत में सिलसिलेवार हिंसा और अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय के बड़े पैमाने पर पलायन का वार्ता में जिक्र होगा.

भारत अपनी चिंताएं तो जरूर रखेगा, लेकिन देखने वाली बात तो यह होगी कि रोहिंग्या समुदाय को एक निश्चित ठिकाना कब तक मिलेगा !

ये भी पढ़ें:-

ना मौत थमती है, ना राजनीति !

बेनजीर की हत्या मामले में पाकिस्तानी सरकार की साजिश साफ नजर आ रही है!

डोकलाम के बदले भूटान को भारत का साथ चाहिए, स्वार्थ नहीं !

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय