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Pok पर राजनाथ सिंह का बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है
राजनाथ सिंह ने हरियाणा के पंचकुला में एक चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर अब भारत की पाकिस्तान से बात होती है तो वह केवल 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके)' पर ही होगी.
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अभी एक दिन पहले ही 16 अगस्त को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पोखरण में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. पोखरण की धरती से राजनाथ सिंह ने इशारों इशारों में ही पाकिस्तान को भारत के परमाणु नीति में बदलाव के बड़े संकेत दे दिए. राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी नीति रही है कि हम परमाणु हथियार का पहले प्रयोग नहीं करेंगे, लेकिन आगे क्या होगा, यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है. हालाँकि, राजनाथ ने सीधे तौर पर तो पाकिस्तान का नाम तो नहीं लिया, लेकिन पाकिस्तान में सिंह के इस बयान की धमक जरूर पहुँच गयी. सिंह के इस बयान का ही नतीजा था कि पाकिस्तान के अख़बारों ने राजनाथ को जम कर खरी खोटी सुनाई. हालाँकि, पाकिस्तानी भारत की इस आक्रामक रणनीति से उबरे ही थे कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर पाकिस्तान की नींद उड़ाने वाला बयान दे डाला.
राजनाथ सिंह ने हरियाणा के पंचकुला में एक चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर अब भारत की पाकिस्तान से बात होती है तो वह केवल 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके)' पर ही होगी. राजनाथ सिंह ने भले ही यह बयान चुनावी रैली में दिया हो मगर यह बयान कई मायनों में काफी महत्त्वपूर्ण है. राजनाथ सिंह के इस बयान से पाकिस्तान के साथ भारत की आगे की रणनीति की भी झलक मिलती है.
राजनाथ सिंह ने एक बार फिर पाकिस्तान की नींद उड़ाने वाला बयान दे डाला.
दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1997 में सार्क सम्मेलन के दौरान तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बिच एक सहमति बनी थी, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बिच के सारे विवादों का निपटारा द्विपक्षीय बातचीत के जरिये निपटाने की बात की गयी थी. यह पहला मौका था जब भारत और पाकिस्तान कश्मीर के भी मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने को तैयार हुए थे. इसे कॉम्पजिट डायलॉग यानी समग्र बातचीत का नाम दिया गया था. कॉम्पजिट डायलॉग में कश्मीर समेत कुल आठ मुद्दों पर बातचीत करने की सहमति बनी थी इनमें सियाचीन और सर क्रीक भी शामिल थे. हालाँकि कॉम्पजिट डायलॉग पर सहमति बनने के साल भर बाद ही भारत पाकिस्तान के बिच युद्ध हुआ जिसकी वजह से बातचीत बंद हो गयी, हालाँकि एक दो विफल प्रयासों के बाद साल 2004-05 में फिर भारत पाकिस्तान के बिच कॉम्पजिट डायलॉग शुरू हुआ जो 2008 के मुंबई हमलों के बाद फिर रुक गया.
साल 2015 में रिश्तों में आई कड़वाहट को भुलाते हुए भारत और पाकिस्तान दोबारा समग्र वार्ता शुरू करने को तैयार हो गए. हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में तब विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ हुई बैठक में इस पर सहमति बनी. उस दौरान कॉम्पजिट डायलॉग का नाम बदलकर इसे 'कॉम्प्रिहेन्सिव बाइलैटरल डायलॉग' कहा गया. हालाँकि इसके बाद पाकिस्तान ने न तो आतंकवाद पर लगाम लगाने की कोई कोशिश की और ना ही भारत आतंकवाद रोके बिना पाकिस्तान से बातचीत करने को राजी हुआ.
अलबत्ता नरेंद्र मोदी सरकार ने काफी आक्रामक तरीके से पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए सबक सिखाने की रणनीति अखितयार कर ली. साल 2016 में उरी में आतंकवादी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और साल 2019 में पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक उसी रणनीति का हिस्सा रही. अब जम्मू कश्मीर से धरा 370 हटने के बाद इस बाद की उम्मीद जताई ही जा रही थी कि अब भारत शायद ही कश्मीर पर पाकिस्तान से कोई बात करे. ऐसे में आज राजनाथ सिंह का बयान उस बात पर मुहर लगाती है कि अब कश्मीर पर कोई बात नहीं होने वाली है, हो सकता है कि भविष्य में भारत पाकिस्तान के बिच कॉम्पजिट डायलॉग जैसी कोई सहमति फिर बने मगर अब इतना तय है इसके मुद्दे में कश्मीर की जगह पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) होगा. मोदी सरकार का यह कदम यह भी संकेत देता है कि भारत पाकिस्तान के प्रति किसी भी तरह कि नरमी बरतने के मूड में नहीं है. सर्जिकल स्ट्राइक से शुरू हुआ आक्रामक रुख अब परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर नयी नीति के साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) तक पहुँच चूका है. हालाँकि कश्मीर मुद्दे पर पूरी दुनिया में अपनी भद्द पिटा चुका पाकिस्तान, राजनाथ सिंह के इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया देता है यह देखना दिलचस्प होगा.
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