New

होम -> सियासत

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 10 जून, 2018 05:36 PM
अमित अरोड़ा
अमित अरोड़ा
  @amit.arora.986
  • Total Shares

एक तरफ उच्चतम न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को उनके आधिकारिक कार्यकाल के बाद में मिल रहे सरकारी बंगलों पर सवाल उठाया है, तो दूसरी तरफ हमारे देश के नेता न्यायालय के इस निर्णय का तोड़ निकालने में लगे हुए हैं.

अपने सरकारी आवास को स्मारक घोषित करने का तरीका अब पुराना हो गया है. पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री रजिंदर कौर भट्टल ने शायद एक नया तरीका ढूंढ लिया है. रजिंदर कौर भट्टल को पंजाब राज्य प्लॅानिंग बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है. इस पद को ग्रहण करते ही वह पुनः वर्तमान में रह रहे अपने बंगले में रहने के लिए योग्य हो जाएंगी. यदि उन्हें यह पद न मिलता तो उच्चतम न्यायालय के आदेश के उपरांत इस बंगले में रहना संभव नहीं था.

रजिंदर कौर भट्टल, सरकारी बंगला, सुप्रीम कोर्ट, पंजाब

रजिंदर कौर भट्टल 2012 से बंगला न. 46, सेक्टर-46, चंडीगढ़ में रह रही हैं. सुरक्षा कारणों से भट्टल को वर्ष 2012 में उस समय के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बदल ने यह बंगला आवंटित किया था. यह बंगला पंजाब विधान सभा में विपक्ष के नेता को आवंटित होता है. हैरानी की बात है कि भट्टल न तो अब विधानसभा में विपक्ष की नेता हैं, न ही वह एक विधायक हैं. इसके बावजूद भट्टल को कोई इस बंगले से निकाल नहीं पाया है.

रजिंदर कौर भट्टल ने 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ने की शर्तों को पूरा करने के लिए तय समय से अधिक इस बंगले में रहने का दंड (84 लाख रुपए) भी चुकाया था. 2017 में अमरिंदर सिंह ने सरकार में आने के बाद 84 लाख रुपए का दंड भट्टल को वापिस लौटा दिया. अब अमरिंदर सरकार भट्टल को पंजाब राज्य प्लॅानिंग बोर्ड का उपाध्यक्ष बना कर सदैव के लिए यह बंगला तोहफा देने वाली है.

विधायक न होकर भी बंगला रखना, 84 लाख रुपए का दंड वापिस मिल जाना - ऐसा लगता है कि क़ानून और नियमों का मज़ाक उड़ाना राजनेताओं की फ़ितरत का हिस्सा है. देश का एक आम व्यक्ति इस धोखे को कैसे रोक सकता है? सारे क़ानून क्या सिर्फ़ आम जनता के लिए हैं? राजनेताओं को असंख्य सुविधाएं और सामान्य नागरिक के ऊपर अनगिनत बोझ- यह कैसी व्ययवस्था है? समाज को जागरूक बनाकर ही इस धोखे को रोका जा सकता है. यदि पंजाब का प्रत्येक नागरिक इस बंगले के खेल से अवगत हो जाएगा तो जनता का दबाव रजिंदर कौर भट्टल पर भी दिखेगा. यही दबाव भट्टल को इस बंगले को छोड़ने पर मजबूर करेगा. हमारा प्रयास जनता तो जागरूक करने का होना चाहिए, बाकी काम जनता का दबाव ही कर देगा.

ये भी पढ़ें-

रिटायर होने के बाद भी मुद्दा हैं प्रणब और येचुरी अप्रासंगिक

मोदी की हत्या की साजिश पर संजय निरूपम का बयान मणिशंकर अय्यर से ज्यादा घटिया है!

साथी दलों से शाह का 'संपर्क फॉर समर्थन' यानी 'बीजेपी को भी डर लग रहा है'

#सरकारी बंगला, #सुप्रीम कोर्ट, #पंजाब, Rajinder Kaur Bhattal, Government Bungalow, Supreme Court Order

लेखक

अमित अरोड़ा अमित अरोड़ा @amit.arora.986

लेखक पत्रकार हैं और राजनीति की खबरों पर पैनी नजर रखते हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय