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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 22 दिसम्बर, 2022 09:20 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और उनकी टीम भारत जोड़ो यात्रा को राजनीतिक तो मानती है, लेकिन चुनावी राजनीति से दूर रखने की कोशिश करती है. एक रणनीति के तहत भारत जोड़ो यात्रा को 2024 के आम चुनाव से जोड़ कर न देखे जाने देने की कांग्रेस की शुरू से ही कोशिश रही है.

कांग्रेस की तरफ से भारत जोड़ो यात्रा को बेहद सफल बताने का प्रयास चल रहा है. और कोविड को लेकर स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के लिखित मशविरे को भी भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी बताते हुए खारिज करने की कोशिश हो रही है.

पहले तो जयराम रमेश और पवन खेड़ा जैसे नेताओं की तरफ से ही बीजेपी और मोदी सरकार पर पलटवार चल रहा था, लेकिन अब राहुल गांधी का भी रिएक्शन आ गया है. राहुल गांधी कहते हैं, ‘अब वे यात्रा रोकने का बहाना बना रहे हैं... मास्क लगाओ, यात्रा रोको, कोविड फैल रहा है... ये सब बहाने हैं.’

और फिर डंके की चोट पर राहुल गांधी ऐलान करते हैं, ‘ये यात्रा कश्मीर जाएगी.'

लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कांग्रेस के ही एक सांसद का अजीबोगरीब बयान आया है. ये हैं नकुल नाथ जो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ के बेटे हैं, और छिंदवाड़ा से कांग्रेस के लोक सभा सांसद हैं - नकुलनाथ की माने तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में कोई खास भीड़ नहीं जुट रही है.

कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ अपनी एक रैली में आये लोगों से कहते हैं, 'मैं राहुल गांधी के साथ पूरे मध्य प्रदेश में गया... लेकिन मैं बैरसिया के लोगों को बताना चाहता हूं... यहां भारत जोड़ो यात्रा से ज्यादा भीड़ है.'

अब कांग्रेस नेता नकुलनाथ के भाषण का वीडियो दिखा कर टीवी बहसों में कह रहे हैं कि जब कांग्रेस को भी नहीं लगता कि राहुल गांधी की यात्रा में भीड़ है, तो बाकियों को कुछ कहने की जरूरत ही क्या है - और राहुल गांधी के लिए ऐसी मुसीबत खड़ी करने वाले नकुलनाथ अकेले नेता नहीं हैं. वाराणसी लोक सभा सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके कांग्रेस नेता अजय राय ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर टिप्पणी के दौरान अमेठी सीट को लेकर नयी बहस शुरू करा दी है - हां, अगर अजय राय ने कांग्रेस की किसी खास रणनीति के तहत अमेठी को लेकर बयान दिया है तो बात अलग है.

यूपी में कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष बनाये गये अजय राय के बयान के बाद स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ये पूछने लगी हैं कि राहुल गांधी के अमेठी (Amethi LS Seat) से लड़ने का प्लान है क्या? 2014 में अमेठी में शिकस्त झेल चुकीं स्मृति ईरानी ने 2019 में राहुल गांधी को हरा दिया था - राहुल गांधी तब दो सीटों से चुनाव लड़े थे, और केरल के वायनाड से चुनाव जीत गये थे.

हार के बाद से ही राहुल गांधी की अमेठी के प्रति दिलचस्पी कम हो गयी थी, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के बाद उनके आत्मविश्वास बढ़ा हुआ देखा जा रहा है. राहुल गांधी से अमेठी छीन लेने के बाद बीजेपी की नजर रायबरेली पर भी टिकी हुई है - और 2024 में वो हर हाल में हासिल करने की कोशिश में है.

कांग्रेस के सामने बीजेपी की नजर से रायबरेली बचाने के साथ साथ अमेठी वापस लेने की भी कोशिश होगी. हो सकता है कांग्रेस नेता अजय राय ने अमेठी के सवाल पर अपने तरीके से स्मृति ईरानी को घेरने की कोशिश की है - और एक स्ट्रैटेजी के तहत अमेठी पर आखिरी फैसले से पहले ये फीडबैक लेने की भी कोशिश हो.

राहुल गांधी को स्मृति ईरानी की चुनौती

स्मृति ईरानी पर टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता अजय राय की टिप्पणी ने 10 साल पुराने वाकये की याद ताजा कर दी है. तब भी ऐसा काम एक कांग्रेस नेता ने ही किया था. 2012 में एक टीवी डिबेट में मुंबई कांग्रेस के नेता संजय निरुपम और स्मृति ईरानी बहस में आमने सामने थे.

rahul gandhi, smriti iraniबड़ा सवाल - स्मृति ईरानी के सामने कौन होगा अमेठी से कांग्रेस का उम्मीदवार?

बीजेपी और कांग्रेस के बचाव में चल रही दोनों के बीच बहस अचानक व्यक्तिगत हो गयी और संजय निरुपम गुस्सा हो गये. और तभी संजय निरुपम ने स्मृति ईरानी को लेकर बोल दिया, 'कल तक आप पैसे के लिए ठुमके लगा रही थीं - और आज आप राजनीति सिखा रही हैं.'

अभी अभी अजय राय ने जो बयान दिया है, वो मीडिया के एक सवाल के जवाब में था. सवाल था - राहुल गांधी क्या अमेठी से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे?

कांग्रेस नेता अजय राय ने पहले तो ये समझाने की कोशिश की कि कैसे अमेठी गांधी परिवार की सीट रही है और राजीव गांधी और संजय गांधी तक ने इलाके के लोगों की सेवा की है. राहुल गांधी ने भी बिलकुल वैसा ही किया है - और लगे हाथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इच्छा भी बतायी कि वे सभी चाहते हैं कि राहुल गांधी अमेठी से 2024 का लोक सभा चुनाव लड़ें.

और बात को आगे बढ़ाते हुए अजय राय ने अपनी तरफ से स्मृति ईरानी को खारिज करने का प्रयास किया. बोल दिये, "स्मृति ईरानी यहां आती हैं... 'लटका-झटका' दिखाती हैं - और चली जाती हैं."

अजय राय ने अपनी तरफ से ये भी दावा कर डाला कि स्मृति ईरानी अगली बार चुनाव नहीं जीत पाएंगी. अजय राय का कहना रहा, 'अमेठी सीट निश्चित रूप से गांधी परिवार की है... और ये रहेगी.'

संजय निरुपम के खिलाफ तो स्मृति ईरानी कोर्ट चली गयीं, लेकिन अजय राय के खिलाफ अभी ट्विटर पर ही रिएक्ट किया है, लेकिन रिएक्शन का टारगेट अजय राय नहीं, बल्कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी हैं. अजय राय ने के बयान को लेकर उनके खिलाफ यूपी पुलिस ने एक केस दर्ज कर लिया है.

स्मृति ईरानी ने ट्विटर पर लिखा, 'सुना है राहुल गांधी जी आपने अपने किसी प्रांतीय नेता से अभद्र तरीके से 2024 में अमेठी से लड़ने की घोषणा करवाई है, तो क्या आपका अमेठी से लड़ना पक्का समझूं? दूसरी सीट पर तो नहीं भागेंगे? डरेंगे तो नहीं?'

कहीं ऐसा तो नहीं कि अजय राय ने गांधी परिवार को खुश करने के चक्कर में राहुल गांधी को फंसा दिया है? ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस नेतृत्व के मन में कुछ और चल रहा है और एक छोटे से नेता ने बहस के केंद्र में राहुल गांधी को खड़ा कर दिया है?

जो भी हो. जो होना था हो चुका है. स्मृति ईरानी के निशाने से अजय राय तो पहले ही बाहर जा चुके हैं. अगर संजय निरुपम की तरह अजय राय के खिलाफ भी वो वैसा ही कदम उठाती हैं और कोर्ट में मानहानि का केस दाखिल करती हैं, तो बात और है.

अब तो स्मृति ईरानी अमेठी को लेकर जब भी बात होगी राहुल गांधी को ही ललकार कर सवाल पूछती रहेंगी. ऐसा वो दिल्ली ही नहीं वायनाड पहुंच कर भी कर सकती है - और अमेठी में तो आगे से हर दौरे में ये सनवाल उठना पक्का ही है.

2024 कौन होगा कांग्रेस का अमेठी से उम्मीदवार

चुनाव में हार के बाद से राहुल गांधी का अमेठी से जरा भी लगाव नहीं नजर आया है. अमेठी के लोगों से वो इतने नाराज थे कि चुनाव के बाद पहले वायनाड ही गये. वायनाड के लोगों से तो ऐसे घुलने मिलने की कोशिश करने लगे कि क्या कहा जाये. कहने लगे, लगता है जैसे बचपन से ही वो वहीं के हैं - और काफी दिनों बाद जब अमेठी पहुंचे तो लोगों से कहा कि वो मदद के लिए तैयार जरूर मिलेंगे लेकिन अपनी लड़ाई उनको खुद लड़नी होगी.

यूपी चुनाव से पहले राहुल गांधी ने एक बार प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ रोड शो भी किया था, जिसमें नये सिरे से लोगों से जुड़ने की मंशा का प्रदर्शन ही देखने को मिला था. विधानसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी ने अमेठी में कांग्रेस के लिए प्रचार जरूर किया था - और हां, वो कैंपेन भी अमेठी तक ही सीमित दिखा.

अमेठी को लेकर राहुल गांधी का रुख देख कर ये भी सवाल उठाया जाने लगा है कि वो अपनी दादी इंदिरा गांधी को फॉलो करेंगे या चाचा संजय गांधी का राजनीतिक रास्ता अख्तियार करेंगे. इमरजेंसी के बाद 1977 में चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी हार गयीं, लेकिन उसके बाद कभी रायबरेली की तरफ देखा तक नहीं. लेकिन उनके बेटे संजय गांधी ने हार के बावजूद अगला चुनाव लड़ा भी और जीता भी - और वो सीट अमेठी ही है.

जिस तरह राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष न बनने की जिद पर अड़े रहे और पूरा भी किया, ऐसी कम ही संभावना है कि वो दोबारा अमेठी का रुख करें. ये एक ही परिस्थिति में हो सकता है, जब राहुल गांधी को भरोसा हो जाये कि वो निश्चित तौर पर स्मृति ईरानी को शिकस्त दे पाएंगे.

वायनाड को लेकर अब ये तो कहा ही जा सकता है कि जिस तरह की दिलचस्पी राहुल गांधी दक्षिण भारत की राजनीति में दिखा रहे हैं, किसी भी सूरत में वो केरल नहीं छोड़ने वाले हैं. 2021 का केरल विधानसभा चुनाव और भारत जोड़ो यात्रा दोनों ही ऐसे मजबूत इशारे भी करते हैं. वैसे भी केरल चुनाव के दौरान तो वो उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों की राजनीतिक समझ को लेकर भी बयान दे ही चुके हैं.

कांग्रेस के भीतर से ही एक बात महसूस की गयी है कि अमेठी से राहुल गांधी की जगह प्रियंका गांधी को उतारने पर भी विचार हो चुका है, लेकिन अभी फाइनल कुछ भी नहीं है. ये बात इसलिए भी ठीक लगती है क्योंकि बीजेपी को राहुल गांधी के मुकाबले प्रियंका गांधी से मुकाबला थोड़ा मुश्किल होता है.

ये भी तो देखा ही गया है कि प्रियंका गांधी से भी स्मृति ईरानी सीधे न टकरा कर राहुल गांधी को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करती हैं - घर पर लड़का है, लेकिन लड़ नहीं सकता. ट्विटर पर ये बात स्मृति ईरानी ने यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी के स्लोगन 'लड़की हूं... लड़ सकती हूं' के जवाब में लिखा था.

ऐसी सूरत में जबकि सेहत सही न होने की वजह से सोनिया गांधी काफी दिनों से चुनावों से परहेज करती आ रही हैं, रायबरेली से उनके चुनाव लड़ने की संभावना कम ही लगती है. हालांकि, भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सोनिया गांधी को काफी दूर तक पैदल चलते भी देखा गया था - लेकिन निश्चित तौर पर वो सिर्फ हौसलाअफजाई के लिए ही था. जब भारत जोड़ो यात्रा शुरू हुई थी तो वो मेडिकल चेक अप के लिए विदेश दौरे पर थीं, लेकिन पत्र लिख कर अपना संदेश जरूर भेजा था.

ये भी कम ही संभावना है कि कांग्रेस रायबरेली और अमेठी जैसी सीटों पर गांधी परिवार से बाहर के किसी को उम्मीदवार बनाने का जोखिम उठाये. हां, दायरे को विस्तार देते हुए रॉबर्ट वाड्रा के नाम पर विचार चल रहा हो तो बात और है. वरना, चुनाव तो भाई-बहन ही लड़ेंगे.

अगर राहुल गांधी अमेठी से तैयार नहीं होते तो प्रियंका गांधी उनकी उत्तराधिकारी बन सकती हैं - और वो रायबरेली में सोनिया गांधी के.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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