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Updated: 08 दिसम्बर, 2017 08:07 PM
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मणिशंकर अय्यर के बयान के बाद राहुल गांधी ने डैमेज कंट्रोल की बेहतरीन कोशिश की ही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी मंगवाने के साथ ही अय्यर को कांग्रेस से सस्पेंड करने का फैसला अपनेआप में नजीर है. देखा जाये तो कांग्रेस पार्टी या राहुल गांधी की ओर से उठाये गये कदम कहीं से भी कम नहीं हैं.

ऐसे समय पर जबकि गुजरात विधानसभा के लिए पहले चरण के वोट डाले जाने हैं, राहुल गांधी एक बार फिर गुजरात के दौरे पर हैं. गुजरात पहुंचते ही राहुल गांधी ने कांग्रेस की जीत दावा करते हुए कहा - 'आंधी आ रही है.' राहुल गांधी आखिर किस आधार पर ऐसा दावा कर रहे हैं? कहीं वो हवा में ये बातें तो नहीं कर रहे.

कांग्रेस की आंधी?

ट्विटर पर ये हैशटैग काफी दिनों से चल रहा है #Congress_આવે_છે यानी कांग्रेस आ रही है. इसी को लेकर कई बार बीजेपी नेता मजाक उड़ाते हैं - कांग्रेस आ नहीं जा रही है. राहुल गांधी को आम लोगों के बीच मिले रिस्पॉन्स को देखते हुए ये भी नहीं कहा जा सकता कि बीजेपी का कांग्रेस मुक्त अभियान गुजरात में भी कायम रहा. बल्कि, ऐसा लगता है जैसे बीजेपी का कांग्रेस मुक्त अभियान गुजरात में उल्टा ही पड़ गया. यहां तक तो ठीक है लेकिन कांग्रेस की आंधी का राहुल गांधी का दावा फिलहाल तो बेदम ही लगता है. खासकर तब जबकि मणिशंकर अय्यर के बयान के बाद खुद प्रधानमंत्री मोदी और तमाम बीजेपी नेताओं ने हवा का रुख ही मोड़ दिया है.

rahul gandhi'कांग्रेस आवे छे...'

वैसे राहुल गांधी ने गुजरात के ताजा दौरे के बीच प्रधानमंत्री मोदी से 10वां सवाल भी पूछ लिया है और इसके जरिये उन्होंने अमित शाह की दुखती रग पर हाथ रख दिया है.

राहुल का 10वां सवाल

राहुल गांधी का 10वां सवाल आदिवासियों को लेकर है. ये सवाल भी उन्हीं सवालों की कड़ी में है जिनके जरिये राहुल गांधी गुजरात में बीजेपी के 22 साल के शासन का हिसाब मांग रहे हैं.

गुजरात के आदिवासी वैसे तो किसी भी पार्टी के परंपरागत वोटर नहीं रहे हैं, लेकिन उनका समर्थन हासिल करने में कांग्रेस अक्सर बीजेपी से आगे रही है. गुजरात में आदिवासियों के लिए 27 सीटें सुरक्षित हैं जो आबादी में करीब 12 फीसदी के हिस्सेदार हैं. हालांकि, सूबे की 182 में से 40 सीटों पर हार जीत में इनकी बड़ी भूमिका होती है. दक्षिण गुजरात में तो आदिवासियों का ज्यादा ही असर है जहां इनकी 17 रिजर्व सीटें पड़ती हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इनमें से 8 जबिक बीजेपी ने 7 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. पिछली बार आदिवासियों की 16 सीटें कांग्रेस, 10 बीजेपी और एक जेडीयू को मिली थी. यही जेडीयू की सीट अमित शाह की दुखती रग है जिसके चलते कांग्रेस के अहमद पटेल चुनाव जीत गये.

किसी भी सूरत में आदिवासियों का वोट हासिल करने के लिए अमित शाह हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में रापर की सभा में अमित शाह ने आदिवासियों के लिए बीजेपी और कांग्रेस द्वारा किये गये कामों की तुलना पेश की. अमित शाह बोले, "एक तरफ कांग्रेस का आदिवासियों के उत्थान के लिए 'जीरो बजट'... और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की गुजरात सरकार का 67 हजार करोड़ रुपये का आवंटन, इससे कोई भी बता सकता है कि विकास किसको कहा जाता है."

राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार से आदिवासियों को लेकर सवाल तो पूछा ही है, उनकी जमीन छीनने का भी इल्जाम लगाया है. राहुल गांधी का ये सवाल भी कविता के रूप में ही है.

अहमद पटेल की जीत में निर्णायक भूमिका निभाने वाले आदिवासी नेता छोटूभाई वसावा को जब जेडीयू ने निकाल दिया तो कांग्रेस ने उन्हें अपने साथ मिला लिया. काफी जद्दोजहद के बाद दोनों के बीच चार सीटों पर समझौता हो पाया. वसावा की एक खासियत और है कि वो लोगों के बीच वोट मांगने खुद नहीं बल्कि उनके कार्यकर्ता जाते हैं. अगर कहीं किसी की शिकायत होती है तो कार्यकर्ता उसे लेकर वसावा के पास पहुंचते हैं और बातचीत के जरिये रास्ता निकाला जाता है. वसावा इस बार भी ऐसा ही कर रहे हैं. वसावा का कहना है कि वो चुनाव बाद अपने लोगों के बीच जाते हैं और उनकी समस्याएं सुलझाने के लिए प्रयास और संघर्ष करते हैं.

वसावा की तरह ही कांग्रेस को बीजेपी के तीन मजबूत विरोधियों का साथ मिला हुआ है - हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी. बावजूद इन सबके कांग्रेस ने किसी की मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया है. गुजरात की लड़ाई में राहुल गांधी ही कांग्रेस का चेहरा हैं जैसे कई विधानसभा चुनावों में खुद प्रधानमंत्री मोदी होते हैं. क्या इसीलिए राहुल गांधी गुजरात में कांग्रेस की आंधी की बात कर रहे हैं?

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