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Updated: 08 अक्टूबर, 2020 05:02 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हाथरस तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) के साथ गये, लेकिन पंजाब और हरियाणा में ट्रैक्टर रैली पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ किया. अब राहुल गांधी के बिहार चुनाव प्रचार (Bihar Election 2020 Campaign) की तैयारी चल रही है और मालूम हुआ है कि प्रियंका गांधी भी चुनावी रैली करने वाली हैं.

देखा जाये तो हाथरस और पंजाब-हरियाणा ने राहुल गांधी के वॉर्म-अप सेशन के लिए ग्राउंड मुहैया कराये जो अब तक विदेशी जमीन हुआ करती रही. अक्सर चुनाव प्रचार में कूदने से पहले राहुल गांधी के लिए कांग्रेस की तरफ से कहीं न कहीं रिहर्सल के लिए इवेंट कराये जाते रहे हैं. कोविड 19 के चलते बाहर का कार्यक्रम बनाना वैसे भी मुश्किल होता. विदेश यात्रा पर राहुल गांधी गये तो थे लेकिन वो अपनी मां सोनिया गांधी के मेडिकल चेक अप के लिए.

दलित समुदाय के समर्थन में हाथरस और किसानों के सपोर्ट में पंजाब-हरियाणा की ट्रैक्टर रैली के बाद तो अब राहुल गांधी का एक ही पसंदीदा टॉपिक बचता है - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला. बिहार चुनाव में भी राहुल गांधी चीन का मुद्दा उठाएंगे ही, भले ही वो गलवान संघर्ष में बिहार रेजीमेंट के नाम के बहाने हो.

चुनाव प्रचार को लेकर राहुल गांधी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो झारखंड और दिल्ली के बाद ये विवादों के हैट्रिक का मौका है - देखते हैं और क्या क्या है कांग्रेस नेतृत्व के पिटारे में बिहार चुनाव 2020 को लेकर!

चुनाव प्रचार का तौर तरीका क्या होगा

बताते हैं कि राहुल गांधी बिहार में छह रैलियां करने वाले हैं, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा दो रैलियां ही करने वाली हैं. राहुल गांधी की तो मंजूरी मिल गयी है, लेकिन प्रियंका गांधी को लेकर अभी कंफर्म होना बाकी है.

बिहार में तीन चरणों में चुनाव होने जा रहे हैं और इस लिहाज से देखें तो हर फेज के लिए राहुल गांधी की दो-दो रैलियां तय की गयी हैं. ये तो साफ है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों ही बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रचार करने और कांग्रेस के लिए वोट मांगने जा रहे हैं - लेकिन अभी ये भी नहीं बताया गया है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की रैलियां अलग अलग होंगी या फिर दोनों मंच भी शेयर करेंगे. ऐसा प्रयोग राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्ली चुनाव में किया था.

महाराष्ट्र और हरियाणा में तो नहीं लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा ने झारखंड में एक रैली की थी. वो भी तब जब राहुल गांधी के रेप इन इंडिया वाले बयान पर विवाद हुआ और वो विदेश दौरे पर रवाना हो गये. महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में प्रचार न करने के पीछे बताया गया कि प्रियंका गांधी यूपी में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनावों पर फोकस कर रही हैं, इसलिए वो प्रचार करने नहीं गयीं. अब वो रणनीति बदल चुकी है.

सिर्फ प्रियंका गांधी वाड्रा ही नहीं, ये भी देखना होगा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव साझा चुनावी रैली करते हैं या नहीं - और चूंकि महागठबंधन में इस बार सीपीआई भी शामिल है इसलिए कन्हैया कुमार के चुनाव प्रचार पर भी नजर है.

rahul gandhi, priyanka gandhi vadraराहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को बिहार एक्सपेरिमेंट का फायदा और नुकसान यूपी में 2022 में महसूस होगा

ऐसा भी हो सकता है कि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी किसी न किसी रैली में मंच शेयर करें, लेकिन कन्हैया कुमार से दोनों को परहेज हो सकती है. राहुल गांधी ने जेएनयू के खिलाफ दिल्ली पुलिस के एक्शन का तो विरोध किया था, लेकिन कन्हैया के साथ मंच शेयर करेंगे, संभावना कम ही लगती है. कन्हैया कुमार के खिलाफ चल रहे देशद्रोह के मुकदमे के चलते एक संकोच देखने को मिला है. तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार के मंच शेयर करने में माना जा रहा था कि दोनों की पर्सनॉलिटी आडे़ आ रही थी, लेकिन अब जबकि तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता और मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है, फिर तौ ये बातें अपनेआप पीछे छूट जाती हैं.

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों ही के लिए बिहार चुनाव बेहतरीन एक्सपेरिमेंट ग्राउंड साबित हो सकता है - क्योंकि राहुल गांधी के पसंदीदा मुद्दे आजमाये जा सकते हैं. बाद में लोगों की प्रतिक्रिया और चुनाव नतीजों के हिसाब से यूपी चुनाव के लिए रणनीति में फेरबदल करने का मौका भी मिलेगा.

UP-22 से पहले बिहार प्रयोगशाला बनेगा

बिहार चुनाव में राहुल गांधी को अपने पसंदीदा मुद्दों पर भाषण देने का पूरा मौका मिलने वाला है. दलितों और किसानों के अलावा चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने का भी पूरा मौका मिलने वाला है. जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने गलवान घाटी को लेकर बिहार रेजीमेंट का कई बार जिक्र किया है, निश्चित तौर पर राहुल गांधी भी अपने हिसाब से उन बातों की चर्चा करेंगे ही.

राहुल गांधी की हाथरस यात्रा में जिस तरह से कांग्रेस कार्यक्रता गले में नीला स्कार्फ, हाथों में अंबेडकर की तस्वीर पर जय भीम के नारे लगाते हुए चल रहे थे, बिहार में भी ये सब करने का पूरा मौका है. राहुल गांधी इस मुद्दे पर प्रियंका गांधी को साथ लेकर सड़क पर पहले से ही उतर चुके हैं और बिहार चुनाव में भी इन सबके के राजनीतिक निहितार्थ हैं. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के बिहार पहुंचने से पहले ही कांग्रेस नेताओं ने मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है. बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदनमोहन झा ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथरस दौरे के बीच प्रधानमंत्री मोदी को चुप्पी तोड़ने की सलाह दी थी और कहा था कि देश की बेटी के अंतिम संस्कार का अधिकार उसके परिवार से छीन लेने से बड़ा अपराध कुछ और नहीं हो सकता.

बिहार कांग्रेस के ही एक और नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार जितना जोर कांग्रेस नेताओं को हाथरस जाने से रोकने में दिखा रही है - अगर उतना उन हैवानों को फांसी पर चढ़ाने पर दिखाती तो हमें देश की बेटियों के लिए न्याय की भीख नहीं मांगनी पड़ती.

कांग्रेस की नजर कांग्रेस के पुराने वोट बैंक दलित और मुस्लिम समुदाय को लेकर काफी उम्मीद है. हाथरस से पहले प्रियंका गांधी CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस एक्शन के शिकार मुस्लिम परिवारों के घर पहुंच कर मुश्किल घड़ी में साथ खड़े होने का भरोसा दिलाया था. हाथरस में भी प्रियंका गांधी के पीड़ित परिवार की महिला को गले लगाने की तस्वीर खूब शेयर की गयी है. हाथरस के साथ ही राहुल गांधी के निर्भया गैंगरेप केस में परिवार की मदद खास कर निर्भया के भाई की पढ़ाई और उसके सपने पूरा करने में मदद की भी काफी चर्चा रही है.

राहुल गांधी के लिए 'बिहार में का बा?'

2019 के आम चुनाव के बाद ये पांचवां विधानसभा चुनाव है - बिहार चुनाव 2020. सबसे पहले महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा के चुनाव हुए थे फिर झारखंड और उसके बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव. राहुल गांधी ने सभी चुनावों में प्रचार के तहत रैलियां और रोड शो किये हैं. महाराष्ट्र और झारखंड में बनी गठबंधन सरकारों में कांग्रेस हिस्सेदार भी है, लेकिन हरियाणा में जीत के काफी करीब पहुंच कर चूक गयी थी. दिल्ली विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस की भूमिका वैसी ही लगी थी जैसी बिहार चुनाव में एलजेपी की चर्चा है.

झारखंड की ही तरह दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी राहुल गांधी के एक बयान से खूब विवाद हुआ. दरअसल, झारखंड की एक रैली में राहुल गांधी ने कह डाला था कि हिंदुस्तान रेप कैपिटल बन गया है. देश में बलात्कार की घटनाओं को लेकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि बातें तो मेक इन इंडिया की होतीं हैं, लेकिन ये 'रेप इन इंडिया' हो गया है. तब संसद का सत्र भी चल रहा था और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अगुवाई में महिला सांसदों ने खूब हंगामा किया था.

एक बार फिर बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी ने हाथरस गैंगरेप का मुद्दा उठाया है, जाहिर है चुनावी रैलियों में राहुल गांधी के भाषण में हाथरस का जिक्र तो होगा ही. बीजेपी के बहाने नीतीश कुमार पर हमले के लिए भी ये कारगर मुद्दा है. राजनीतिक फायदा ये है कि एक ही तीर से महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के साथ साथ दलितों का मुद्दा भी उठाने को मिल जा रहा है.

झारखंड की ही तरह दिल्ली चुनावों में भी प्रधानमंत्री को लेकर राहुल गांधी के 'डंडा मार' बयान पर खूब विवाद हुआ. प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट करते हुए दिल्ली चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, 'हिंदुस्तान के युवा इसको ऐसा डंडा मारेंगे, इसको समझा देंगे कि हिंदुस्तान के युवा को रोजगार दिए बिना ये देश आगे नहीं बढ़ सकता.'

राहुल गांधी के इस बयान पर भी संसद में हंगामा हुआ था. राहुल गांधी ने अपने ससंदीय क्षेत्र वायनाड से जुड़ा सवाल पूछा था और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने जवाब देने से पहले मोदी पर राहुल गांधी के बयान का जिक्र कर दिया. ये सुनते ही कांग्रेस सांसद भड़क गये और सदन में हाथापाई तक हो गयी - बाद में स्पीकर के पास दोनों पक्षों की तरफ से शिकायत दर्ज करायी गयी थी. राहुल गांधी के बयान के अगले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी असम के कोकराझार की रैली में उठाया था.

एक बार फिर जब राहुल गांधी बिहार में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं तो ठीक पहले वो हाथरस गैंगरेप के मुद्दे पर बीजेपी सरकारों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. जाहिर है ये मुद्दा भी राहुल गांधी की रैलियों में उनके भाषण का हिस्सा तो बनेगा ही - बातों बातों में कोई विवाद न खड़ा हो जाये, ऐसी आशंका तो बनी ही हुई है.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

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