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Updated: 11 अक्टूबर, 2021 07:57 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने उत्तर प्रदेश में परिवर्तन का नारा दिया है. प्रियंका गांधी का कहना है कि ऐसा करने से ही न्याय हासिल हो सकेगा - और जब तक न्याय नहीं मिलेगा कांग्रेस कार्यकर्ता लड़ते रहेंगे. प्रियंका गांधी ने ये आह्वान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कांग्रेस की एक रैली में किया.

वाराणसी के रोहनिया क्षेत्र में हुई सार्वजनिक सभा को कांग्रेस ने किसान न्याय रैली नाम दिया था - और मंच से प्रियंका गांधी ने किसानों से अपील की कि जो आपको आंदोलनकारी कहते हैं उनको न्याय के लिए मजबूर करिये. प्रियंका गांधी, दरअसल, आंदोलनजीवी वाले बयान की याद दिला कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश कर रही थीं.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि लखीमपुर खीरी में किसानों से मिलने प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री अभी तक नहीं गये. प्रियंका गांधी का कहना रहा कि प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के कोने-कोने तक पीएम घूम सकते हैं, देश-देश भ्रमण कर सकते हैं लेकिन अपने देश के किसानों से भेंट करने नहीं जा सकते.

अपने जोशीले भाषण में प्रियंका गांधी रैली में मौजूद लोगों से सवाल भी कर रही थीं, 'अपने अंतरतम में झांकिये और पूछिये - तरक्की आयी है? विकास आपके द्वार आया है?

फिर बोलीं, 'जीवन में तरक्की नहीं हुई तो मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर सरकार को बदलिये... जो आपको आतंकवादी कहते हैं उनको न्याय देने के लिए मजबूर करिये... कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता किसी से नहीं डरते... हमें जेल में डालिये, कुचलिये लेकिन जबतक न्याय नहीं मिलेगा हम लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे.'

चुनावी रैली (UP Election 2022) के मंच से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और यूपी चुनाव में कांग्रेस के सीनियर पर्यवेक्षक बनाये गये भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा कर दिया, लेकिन ये औपचारिक घोषणा न होने से कन्फ्यूजन की स्थिति बन गयी है.

'न्याय तो लेकर रहेंगे...'

कांग्रेस की किसान न्याय रैली में प्रियंका गांधी ने एक एक कर उन सभी घटनाओं का जिक्र किया जो उनकी यूपी पॉलिटिक्स का हिस्सा रही हैं. सोनभद्र नरसंहार और हाथरस से लेकर लखीमपुर खीरी तक - और हर घटना के जिक्र के साथ ये दोहराना नहीं भूल रही थीं कि लोगों को न्याय नहीं मिला.

प्रियंका गांधी ने कहा कि वो सिर्फ वही बातें कर रही हैं जो पिछले दो साल में अपनी आंखों से देखा है. प्रियंका गांधी को 2019 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस में औपचारिक एंट्री देते हुए महासचिव बनाया गया था. शुरुआत तो अच्छी नहीं रही क्योंकि गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले अमेठी से ही राहुल गांधी हार गये, लेकिन अब वो नये सिरे से मैदान में कूद पड़ी हैं.

सोनभद्र के उभ्भा गांव में हुए नरसंहार का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी ने बताया कि जब वो लोगों से मिलने पहुंचीं तो वे बोले - मुझे रुपये नहीं न्याय चाहिये. मुआवजा नहीं न्याय चाहिये. प्रियंका गांधी ने उन्नाव और हाथरस की घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि हर जगह लोग यही कहते हैं कि वे मुआवजा नहीं, बस न्याय चाहते हैं.

लखीमपुर खीरी की ताजा घटना की चर्चा करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, '6 किसानों को निर्ममता से कुचल दिया... पीड़ित किसानों ने न्याय की मांग की.'

priyanka gandhi vadra, rahul gandhiअब ये तो राहुल गांधी ही बताएंगे कि कांग्रेस यूपी चुनाव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में किस तरीके से लड़ रही है?

बताने लगीं, 'मैं रात में वहां जाने की कोशिश की तो पुलिस की घेरेबंदी कर मुझे रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन अपराधी को पकड़ने को पुलिस नहीं भेजी गयी... आरोपी को पुलिस ने निमंत्रण दिया... इतिहास में कभी आपने देखा और सुना नहीं होगा... आजादी का अमृत महोत्सव जो मनाया जा रहा है वो आजादी हमें किसानों ने दिलायी है... किसान के बेटों ने दिया है...'

बीच बीच में प्रियंका गांधी यूपी से सीधे राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी स्टाइल में पहुंच जा रही थीं, 'अपराधियों पर कोई लगाम नहीं है... जिसके बेटे ने ऐसा काम किया उसको बचाने का काम सरकार कर रही है... इस सरकार में न दलित सुरक्षित हैं, न अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं, न महिला सुरक्षित है, न नौजवान सुरक्षित हैं - देश में केवल प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उनसे जुड़े लोग और उनके खरबपति मित्र सुरक्षित हैं.'

रैली का नाम भले ही प्रतिज्ञा रैली की जगह बदल कर किसान न्याय रैली कर दी गयी थी, लेकिन प्रियंका गांधी प्रतिज्ञा ही दोहराती रहीं - 'हमें जेल में डालिये, कुचल डालिये लेकिन इंसाफ मिलने तक हम लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे.'

देवी भक्त हिंदू के रूप में दिखाने की कोशिश

पिछले कई विधानसभा चुनावों ने जैसे राहुल गांधी को जनेऊधारी शिवभक्त हिंदू के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कांग्रेस की तरफ से कोशिशें हुई हैं, बनारस में प्रियंका गांधी भी उसी रंग-रूप और हाव-भाव का प्रदर्शन करती देखी गयीं.

बाबतपुर से रैली वाली जगह का सीधा रास्ता है, लेकिन प्रियंका गांधी एयरपोर्ट से सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची, अन्नपूर्णा मन्दिर में भी माथा टेका - और दुर्गाकुंड में कुष्मांडा देवी के मंदिर में भी भक्ति भाव में डूबी नजर आयीं.

किसान न्याय रैली में जब मंच पर प्रियंका गांधी वाड्रा प्रकट हुईं तो भक्ति-भाव से परिपूर्ण भारतीय नारी के तौर पर खुद को पेश किया. माथे पर चंदन का लेप और टीका तो लगा ही था, प्रियंका गांधी के हाथ में मौली यानी लाल रंग का रक्षासूत्र और उसके साथ ही तुलसी की माला भी ले रखी थीं.

प्रियंका गांधी ने नवरात्र के पावन अवसर की चर्चा की और ये भी बताया कि वो नवरात्र का व्रत रखी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नवरात्र में पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं और जहां कहीं भी रहते हैं अपने नियमों का पालन करते हैं.

नवरात्र के चलते प्रियंका गांधी ने भाषण से पहले देवी स्तुति भी की, 'या देवी सर्वभूतेषु...' - और आखिर में जय हिंद और जय किसान के साथ जय माता दी के नारे लगाये भी और लगवाये भी.

क्या ये सब प्रियंका गांधी इसलिए कर रही थीं कि लोग उनको भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ही तरह ही समझें और हिंदू भारतीय नारी के रूप में ही देखें - ऐसे तो लोग कन्फ्यूज हो जाएंगे और फिर परिवर्तन की बातें भी उनके समझ में आने से रहीं.

प्रियंका गांधी के नेतृत्व का मतलब क्या समझा जाये?

प्रियंका गांधी की रैली के मंच से कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने खुद को शायर के तौर पर पेश किया और किसानों को लेकर अपनी कुछ लाइनें भी सुनायीं, लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस महासचिव को प्रोजेक्ट किया, वो भी गौर फरमाने के काबिल ही लगा.

इमरान प्रतापगढ़ी बोले, उस दिन जब प्रियंका गांधी लखनऊ से निकलीं. लखनऊ से लेकर लखीमपुर खीरी तक की सड़कों पर लगा जैसे इंदिरा गांधी चल रही हों!

रैली के मंच पर उत्तर प्रदेश के करीब करीब सभी कांग्रेस नेता जमे हुए थे, लेकिन प्रियंका गांधी की बगल में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराते देखे गये. भूपेश बघेल को यूपी चुनावों के मद्देनजर सीनियर पर्यवेक्षक बनाया गया है.

'किसान न्याय रैली' में भूपेश बघेल ने एक ऐसी बात भी कही जिसके खास राजनीतिक मतलब हो सकते हैं. भूपेश बघेल ने दावा किया है कि यूपी में कांग्रेस प्रियंका गांधी के नेतृत्व में सरकार बनाएगी.

भूपेश बघेल ने रैली के मंच से कहा, 'छत्तीसगढ़ में किसान, दलितों और महिलाओं के हक में फैसले हुए हैं... मैं समझता हूं कि जब यहां चुनाव होगा तो आप सब उत्तर देंगे और उत्तर ये होगा कि प्रियंका जी के नेतृत्व में सरकार बनेगी - और गरीबों, दलितों, जनजातियों और महिलाओं के हक में फैसले होंगे.'

भूपेश बघेल, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ ही लखीमपुर खीरी भी गये थे. 2021 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भी भूपेश बघेल को काफी एक्टिव देखा गया था, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में.

भूपेश बघेल की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी कैप्टन अमरिंदर सिंह की ही तरह खतरा मंडरा रहा है. नवजोत सिंह सिद्धू की तरह छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन भूपेश बघेल कुछ न कुछ ऐसा वैसा करके गांधी परिवार की नजरों में कर्मठ, मर्मज्ञ और प्रयत्नशील कांग्रेस नेता बने रहने की कोशिश करते आ रहे हैं.

कुछ दिन पहले एक बयान को लेकर भूपेश बघेल ने अपने पिता को गिरफ्तार करने की मंजूरी दे दी थी - और अभी अभी कांग्रेस को लेकर प्रशांत किशोर के ट्वीट का जवाब देने के बाद तृणमूल कांग्रेस से भी दो-दो हाथ कर रहे हैं.

ऐसे में ये तो नहीं लगता कि भूपेश बघेल रैली के मंच से वो भी प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम लेकर कोई हवा हवाई दावा करेंगे. निश्चित तौर पर उनको ऐसा बयान देने के लिए बोला गया होगा या फिर ऐसी बात कहने से पहले वो कांग्रेस नेतृत्व की बाकायदा मंजूरी लिये होंगे. वैसे भी भूपेश बघेल कभी हल्की फुल्की बातें बोलने में यकीन नहीं रखते.

कहने को तो जो बात भूपेश बघेल ने की है, पहले कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी बोल चुके हैं लेकिन वो चलते फिरते या मीडिया के सवालों के जबाव मे कहते रहे हैं - भूपेश बघेल ने तो कांग्रेस की एक औपचारिक चुनावी रैली में प्रियंका गांधी के नेतृत्व का जिक्र किया है.

हालांकि, भूपेश बघेल के इतना बोल देने भर से भी प्रियंका गांधी को यूपी चुनाव में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं समझा जा सकता - क्योंकि ऐसे तो बीजेपी भी जिन राज्यों में बगैर मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किये चुनाव लड़ रही होती है - कहा तो यही जाता है कि बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है. दिल्ली और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तो यही देखने को मिला.

प्रियंका गांधी वाड्रा के मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर कांग्रेस की तरफ से प्रोजेक्ट किये जाने के आसार अभी तो नहीं लगते. वो भी ऐसी स्थिति में जब कांग्रेस अपने बूते चुनाव लड़ने की जगह गठबंधन की बार बार पैरवी करती आ रही हो.

प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को लेकर तस्वीर तब तक धुंधली नजर आएगी जब तक राहुल गांधी स्वयं सामने आकर ऐसी कोई घोषणा नहीं करते. भूपेश बघेल ने प्रियंका गांधी के नेतृत्व की बात छेड़ कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भले ही जोश भरने की कोशिश की हो, लेकिन लोग कन्फ्यूज हो गये तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं.

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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