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Updated: 08 मई, 2019 08:16 PM
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बुधवार को शीला दीक्षित को साथ लेकर प्रियंका गांधी ने कांग्रेस पार्टी का नई दिल्‍ली में जबर्दस्‍त रोड शो किया. इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की यह सबसे बड़ी कोशिश थी. लेकिन प्रियंका गांधी के रोड शो के बाद शाम को रामलीला मैदान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जबर्दस्‍त भाषण दिया. दिल्‍ली की 7 लोकसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के बीच लड़ाई तीखी और त्रिकोणीय होती जा रही है.

शीला दीक्षित की हार के बाद से दिल्ली में कांग्रेस के लिए खड़ा होना मुश्किल हो रहा था. 2014 के आम चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनावों में तो खाता भी नहीं खुल सका - हां, एमसीडी चुनाव में 30 सीटें जरूर हासिल कर ली थी. 2012 में कांग्रेस ने एमसीडी चुनाव में 77 सीटें जीती थीं.

अजय माकन के लगातार फेल रहने के बाद कांग्रेस को आखिरकार शीला दीक्षित को ही 81 साल की उम्र में मोर्चे पर उतारना पड़ा है. वैसे शीला दीक्षित के लौटने का ये फायदा तो हुआ है कि कांग्रेस ने दिल्ली की लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है. अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन हो गया होता तो दोनों मिल कर बीजेपी पर भारी पड़ सकते थे - लेकिन फिलहाल तो दोनों एक दूसरे के ही वोट काट रहे हैं और फायदा बीजेपी को हो रहा है.

आप-कांग्रेस की लड़ाई में फायदा बीजेपी का

2013 में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था. पहली दफा ही आप का वोट शेयर 29.5 फीसदी दर्ज हुआ था. 33 फीसदी वोटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी और 15 साल के शासन के बाद कांग्रेस के हिस्सेदारी 24.6 फीसदी पर पहुंच गयी.

जब लोक सभा के चुनाव हुए तो अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते हुए आप ने 33.1 फीसदी वोट कर लिया जबकि कांग्रेस 15.2 पर पहुंच गयी. 46.6 फीसदी वोटों के साथ बीजेपी ने दिल्ली की सभी सातों लोक सभा सीटें बटोर लिये जबकि कांग्रेस और आप खाता भी नहीं खोल पाये.

2015 में जब फिर से दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हुए तो आप का वोट शेयर 54 फीसदी पहुंच गया और खाता न खुलने के बावजूद कांग्रेस को 10 फीसदी वोट मिले. बीजेपी का वोट शेयर लोक सभा के मुकाबले तो घट गया लेकिन उसने साल भर पुरानी हिस्सेदारी लगभग बरकरार रखते हुए 32 फीसदी वोट हासिल किये.

MCD चुनावों में आप को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ और वोट शेयर भी उसका 26 फीसदी दर्ज हुआ. कांग्रेस की हिस्सेदारी 21 फीसदी रही और बीजेपी ने 36 फीसदी वोटों के साथ बाजी मार ली.

modi posterबीजेपी का दिल्ली की सातों सीटें फिर से जीतने पर जोर

देखा जाये तो वोट शेयर के हिसाब से बीजेपी की हिस्सेदारी थोड़ा ऊपर नीचे जरूर रही, लेकिन कोई बड़ी उलटफेर नहीं हुई. कांग्रेस लगातार नुकसान में रही और आप में गिरावट दिखने लगा. यही वो वजह रही कि आप नेता अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर लालायित रहे. दरअसल, आप और कांग्रेस के कुछ नेताओं को लग रहा था कि दोनों मिलकर चुनाव लड़ें तो आप के 26 और कांग्रेस के 21 मिल कर बीजेपी को शिकस्त दे सकते हैं - लेकिन ये मुमकिन नहीं हो पाया.

आप तो कांग्रेस के ही वोट लेकर सत्ता में पहुंची और अब भी हालत यही है कि दोनों ही एक दूसरे के वोट काट रहे हैं. ये दोनों ही पार्टियां मध्य वर्ग के एक हिस्से और मुस्लिम वोटों के अलावा झुग्गियों और अनधिकृत कालोनियों में रहने वालों के बूते सत्ता की सीढ़ी चढ़ पाते हैं.

शीला दीक्षित के आने से संभव है कांग्रेस अपना वोट शेयर कुछ सुधार ले, लेकिन इसकी कीमत तो आप को ही चुकानी पड़ेगी - क्योंकि इसका सीधा फायदा बीजेपी को ही होगा. अरविंद केजरीवाल इसी बात से खफा है. कांग्रेस के प्रति केजरीवाल की नाराजगी बढ़ती ही जा रही है.

मोदी को प्रियंका का चैलेंज

12 मई को दिल्ली में चुनाव होने हैं - और चुनाव प्रचार खत्म होने के 24 घंटे पहले सभी दावेदारों ने पूरी ताकत झोंक दी है. शीला दीक्षित के समर्थन में प्रियंका गांधी रोड शो कर रही हैं, तो 4 मई को थप्पड़ हमले के बाद अरविंद केजरीवाल फिर से मैदान में कूद पड़े हैं. दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सातों संसदीय सीटों के लिए सिर्फ रामलीला मैदान में रैली कर बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं.

sheila dikshit, priyanka vadraप्रियंका ने खुद को दिल्ली की लड़की बता मोदी को किया चैलेंज

प्रियंका के दिल्ली रोड शो से पहले अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस नेतृत्व पर जोरदार हमला बोला है. आप कार्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में आप नेता केजरीवाल ने आरोप लगाया कि प्रियंका गांधी अपना समय बर्बाद कर रही हैं. केजरीवाल का सवाल है कि वो क्यों नहीं राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार कर रही हैं? केजरीवाल का आरोप है कि प्रियंका गांधी वाड्रा यूपी में सपा-बसपा गठबंधन के खिलाफ रैली कर रही हैं और दिल्ली में आप के खिलाफ रोड शो. अरविंद केजरीवाल ने प्रियंका के साथ साथ राहुल गांधी को भी लपेटा है. केजरीवाल का कहना है कि दोनों भाई-बहन मिल कर उन इलाकों में चुनाव प्रचार नहीं कर रहे जहां बीजेपी मजबूत है.

अपने बच्चों और शीला दीक्षित के साथ दिल्ली की सड़कों पर निकलीं प्रियंका वाड्रा ने पहले तो लोगों से खुद को कनेक्ट किया और फिर कहा कि मोदी को मिल कर हराना है. प्रियंका ने कहा, 'मैं दिल्ली में पैदा हुई हूं. महरौली से मजनूं का टीला तक सब जानती हूं. ये 7 रेस कोर्स में बंद रहे हैं. मैं दिल्ली में 47 साल से रह रही हूं. दिल्ली की जनता मेरे हर दर्द में शामिल रही है.'

एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुर्योधन की तरह अहंकारी बताने वाली प्रियंका वाड्रा ने कहा, 'हालात ऐसे हो गये हैं कि किसी बच्चे को जब होमवर्क दिया जाए तो स्कूल आकर बोले कि क्या करूं नेहरू जी ने मेरा पर्चा ले लिया, छुपा दिया. मैं क्या करूं इंदिरा जी ने कागज की कश्ती बना दी मेरे होमवर्क की और किसी पानी में डूबो दी.' हालांकि, हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मोदी ने प्रियंका वाड्रा के बहाने पूरे कांग्रेस को लपेटा और लोगों को वो सारी गाथा सुनायी जो राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक कांग्रेस के सारे नेता प्रधानमंत्री के लिए कहते आ रहे हैं - 'मौत का सौदागर' से लेकर 'खून के दलाल' तक.

साथ ही, प्रियंका वाड्रा ने प्रधानमंत्री को चैलेंज भी किया, 'दिल्ली की एक लड़की आपको खुली चुनौती दे रही है. चुनाव के आखिरी दो चरण नोटबंदी पर लड़िये, जीएसटी पर लड़िये, महिलाओं की सुरक्षा पर लड़िये - और उन वादों पर लड़िये जो आपने देश के नौजवानों से किए थे और धोखा दिया उन पर लड़िये.'

कितना असाधारण घटित हो रहा है?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट कर सबको काफी देर तक पहेलियों में उलझाये रखा. ट्वीट के आखिर में केजरीवाल भगवान से दिल्ली पर कृपा करने की भी दरख्वास्त की थी.

लोगों को ट्वीट का मतलब तब समझ में आ सका जब आप नेता प्रीति शर्मा मेनन ने केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा - हां, अब ये साफ है. आम आदमी पार्टी दिल्ली जीत रही है. केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, 'पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में आम आदमी पार्टी के पक्ष में भारी उछाल देखा जा रहा है. कुछ असाधारण घटित हो रहा है. भगवान हमारी दिल्ली पर कृपा करें.'

अरविंद केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य दिलाने के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं - और कह रहे हैं कि जीत गये तो दिल्ली में सीलिंग नहीं होने देंगे. बीजेपी राष्ट्रवाद और नेशनल सिक्योरिटी के नाम पर दिल्ली में भी वोट मांग रही है. कहने को तो कांग्रेस भी मोदी सरकार को शिकस्त देने के लिए शीला दीक्षित के कार्यकाल का हवाला देकर वोट मांग रही है, लेकिन नुकसान तो आप का ही हो रहा है. हालांकि, सीलमपुर में कुछ घरों पर ऐसे बैनर देखे गये जिन पर लिखा है - 'डियर शीला जी, आपने गठबंधन ठुकराया, हम तुम्हे ठुकराते हैं.'

एक दूसरे को घेरने के लिए आप, कांग्रेस और बीजेपी नेता जो भी कहें - लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो अलग इशारा कर रही हैं. बीजेपी हर हाल में दिल्ली की सभी सातों सीटें अपने पास रखने की कवायद में जुटी है - लेकिन आप और कांग्रेस अभी से कहीं ज्यादा आगे की लड़ाई लड़ रहे हैं. आप ने अभी से दिल्ली को पूर्ण राज्य दिलाने का मुद्दा उठाया है. इसका डबल फायदा है. पहला, ये सत्ता विरोधी लहर से ध्यान बंटाता है और दूसरा, विधानसभा चुनावों की तैयारी को आगे बढ़ा रहा है. कांग्रेस भी अगले साल के विधानसभा चुनावों की तैयारी करती हुई लगती है - और गठबंधन से पीछे हटने की एक वजह यही लगती है.

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