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Updated: 15 नवम्बर, 2017 05:20 PM
राहुल लाल
राहुल लाल
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भारत-आसियान संबंध भारतीय विदेश नीति के 'एक्ट ईस्ट नीति' का आधारस्तंभ है. ASEAN यानी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का समूह. 10 सदस्यों वाली इस संस्था के गठन का मुख्य उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, राजनीति, सुरक्षा, संस्कृति और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है. फिलीपींस की राजधानी मनीला में 31वें आसियान शिखर सम्मेलन,15वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और 12वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ.

भारत दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र की उन्नति का पक्षधर है. आर्थिक गलियारों से लेकर निवेश जैसे मामलों में वह सदस्य देशों के साथ मजबूती से बढ़ रहा है. आसियान की मनीला बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारत, आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका एक साथ आए हैं. चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत के बीच इन देशों ने माना है कि स्वतंत्र, खुला, खुशहाल और समावेशी हिंद प्रशांत क्षेत्र से दीर्घकालिक वैश्विक हित जुड़े हैं.

QUAD गठजोड़ : भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान को मिलाकर चतुष्कोणीय संगठन (QUAD) बनाने का विचार 10 साल पहले आया था. यह अस्तित्व में अब आया है. इस पहल को दक्षिण चीन सागर में चीन की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के साथ अलग-अलग मुलाकात कर गठबंधन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बात की. प्रधानमंत्री मोदी की वियतनाम और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्रियों और ब्रुनेई के सुल्तान से भी अलग-अलग मुलाकात हुई. ये मुलाकात हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को देखते हुए महत्वपूर्ण है.

ASEAN, PM Modiभारत आसियान देशों के साथ मजबूती से आगे बढ़ रहा है

साथ ही अब इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत-अमेरिका-जापान के बीच होने वाले नौ-सैनिक अभ्यास में आस्ट्रेलिया को जल्द ही शामिल कर लिया जाएगा. संभवतः अगले साल के सैन्य अभ्यास में आस्ट्रेलिया शामिल होगा. तीन देशों का पिछला सैन्य अभ्यास कुछ माह पहले बंगाल की खाड़ी में हुआ था. जापान इस गठबंधन को लेकर सबसे ज्यादा उत्साहित है. वह इसे सिर्फ सैन्य या सुरक्षा तक सीमित नहीं रखना चाहता, बल्कि वह इसका आर्थिक व निवेश क्षेत्र में भी विस्तार करने का इच्छुक है.

निशाने पर चीन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आसियान के मंच से पाकिस्तान और चीन को कड़ा संदेश दिया. दोनों ही देशों का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री मोदी ने जहां आतंकवाद और चरमपंथ को क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती करार दिया. वहीं पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करने वाले चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि- 'भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था का पक्षधर है.' प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य को दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल के प्रति आसियान देशों की नाराजगी को स्वर देने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.

जंग दक्षिण चीन सागर की : चीन प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है. जबकि वियतनाम और फिलीपींस जैसे पड़ोसी देशों को इस पर एतराज है. भारत पहले से ही इस इलाके में निर्बाध समुद्री परिवहन की वकालत करता रहा है. भारत के लिए दक्षिण चीन सागर का अति विशिष्ट महत्व है. हमारा भी 55% से अधिक व्यापार दक्षिण चीन सागर के माध्यम से होता है. यही कारण है कि भारत समुद्री कानून से संबंधित 1982 के संयुक्त राष्ट्र समझौते समेत अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांत के मुताबिक दक्षिण चीन सागर में परिवहन की आजादी और संसाधनों तक पहुंच का समर्थन करता है.

भारत-आसियान सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद और चरमपंथ को क्षेत्र के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि- 'अब समय आ गया है, जब क्षेत्र के सभी देश मिलकर इस चुनौती का सामना करें.' यही नहीं आतंकवाद पर गंभीरता प्रदर्शित करते हुए पूर्वी एशिया सम्मेलन ने भी मनी-लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को वित्त पोषण के खिलाफ अलग से घोषणाषत्र जारी किया. घोषणाषत्र में आतंकी नेटर्वकों की चुनौती से निपटने के लिए एकजुटता के साथ कार्य करने का दृढ़संकल्प व्यक्त किया गया.

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राहुल लाल राहुल लाल @rahul.lal.3110

लेखक अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं

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