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Updated: 30 नवम्बर, 2017 08:14 PM
आर.के.सिन्हा
आर.के.सिन्हा
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पाकिस्तान में अमन अभी दूर की कौड़ी है. उधर हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं. एक मंत्री पर ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तान जलता रहा. लाहौर, कराची, इस्लामाबाद, रावलपिंडी, पेशावर, शेखुपुरा समेत पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में इस्लामिक कट्टरपंथी तोड़-फोड़ करते रहे. इन्होंने सारे मुल्क में सामान्य जीवन और गतिविधियों को पंगु कर दिया. हालात बिगड़ते देखकर सरकार ने सेना को बुला लिया. सेना भी आ गई. पर सेना चीफ कमर जावेद बाजवा ने साफ कर दिया कि सेना आवाम के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं करेगी. सरकार खुद शांतिपूर्ण तरीके से हालात पर काबू पाए.

ये अपने आप में कतई छोटी घटना नहीं है. निर्वाचित सरकार के निर्देश को सेना ने खुले तौर पर मानने से इंकार कर दिया है. बाद में कठमुल्लों से समझौता किया गया. जिस मंत्री के इस्तीफे की कठमुल्ले मांग कर रहे थे, उसने अपने पद को छोड़ा. इस सारे घटनाक्रम का गहराई से अध्ययन करने के बाद कहीं न कहीं संकेत मिल रहे हैं कि अब पाकिस्तान में सैन्य शासन की भूमिका बन चुकी है. पाकिस्तान में लंबे समय तक सेना का शासन भी रहा है. अगर वहां फिर सेना आती है, तो ये पाकिस्तान के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी. हालांकि नेपथ्य में रहकर देश को तो पाकिस्तानी सेना ही चलाती है.

Pakistan, Armyआखिर पाकिस्तान की इस स्थिति के पीछे किसका हाथ है?

कौन फूंकता पाक को ?

यूं तो पाकिस्तान में कठमुल्लों की लंबी चौड़ी फौज है, पर अब उसमें एक नया नाम जुड़ा है खादिम हुसैन रिजवी का. उर्दू और पंजाबी में तकरीरें करने वाला रिजवी गैर-मुसलमानों और अपने विरोधियों को सरेआम अपशब्द बकता है. ये ही कानून मंत्री जाहिद हामिद के इस्तीफे की मांग कर रहा था. इसका आरोप था कि जाहिद हामिद ने ईशनिंदा की है. उसे कैबिनेट से निकाला जाए और फिर उस पर कार्रवाई हो. हालांकि सरकार और खुद हामिद सभी आरोपों को खारिज करते रहे. पर रिजवी और बाकी कठमुल्ले कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे.

Pakistan, Armyइन कठमुल्लों ने पैठ बना ली है

रिजवी के ज्ञान देने वाले वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहे हैं. वो जिस तरह से अपने शिष्यों को संबोधित करता है, उसे देखकर इसके धार्मिक नेता होने पर संदेह अवश्य होता है. ये अपने शिष्यों को फटकार भी लगाता रहता है. इसी क्रम में इसके चेले उसका हाथ चूमते रहते हैं. रिजवी का संबंध सुन्नी मुसलमानों की बरेलवी धारा से है. उसने देखते ही देखते अपनी छवि कठोर कठमुल्ले वाली बना ली है. कुछ साल पहले तक उसका किसी को कोई पता नहीं था. अब वो सियासत में भी अपने लिए संभावनाएं देखता है.

मारा ईशनिंदा का

दरअसल पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मसला है. इसके चलते पाकिस्तान में हिंसा अब स्थायी रूप ले चुकी है. जिनपर ईशनिंदा के आरोप लगते हैं, उनकी तो मानो मौत आ जाती है. उन्हें भीड़ मार डालती है. आपको याद होगा कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गर्वनर सलमान तासीर की उनके ही सुरक्षाकर्मी मुमताज कादरी ने 2011 में हत्या क दी थी. बाद में कादरी ने कहा था कि उसने तासीर की हत्या इसलिए की थी क्योंकि तासीर ने देश के ईशनिंदा कानूनों की आलोचना की थी. ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तान में किसी का भी कत्ल कर दिया जाता है. पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून में धार्मिक स्थलों को अपवित्र करने, मजहबी भावनाएं भड़काने, पैगंबर हजरत मोहम्मद की आलोचना और कुरान शरीफ को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए सजा की व्यवस्था है.

इस कानून में कुरान को क्षति पहुंचाने वाले के लिए उम्रकैद, जबकि पैगंबर की निंदा करने वाले के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. ईशनिंदा कानून में कुरान की प्रति या उसके किसी हिस्से को नुकसान पहुंचाने के कथित मामलों में आरोपी के इरादे के सबूत की जरूरत नहीं होती. ऐसे मामलों में सुनवाई मुस्लिम जज ही करता है. अब इन कठमुल्लों के निशाने पर कानून मंत्री जाहिद हामिद थे. उनके अलावा भी बहुत से सत्ताधारी दल के नेताओं पर हमले होते रहे. हमला करने वाले दूसरे का पक्ष सुनने के लिए तो तैयार ही नहीं थे.

Pakistan, Armyपाक के कानून मंत्री को आखिर इस्तीफा देना ही पड़ा

पाकिस्तान को आग के हवाले करने वालों का आरोप था कि हामिद ने 2017 के निर्वाचन विधेयक में अल्लाह के नाम पर शपथ लेने संबंधी कानून में बदलाव किया था. इसके बाद से ही कट्टरपंथियों ने उनका विरोध शुरू कर दिया था. हालांकि बाद में सरकार ने इनके दबाव में आकर कानून में बदलाव कर शपथ को पहले जैसा कर दिया. पर प्रदर्शन नहीं थम रहे थे. गौर करने वाली बात यह है कि ये विरोध प्रदर्शन तीन पार्टियों की तरफ से किया जा रहा था. इन पार्टियों में तहरीक-ए-लब्बैक या रसूल अल्लाह इस्लामिक संगठन, तहरीक ए खात्मे ए नबूवत और सुन्नी तहरीक पाकिस्तान का नाम शामिल है. रिजवी का संबंध तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) से है. टीएलपी की कमान खादिम हुसैन रिजवी के हाथों में है. इसका मकसद पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है. जो शरियत-ए-मोहम्मदी के अनुसार काम करे. कहते हैं कि ये पाकिस्तान में अगले साल होने वाले चुनाव में बड़े स्तर पर उतरेगी.

सेना की चाहत

अब लग रहा है कि पाकिस्तान में सेना अपने लिए और बड़ा रोल चाहती है. उसे छावनियों में रहना पसंद नहीं है. ताजा मामले में सेना निर्वाचित सरकार के निर्देशों की लगभग अवेहलना करती रही है. सेना चीफ बाजवा प्रदर्शनकारियों पर एक्शन लेने से बचते रहे. इसलिए लग रहा है कि बाजवा जनरल अयूब खान, यहिय़ा खान, जिया उल हक और परवेज मुशर्ऱफ की राह पर चल सकते हैं. ये सभी सैनिक तानाशाह थे.

बता दें कि पाकिस्तान सेना ने खून-खराबा करने में अपने बंगाली देशवासियों को भी नहीं छोड़ा था. पाकिस्तानी सेना अपने आप में किसी माफिया गिरोह से कम नहीं है. पाकिस्तान सेना ने देश में चार बार निर्वाचित सरकारों का तख्ता पलटा. सेना ने पाकिस्तानी सेना को एक माफिया के रूप में विकसित किया. देश में निर्वाचित सरकारों को कभी कायदे से काम करने का मौका ही नहीं दिया. पाकिस्तानी सेना ने देश के विश्व मानचित्र में सामने आने के बाद अहम राजनीतिक संस्थाओं पर भी प्रभाव बढ़ाना शुरु कर दिया. भारत से खतरे की आड़ में ही पाकिस्तान में लगातार सैनिक शासन पनपता रहा है.

कठमुल्लों को खाद-पानी

हालांकि बीते कुछ सालों से वहां पर नाम-निहाद लोकतांत्रिक सरकारें रही हैं. पर सेना का असर बना रहा. ये ही सेना वहां पर मौलाना मसूद अजहर, हाफिज सईद और अब रिजवी जैसों का साथ देती है. इन कठमुल्लों को ताकत पाकिस्तानी सेना की खुफिया एजेंसी आईएसआई से ही मिलती है. पाकिस्तान में आगजनी फैलाने वाले रिजवी पर कोई एक्शन नहीं लिया जाना इस बात को साबित करता है कि उसे भी पाकिस्तान सेना पाल रही है. वो तो चाहती है कि पाकिस्तान में इतनी अराजकता और अव्यस्था फैल जाए कि उसे देश में सैन्य शासन लगाने का बहाना मिल जाए.

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लेखक

आर.के.सिन्हा आर.के.सिन्हा @rksinha.official

लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं.

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