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Updated: 01 अक्टूबर, 2018 11:58 AM
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संयुक्त राष्ट्र महासभा से लेकर सरहद तक पाकिस्तान की बेचैनी साफ साफ देखी झलक रही है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तानी विदेश मंत्री का भाषण और उसके बाद पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सीमा में आया हेलीकॉप्टर, वस्तुस्थिति को समझने के लिए काफी लगते हैं.

सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने ताजा सर्जिकल स्ट्राइक की औपचारिक पुष्टि नहीं की है. फिर भी लगता है, पाकिस्तान में इस बार कुछ ज्यादा ही खलबली मची हुई है.

30 सितंबर को दोपहर में भारतीय सीमा के भीतर एक हेलीकॉप्टर देखा गया है - और उसके बाद सुरक्षा बलों को अलर्ट कर दिया गया है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संयुक्त राष्ट्र में भाषण और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के संकेतों के बाद - ऐसा लगता है, सरहद पार से भी सर्जिकल स्ट्राइक के रुझान आने लगे हैं.

अब तक '56 इंच' की बदौलत

अपनी 48वीं 'मन की बात' में प्रधानमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किया - और कहा, "सर्जिकल स्ट्राइक आतंक की आड़ में चलाए जा रहे प्रॉक्सी वॉर की धृष्टता करने वालों को दिया गया मुंहतोड़ जवाब था."

surgical strikeसेना का सीमा पार कोहराम...

प्रधानमंत्री मोदी असल में 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के पराक्रम पर्व का जिक्र कर रहे थे. मोदी से पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह ताजा सर्जिकल स्ट्राइक के भी संकेत दे चुके हैं - 'जो भी हुआ है ठीक ठाक हुआ है.' राजनाथ सिंह के संकेतों की पुष्टि बीएसएफ के डीजी के बयान से भी हुई कि शहीद जवान नरेंद्र सिंह दहिया के साथ पाकिस्तान की हरकत का बदला ले लिया गया है.

पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने दो साल पहले किये गये सर्जिकल स्ट्राइक को याद करते हुए कहते हैं, "प्रधानमंत्री द्वारा ये एक बहुत ही साहसी निर्णय था."

सर्जिकल स्ट्राइक के वाकये को याद करते हुए जनरल सुहाग जोश से भर उठते हैं. बताते हैं कि ऑपरेशन से छह दिन पहले उन्होंने प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी जानकारी दी. जनरल सुहाग के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कुछ विचार विमर्श किया और उसके बाद फौरन मंजूरी दे दी.

प्रधानमंत्री के विरोधी जरूर बार बार उनके '56 इंच' वाले बयान का जिक्र कर मखौल उड़ाते हैं, लेकिन मोदी के प्रशंसक और उनकी लीडरशिप में भरोसा रखने वाले न तो ऐसी बातों पर यकीन करते हैं, न इत्तेफाक रखते हैं. वे मानते हैं कि ये सब उसी '56 इंच' की बदौलत मुमकिन हो पा रहा है.

सर्जिकल स्ट्राइक के रुझान

पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी सार्क मंत्रियों के कार्यक्रम के वक्त से ही बेहद नाराज हैं. असल में सार्क मंत्रियों के कार्यक्रम में सुषमा स्वराज ने अपना भाषण दिया और चल दीं. कुरैशी को ये बेहद नागवार गुजरा कि उनकी बारी आने तक भारतीय विदेश मंत्री रुकी नहीं. बाद में जैसे तैसे कुरैशी ने भड़ास निकाली.

बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुषमा स्वराज का भाषण ज्यादातर पाकिस्तान पर ही फोकस रहा. सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने के कई उदाहरण पेश किये. मसलन, अंतर्राष्ट्रीय आतंकी ओसामा बिन लादेन को छिपाये रखना और मुंबई हमले के मास्टरमाइंट हाफिज सईद को संरक्षण और खुली छूट देना.

अपनी बारी आने पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत पर आरोपों की बौछार की है, जिनमें सबसे घटिया इल्जाम पेशावर के स्कूल में आतंकी हमले को लेकर है.

पाक विदेश मंत्री कुरैशी के भाषण में मुख्य तौर पर जो बातें सुनने को मिलीं वे हैं -

1. पाक विदेश मंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार बताया है. संघ को फासीवाद का केंद्र बताते हुए कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए आएसएस जिम्मेदार है.

2. पाकिस्तान में आतंकवाद के पीछे भारत का हाथ बताते हुए कुरैशी ने आरोप लगाया कि भारत इस्लामाबाद में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है.

3. कुरैशी ने कहा कि भारत के सबसे बड़े राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ का मुख्य एजेंडा हिंदूवाद है और वो अल्पसंख्यक विरोधी हैं.

4. पाकिस्तान की ओर से सबसे घटिया इल्जाम रहा - '2014 में पेशावर में हुए स्कूली हमले में भारत का हाथ था.'

कुरैशी के तमाम आरोपों का एक एक कर सटीक जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की सेक्रटरी इनम गंभीर ने कहा कि नया पाकिस्तान तो और भी निराश करने वाला है. दरअसल, इमरान खान ने हाल के चुनावों में नये पाकिस्तान के नाम पर ही वोट मांगे थे. इनम गंभीर ने पाकिस्तान को याद दिलाया - 'पेशावर के स्‍कूल में आतंकी हमले की भारत ने निंदा की थी. भारतीय संसद के दोनों सदनों ने इस पर दुख जताते हुए मौन रखा था. भारत के सभी स्कूलों ने बच्चों की याद में दो मिनट का मौन रखा था. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय पेशावर हमले में मारे गए बच्‍चों का अपमान कर रहा है.'

संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के भाषण पर बीबीसी रेडियो से बातचीत में एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुक्तदर खान की टिप्पणी बड़ी महत्वपूर्ण लगती है. प्रोफेसर खान की नजर में पाकिस्तान को घेरना तो ठीक है, लेकिन उससे आगे बढ़ कर सोचने की जरूरत है. प्रोफेसर खान नये संदर्भ में दुनिया में चीन और अमेरिकी प्रभाव के बीच भारत की भूमिका बेहद अहम मानते हैं.

प्रोफेसर मुक्तदर खान कहते हैं, "सबसे अहम ये है कि अमरीका का लोकतंत्र कमज़ोर हो रहा है लेकिन भारत में लोकतंत्र मज़बूत है. बहुधर्मवाद मजबूत है. सिविल सोसायटी मजबूत है. प्रेस की आजादी मजबूत है... मुझे लगता है कि भारत को अपना नजरिया बड़ा और वैश्विक बनाना चाहिेए. ये महसूस करना चाहिए कि विश्व स्तर पर भारत एक बहुत अहम देश बन गया है."

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