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Updated: 21 सितम्बर, 2018 02:03 AM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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सीने पर तीन गोलियां मारीं, कंधा और टांग काट दिया, गला रेत दिया, करंट लगाकर झुलसाया, आंख निकाल ली... ये वो हैवानियत है, जिसका शिकार हुए हैं नरेंद्र सिंह. पाकिस्तान ने इस बार बीएसएफ के जवान के साथ जो किया है, उसके लिए पाक को जितनी सजा दी जाए वो कम है. पाकिस्तानी सेना की इस बर्बरतापूर्ण हरकत ने ये साफ कर दिया है कि ये बातचीत के भी लायक नहीं है, इनका इलाज सिर्फ और सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक ही है. ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान ने ये घिनौनी हरकत पहली बार की है, लेकिन इस बार हैवानियत की सारी हदें पार कर दी हैं. पाकिस्तान की इस हरकत से साफ है कि वह अब सिर्फ युद्ध करना चाहता है. वह भारत साथ बातचीत कर के रिश्तों की कड़वाहट को खत्म करने का सिर्फ ढोंग कर रहा है.

पाकिस्तान, भारतीय सेना, सर्जिकल स्ट्राइक, बीएसएफसीने पर तीन गोलियां मारीं, कंधा और टांग काट दिया, गला रेत दिया, करंट लगाकर झुलसाया, आंख निकाल ली.

क्या है मामला?

बात 18 सितंबर, मंगलवार की है, जो जम्मू-कश्मीर के रामगढ़ सेक्टर में हुई है. मंगलवार देर रात को हरियाणा के सोनीपत में रहने वाले हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र कुमार का शव अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास से बरामद किया गया. हर दिन दुश्मन की गोलियों का सामने करने वाले और न जाने कितने शव देख चुके सेना के जवानों ने भी जब नरेंद्र सिंह का शव देखा तो सिहर उठे. मन में बेहद दुखी भी हुआ और गुस्से भी भर गया. जवान को पाकिस्तानी सेना ने पहले तड़पाया था और फिर गोली मार दी थी. इतने से भी उनका मन नहीं भरा तो गला रेत दिया और आंख निकाल ली. उनका कंधा और पैर भी काट दिया गया था. यह सब कर के पाकिस्तानी सेना यही संदेश दे रही है कि उन्हें बातचीत नहीं कर है. आतंक का पनाहगार बने पाकिस्तान की सेना भी आतंकियों जैसा बर्ताव करने लगी है. क्रूरता और हैवानियत की सारी हदें पार के पाक सेना सिर्फ यही दिखाना चाहती है कि उनकी संवेदना अब मर चुकी है.

भारतीय सेना ने जवान की तलाश करने के लिए पाकिस्तानी रेंजर्स का सहयोग भी मांगा था, लेकिन उन्होंने दलदल का हवाला देकर मना कर दिया. दरअसल, दलदल को उन्होंने एक बहाने की तरह इस्तेमाल किया और नरेंद्र सिंह के शव के साथ बर्बरता की. दिन के समय में आगे बढ़ने पर खतरा था, क्योंकि और भी जवानों को निशाना बनाया जा सकता था, इसलिए रात का इंताजर किया गया. लेकिन रात में सेना के जवानों ने जब शव को देखा तो उनके होश उड़ गए. भारत ने डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन के स्तर पर पाकिस्तान से बात की और बीएसएफ जवान के साथ हुई बर्बरता पर कड़ा ऐतराज जताया.

पहले भी कर चुके हैं बर्बरता

करीब 5 साल पहले जनवरी 2013 में लांस नायक हेमराज के साथ भी पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम यानी बैट ने ऐसी घिनौनी हरकत की थी. उन्होंने हेमराज का सिर काट लिया था और अपने साथ ले गए थे. पाकिस्तान की ये बर्बरता और कायरता पूर्ण हरकतें करगिल युद्ध के दौरान से ही चली आ रही हैं. उस दौरान भटक कर पाकिस्तानी सीमा में जा पहुंचे कैप्टन सौरभ कालिया और अन्य 5 सिपाहियों को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया था और करीब 20 दिनों तक अमानवीय प्रताड़ना देते रहे. इसके बाद शवों को भारतीय सेना को सौंप दिया गया था.

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आतंकियों का पनाहगार है पाकिस्तान

पाकिस्तान के साए में आतंक तेजी से फल-फूल रहा है. पेशावर में आतंकी हमले में सैकड़ों बच्चों की मौत के बाद भी आतंकियों के लिए पाकिस्तान का मोह कम नहीं हुआ है. मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है, लेकिन कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा. दाऊद के भी पाकिस्तान में होने की कई बार पुष्टि हो चुकी है. ये पाकिस्तान ही है तो ओसामा बिन लादेन के देश में ना होने का दावा करता था, लेकिन अमेरिकी सील कमांडोज ने ऐबटाबाद में घुसकर ओसामा को मौत के घाट उतारा. पाकिस्तान है भी इसी काबिल, क्योंकि वह खुद तो आतंकवाद के खिलाफ कोई एक्शन लेता नहीं है, ऐसे में घर में घुस कर मारने के अलावा और कोई चारा भी नहीं बचता.

अमेरिका की रिपोर्ट खोल रही पोल

आतंकवाद पर अमेरिकी की तरफ से बुधवार को एक रिपोर्ट आई है, जिसके अनुसार जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा आतंकी समूह एक बड़ा खतरा बन गए हैं और पाकिस्तान इनसे निपटने के लिए कोई पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा है. हाल ही में अमेरिका की तरफ से भी पाकिस्तान को 2100 करोड़ रुपए की मदद रोकी जा चुकी है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ये कह भी चुके हैं कि अगर पाकिस्तान अमेरिका से कोई उम्मीद रखता है तो उसे आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी. लेकिन इमरान खान तो कारें और भैंसें बेचने में व्यस्त हैं और उनकी नाक के नीचे आतंकवाद पनप रहा है.

भारतीय सेना के जवान के साथ हुई बर्बरता के लिए भारत बेशक पाकिस्तान से बात करेगा, लेकिन इसका नतीजा कुछ नहीं निकलने वाला है. पाकिस्तानी सेना एक टेढ़ी दुम जैसी है, जो किसी भी हालत में सीधी नहीं होने वाली है और इमरान खान से बात करने का कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि वह खुद सेना के इशारों पर चलते हैं. हर बार की तरह इस बार भी सेना के जवान की मौत पर राजनीति गरम हो चुकी है, विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधना भी शुरू कर दिया है, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि इस हैवानियत का बदला लेने के लिए अगली सर्जिकल स्ट्राइक कब होती है.

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