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Updated: 30 सितम्बर, 2018 06:36 PM
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मोदी सरकार पराक्रम पर्व मना रही है - और इसी बीच एक और सर्जिकल स्ट्राइक की खबर आ रही है. खबर पक्की है क्योंकि, संकेतों में ही सही, देश के होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने खुद ही इसकी पुष्टि कर दी है.

मगर, देश जानना चाहता है - सबूत नहीं, थोड़ी विस्तृत जानकारी. 'ये दिल मांगे मोर...' सबूत मांगने वाले तो मांग ही लेंगे. हालांकि, सेना के कुछ अफसरों को सर्जिकल स्ट्राइक के बहाने हो रही राजनीति से ऐतराज है. सबूत मांगने वाले तो अपनी राजनीति कर ही रहे हैं.

सालगिरह पर सर्जिकल स्ट्राइक, बढ़िया है...

जोधपुर में पराक्रम पर्व के तहत पाकिस्तान के खिलाफ 2016 में हुए सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर प्रदर्शनी चल रही है. इसी दरम्यान, गृह मंत्री राजनाथ सिंह यूपी के मुजफ्फरनगर में शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर हो रहे एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते वक्त अचानक ध्यान दिलाया - 'आप लोगों को मालूम है?'

फिर बोले, "हमारे बीएसएफ जवान के साथ बदतमीजी हुई थी, जवाब में दो दिन पहले भी हमारी तरफ से ठीक-ठाक हुआ. मैंने बीएसएफ के जवानों को कहा है कि पड़ोसी हैं पहली गोली मत चलाना, लेकिन उधर से एक गोली चले तो फिर अपनी गोली मत गिनना..."

surgical strikeपराक्रम पर्व के बीच सर्जिकल स्ट्राइक

राजनाथ सिंह बीएसएफ जवान नरेंद्र सिंह दहिया का ही जिक्र कर रहे थे. बीएसएफ जवान के साथ पाकिस्तानी रेंजरों ने जो सलूक किया था उससे सुरक्षा बलों के साथ साथ देश के लोगों में भी काफी गुस्सा था. ऐसा ही गुस्सा दो साल पहले जम्मू कश्मीर के उड़ी आर्मी कैंप पर हुए आतंकवादी हमले के बाद देखा गया था, जिसके बाद सेना ने शहीदों के साथियों को सर्जिकल स्ट्राइक मिशन पर भेज कर बदला लिया था.

राजनाथ सिंह ने विस्तृत जानकारी तो नहीं दी, लेकिन इतना जरूर बताया कि जो कुछ हुआ है वो 'ठीक ठाक' है और ये दो-तीन दिन पहले की बात है. गृह मंत्री के बाद बीएसएफ के महानिदेशक के के शर्मा ने थोड़ी जानकारी दी, "अपने जवान की मौत का बदला लेने के लिए हमने नियंत्रण रेखा पर पर्याप्त कार्रवाई की है. हमारे पास उचित समय पर और अपनी पसंद के स्थान पर जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है."

केके शर्मा तीस सितंबर को रिटायर होने जा रहे हैं और उनकी जगह यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी रजनीकांत मिश्रा की नियुक्ति की घोषणा भी हो चुकी है.

सितंबर 28/29, 2016 को रात के अंधेरे में सेना ने पाकिस्तान की सीमा में करीब तीन किलोमीटर अंदर तक घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया था. ऐसा एक्शन तो पहली बार नहीं हुआ था, लेकिन सार्वजनिक तौर पर सेना की ओर से इसका ऐलान जरूर किया गया.

हाल ही में आर्मी चीफ बिपिन रावत ने भी पाकिस्तान के खिलाफ एक और सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत महसूस की थी. आर्मी चीफ के बयान पर पाकिस्तानी फौज ने कड़ी प्रतिक्रिया जतायी थी.

सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बधाई संदेश के जवाब में पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने भी चिट्ठी लिखी थी. चिट्ठी में बातचीत आगे बढ़ाने के साथ ही इमरान खान की इच्छा थी कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पाकिस्तान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और सुषमा स्वराज की मुलाकात हो. पाकिस्तानी फौज की हरकतों के कारण ही भारत ये ऑफर ठुकरा दिया.

surgical strikeबदलापुर...

फिर इमरान खान ने अपने नाराजगी भरे ट्वीट में लिखा, 'शांति बहाली के लिए बातचीत की शुरुआत की मेरी पहल पर भारत के अहंकारी और नकारात्मक जवाब से बेहद निराश हूं। हालांकि, मैं अपनी पूरी जिंदगी ऐसे छोटे लोगों से मिला हूं जो बड़े दफ्तरों पर ऊंचे ओहदे पर बैठे हैं, लेकिन उनमें आगे तक देख सकने के लिए दूरगामी सोच की कमी है.'

सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की मीटिंग में भी सुषमा स्वराज ने अपनी बात रखी और चलती बनीं. बाद में जब पाक विदेश मंत्री की बारी आयी तो शाह महमूद कुरैशी ने भारत के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली.

जहां तक सर्जिकल स्ट्राइक की बात है, सेना के अफसर इसके बहुत प्रचार प्रसार के पक्ष में नहीं हैं. अफसरों में सबसे ज्यादा नाराजगी सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर हो रही 'लगातार राजनीति' को लेकर है. बताते हैं पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक होती रही है, लेकिन पहले कभी बताया नहीं गया. बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर के. पहली बार कभी न कभी तो होता ही है. आखिर सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर देश के सामने अपनी बात तो पहली ही बार रखी थी.

टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में ऐसे ही एक अफसर का कहना रहा, "सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो क्लिप लीक कर दिये गये. टीम के कुछ सदस्य टीवी चैनलों पर नजर आये, भले ही उनके चेहरे छिपा लिये गये हों. गुपचुप अंजाम दिये गये अभियानों को गुप्त ही रखा जाना चाहिये."

दरअसल, सर्जिकल स्ट्राइक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से राजनीति हो रही है. विपक्ष की मजबूरी है कि इस मसले पर कुछ भी कहने पर सत्ता पक्ष के नेता उसे सेना और जवानों से जोड़ देते हैं.

पिछली बार तो आप नेता अरविंद केजरीवाल सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत ही मांग रहे थे, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर खून की दलाली करने का इल्जाम लगा रहे थे. जैसे ही दोनों नेताओं को लगा कि उनकी बातों से लोग नाराज हो रहे हैं, खामोशी अख्तियार कर ली.

फौजी अफसर जो भी सोचें या कहें, आम चुनाव नजदीक है - और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले ही साफ कर दिया है कि एजेंडा राष्ट्रवाद ही होगा. ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति न हो, संभव नहीं लगता.

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