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Updated: 01 नवम्बर, 2015 07:10 PM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
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बधाई! बिहार चुनाव इंटरनेशनल हो गया है. इसलिए जो लोग सत्ता में हैं, वे बांचने लगे हैं कि यहां की जीत-हार पर पाकिस्तान की नजर है. जरूरत के हिसाब से पटाखे उनलोगों ने भी खरीदे रखे हैं. फिर यह मुद्दा भी उछाल दिया गया कि पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' के ऑनलाइन संस्करण पर नीतीश कुमार ने विज्ञापन दिया है. आप भी कंफ्यूज हो रहे होंगे कि विकास, विकास करते-करते ये पाकिस्तान-पाकिस्तान कैसे होने लगा.

दरअसल, बिहार चुनाव अब समाप्ति पर है. इसलिए बचे-खुचे सारे हथियार इस्तेमाल होंगे. इस उम्मीद में कि क्या पता कौन सा वाला काम कर जाए. केंद्र में मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने 'डॉन' के वेबसाइट पर आए उस विज्ञापन की तस्वीर के साथ ट्वीट किया, 'नीतीश ने पाकिस्तानी अखबार में अपना विज्ञापन दिया है. आखिर पाकिस्तानी अखबार की जरूरत उन्हें क्यों पड़ी. वह अपनी बात किसे पहुंचाना चाहते हैं.' इसके बाद सुशील मोदी का बयान कि नीतीश डॉन में अपना विज्ञापन देकर पाकिस्तानी लोगों को कहना चाहते हैं कि वे बिहार में रहने वाले अपने सगे-संबंधियों को फोन या मेल कर बताएं कि उन्हें बीजेपी को हराने के लिए महागठबंधन को वोट देना चाहिए.

यह ताज्जुब की बात है जो नेता या जिन पार्टियों ने भारत में चुनाव प्रचार का रंगरूप बदल दिया. सबकुछ डिजिटल करने की बात कर रहे हैं. उनके नेताओं को ही नहीं मालूम कई वेबसाइटों के लिए विज्ञापन गूगल जारी करता है. गूगल चुनिंदा आईपी एड्रेसों के लिए विज्ञापन तय करता है. यह काफी हद तक इस पर भी निर्भर करता है कि आपने हाल में गूगल पर क्या सर्च किया है. मतलब ये कि उसी समय पर अगर आप डॉन की वेबसाइट खोलें और और मैंने भी खोली तो जरूरी नहीं कि हम दोनों को एक ही विज्ञापन दिखाई दे.

इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों के लिए यह बहुत मामूली बात है. लेकिन फिर भी इसे जिस तरह पेश किया गया वह दर्शाता है कि बातें कितने निचले स्तर पर हो रही हैं. जाहिर है, यह सब ध्रुवीकरण की ही कोशिश है. आप भले ही नकारते रहिए. इतनी माथापच्ची किशनगंज, छपरा या सिवान में रह रहा कोई किसान तो नहीं करेगा. उसके पास और भी अपने काम हैं. इसलिए मामला संभलने तक आपका काम निकल जाएगा. बस, यही नीति है और इसी पर सब काम कर रहे हैं.

वैसे भी, चुनाव हो और उसे जात-पात, हिंदू-मुस्लिम, भारत-पाकिस्तान का रंग न दिया जाए तो चुनाव टाइप माहौल वाली फील नहीं आती. विकास, विकास करते रहिए, पुरातन मुद्दे तो यही हैं.

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लेखक

विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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