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Updated: 11 जुलाई, 2021 04:42 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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मोदी कैबिनेट विस्तार में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सियासी समीकरणों को साधते हुए सात सांसदों को मंत्री बनाया गया है. माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा की इस सोशल इंजीनियरिंग का फायदा यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP assembly elections 2022) में पार्टी को मिल सकता है. लेकिन, इस कैबिनेट विस्तार में जगह न मिलने से त्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी (Nishad Party) के मुखिया संजय निषाद खासे खफा नजर आ रहे हैं. संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने अपने बेटे और संतकबीरनगर से भाजपा (BJP) सांसद प्रवीण निषाद को मंत्री नहीं बनाने पर खुलकर नाराजगी जताई है.

संजय निषाद का कहना है कि अगर कुछ सीटों पर जनाधार रखने वाली अनुप्रिया पटेल को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, तो 160 सीटों पर प्रभाव रखने वाले प्रवीण निषाद को क्यों नहीं? इसके साथ ही संजय निषाद ने 2018 के लोकसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ यानी गोरखपुर की सीट पर प्रवीण निषाद द्वारा भाजपा प्रत्याशी को हराने की बात भी याद दिला दी. अपनी इस मांग को लेकर उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि निषाद समाज को लेकर अगर भाजपा अपनी गलती नहीं सुधारती है, तो आगामी विधानसभा चुनाव में इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

कुछ ही समय पहले संजय निषाद ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में खुद को भाजपा की ओर से उप मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की मांग भी की थी. सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद निषाद पार्टी प्रमुख के सुर थोड़ा ढीले हुए थे. लेकिन, गोरखपुर पहुंचते ही उन्होंने फिर से उफ मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग दोहरा दी थी. माना जाता है कि यूपी की करीब 20 लोकसभा सीटों के साथ ही इनके अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर भी निषाद समुदाय और उनकी अन्य उपजातियों का दबदबा है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले संजय निषाद की ये मांग भाजपा के लिए सिरदर्द बन सकती है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि यूपी में एनडीए के असंतुष्टों को भाजपा अपने साथ कैसे लाएगी?

सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर में भाजपा के लिए निषाद पार्टी चुनौती बन सकती है.सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर में भाजपा के लिए निषाद पार्टी चुनौती बन सकती है.

बिहार की VIP यूपी में क्यों आई?

बिहार की नीतीश कुमार सरकार में एनडीए गठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने यूपी की 150 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इसी महीने वीआईपी के अध्यक्ष और बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) ने अपनी पार्टी को यूपी में लॉन्च किया है. 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले भी मुकेश सहनी ने यूपी में अपनी किस्मत आजमानी चाही थी. निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने उस दौरान मुकेश सहनी के साथ मिलकर एक बड़ी रैली की थी. लेकिन, इसके बाद सहनी ने वापस बिहार का रुख कर लिया था. भाजपानीत एनडीए के साथ गठबंधन में शामिल वीआईपी का यूपी में आगमन चौंकाने वाला कहा जा सकता है.

राजनीतिक दल के तौर पर हर पार्टी को अपनी संभावनाएं टटोलने का अधिकार है. लेकिन, सवाल ये उठता है कि निषाद समाज की अगुवाई करने वाली वीआईपी चुनाव से पहले निषाद पार्टी के ही मुद्दों को लेकर किसे कमजोर करने की कोशिश कर रही है? क्या भाजपा ने एक रणनीति के तहत वीआईपी को यूपी में न्योता दिया है? बिहार में चार विधायकों के दम पर नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने मुकेश सहनी का यूपी में निषाद पार्टी के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश जरूर करेंगे. मुकेश सहनी अपने नाम के आगे 'सन ऑफ मल्लाह' लगाते हैं. देखना दिलचस्प होगा कि वीआईपी अकेले चुनाव लड़ती है या भाजपा के साथ गठबंधन कर.

जेडीयू भी यूपी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने का ऐलान कर चुकी है.जेडीयू भी यूपी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने का ऐलान कर चुकी है.

जेडीयू भी ठोक रही है ताल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू भी यूपी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने का ऐलान कर चुकी है. हाल ही में जेडीयू (JDU) नेता केसी त्यागी ने कहा था कि अगर विधानसभा सीटों की संख्या पर भाजपा के साथ बात नहीं बनी, तो पार्टी छोटे दलों के साथ जाएगी. केसी त्यागी ने कहा था कि पार्टी यूपी की 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. भाजपा के लिए यूपी में पूर्वांचल का हिस्सा एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. 2017 के विधानसभा में भी जेडीयू ने यूपी में करीब एक साल तक तैयारी के बाद हाथ पीछे खींच लिया था. नीतीश कुमार ने उस दौरान करीब एक दर्जन सभाओं को संबोधित किया था.

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भाजपा के सामने चुनौतियां खत्म होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं. निषाद पार्टी और वीआईपी जैसे छोटे दल के साथ ही उसके सामने एनडीए में शामिल जेडीयू भी वर्तमान हालात में खुद को भाजपा की जरूरत बता रहा है. किसान आंदोलन की वजह से पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय भाजपा से खफा माना जा रहा है. पूर्वांचल के कई जिलों में प्रभाव रखने वाले राजभर समुदाय के ओमप्रकाश राजभर अपना अलग 'भागीदारी संकल्प मोर्चा' बना चुके हैं. भाजपा के सामने इन तमाम असंतुष्टों को साधने की चुनौती बनी हुई है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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