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Updated: 09 मई, 2019 07:48 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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यूपी की जिन सात सीटों पर बीजेपी के कब्जे की कोशिश है उन्हीं में से एक है - आजमगढ़. आजमगढ़ से बीजेपी ने इस बार भोजपुरी सिंगर और एक्टर निरहुआ उर्फ दिनेशलाल यादव को उम्मीदवार बनाया है. निरहुआ का मुकाबला समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव से है. 2014 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ और मैनपुरी दोनों सीटों पर चुनाव जीते थे, लेकिन बाद में मैनपुरी से इस्तीफा दे दिया था. मुलायम सिंह इस बार मैनपुरी से चुनाव मैदान में हैं और अखिलेश यादव पिता की सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार हैं.

निरहुआ के चुनाव प्रचार के लिए आजमगढ़ पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ तो बेहत सख्त दिखे, लेकिन यूपी के यादव परिवार के प्रति बेहद मुलायम नजर आये.

क्या मोदी की नजर मुस्लिम वोट पर है?

दिनेशलाल यादव निरहुआ के लिए वोट मांगने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजमगढ़ में भी कांग्रेस नेतृत्व और यूपीए सरकार को लपेटा. प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस की सरकार पर आजमगढ़ की साख खराब करना का इल्जाम लगाया.

प्रधानमंत्री मोदी ने सवाल उठाते हुए कहा, 'जब भी कोई आतंकी हमला होता था तो उसके तार खोजते हुए एजेंसियां आजमगढ़ पहुंच जाती थीं.' फिर मोदी ने समझाया कि 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से आजमगढ़ का नाम आतंकियों से नहीं जोड़ा जाता. मोदी ने कहा कि अब आतंकवादी सिर्फ जम्मू-कश्मीर और सरहद से लगे छोटे से हिस्से में सिमट चुके हैं.

मोदी ने कहा, 'हमारी सरकार ने आतंक के खिलाफ कार्रवाई की. हमने पाकिस्तान में घुस करके आतंकियों पर प्रहार किया है.'

फिर मोदी ने अपने नियमित सवाल-जवाब का सिलसिला भी चलाया, 'ठीक किया कि नहीं किया?'

जब मोदी-मोदी के नारों से मैदान गुलजार होने लगा तो बीजेपी के सुपरस्टार प्रचारक निरहुआ पर फोकस होते गये - और सिर्फ निरहुआ ही नहीं पूरे भोजपुरी समाज से बीजेपी को जोड़ते हुए कमल का फूल खिलाने की अपील कर डाली.

मोदी ने आजमगढ़ में निरहुआ को आगे रखा!

अब तक यही देखने को मिल रहा था कि बीजेपी उम्मीदवार दिनेशलाल यादव मोदी के नाम पर वोट मांग रहे थे. निरहुआ के भाषणों में हमेशा ही सर्जिकल स्ट्राइक, राष्ट्रवाद, पाकिस्तान जैसे कीवर्ड सुनने को मिलते रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुन कर तो ऐसा लगा जैसे वो खुद पीछे हटकर निरहुआ को आगे कर दिये - और वोट भी मोदी के नाम पर मांगने की जगह निरहुआ के नाम पर मांग लिये. मोदी ने ये तो कहा कि हर वोट मोदी के खाते में जाएगा, लेकिन निरहुआ की तारीफ कुछ ज्यादा ही करते रहे.

मोदी से पहले निरहुआ की जबान पर मुलायम सिंह यादव की ही तारीफ सुनने को मिला करती थी. समाजवादी पार्टी की सरकार में निरहुआ को भी यश भारती सम्मान मिला था, लेकिन बीजेपी का टिकट मिल जाने के बाद से निरहुआ के सुर पूरी तरह पलट गये. अब तो निरहुआ का कहना है कि मुलायम सिंह यादव सिर्फ अपने परिवार और नजदीकियों को बढ़ाने में जुटे रहे. इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में निरहुआ का तो यहा तक कहना रहा, 'मुलायम सिंह 2014 में सांसद चुने गये लेकिन अपना सर्टिफिकेट तक लेने आजमगढ़ नहीं आये.' निरहुआ के ये सब समझाने का मकसद भी यही है कि अखिलेश यादव भी चुनाव जीतने के बाद इटावा छोड़ कर आजमगढ़ नहीं आने वाले.

nirahua supporterआजमगढ़ में निरहुआ है तभी मुमकिन है

निरहुआ के बहाने प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे भोजपुरी समाज का ध्यान भी बीजेपी की ओर खींचने की कोशिश की, 'हमारी भोजपुरी भाषा और संस्कृति की दुनिया भर में बहुत पहचान बनी है. हमारे साथी निरहुआ जी हो, रवि किशन जी हो, मनोज तिवारी जी हो और अन्य हमारे मेधावी कलाकार हों इन लोगों ने अपने परिश्रम से इस काम को आगे बढ़ाया है.'

बातों ही बातों में मोदी कभी सपा-बसपा गठबंधन तो कभी कांग्रेस को कठघरे में खड़े करते जा रहे थे. बोले, 'ये काम पहले भी हो सकता था लेकिन पहले जो सपा-बसपा के सहयोग से केंद्र में महामिलावटी सरकार चल रही थी, वो घोटाले करने में व्यस्त थी. उसने 2G घोटाला किया, तभी उसके राज में फोन करना और मोबाइल फोन का उपयोग करना महंगा था.'

प्रधानमंत्री मोदी ने समझाया कि घोटाला-मुक्त सरकार होने, देश में मोबाइल बनने और दुनिया भर में सबसे सस्ता डेटा भारत में होने के कारण भोजपुरी सिनेमा भी यूट्यूब के जरिये गरीबों तक पहुंच रहा है - और लोग निरहुआ के गाने भी मोबाइल पर सुन ले रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने आजमगढ़ की जमीन से पूरे भोजपुरी क्षेत्र को साधने की कोशिश की. आजमगढ़ से गोरखपुर और दिल्ली को जोड़ते हुए मोदी ने एक साथ निरहुआ, रवि किशन और मनोज तिवारी सभी का प्रचार कर डाला.

मुलायम पर हमले से मोदी को परहेज क्यों रहा?

निरहुआ के निशाने पर तो अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी ही रही, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने मुलायम सिंह यादव को लेकर परहेज करते देखे गये. प्रधानमंत्री जातिवाद की राजनीति की बात की, सपा-बसपा गठबंधन को खरी-खोटी सुनायी, सपा सरकार की भी खामियों की ओर ध्यान दिलाया लेकिन मुलायम सिंह यादव के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा.

ऐसे में जबकि राहुल गांधी को घेरने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजीव गांधी सरकार के भ्रष्टाचार और उनके छुट्टियों को मुद्दा बना रहे हैं, मुलायम सिंह का नाम तक न लेना हर किसी के लिए ताज्जुब की बात रही.

यूपी में मुस्लिम और यादव वोटों पर दावेदारी मुलायम सिंह यादव की ही रही है. यही सोचकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अखिलेश यादव के खिलाफ भी यादव उम्मीदवार उतारा है - दिनेशलाल यादव निरहुआ. ऐसा लगता है आजमगढ़ और आतंकवाद को अलग कर मोदी ने मुस्लिम वोट समुदाय से जुड़ने की कोशिश की तो मुलायम सिंह यादव से परहेज कर यादव वोटों की नाराजगी मोल ने लेने का प्रयास किया. संभव था बुजुर्ग हो चुके मुलायम सिंह यादव के बारे में कुछ कहना यादव समाज को बुरा लगता और बीजेपी को नुकसान हो सकता था.

संसद सत्र के आखिरी दिन मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी को दोबारा चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं दी थीं - हो सकता है प्रधानमंत्री मोदी ने उसी एहसान का बदला चुकाया हो.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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