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Updated: 23 सितम्बर, 2015 12:39 PM
विवेक शुक्ला
विवेक शुक्ला
  @vivek.shukla.1610
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और हिन्दी के करीब 38 साल पहले दस्तक देने के बाद अब संयुक्त राष्ट्र में उर्दू भी गूंजेगी. अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ 30 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 70वें सम्मेलन को उर्दू में संबोधित करेंगे. 4 अक्टूबर, 1977 को  अटल बिहारी वाजपेयी ने जनता पार्टी की सरकार के विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र के अधिवेशन में हिन्दी में संबोधित किया था.

हालांकि उर्दू पाकिस्तान की राष्ट्र भाषा तो है, पर मातृभाषा वहां के किसी भी सूबे की जनता की नहीं है. पाकिस्तान की कुल आबादी के सिर्फ 8 फीसदी लोगों की मातृभाषा है उर्दू. पाकिस्तान में पंजाबी करीब 54 फीसदी, पश्तो 16 फीसदी, सिंधी 15 फीसदी, उर्दू 8, बलोची करीब साढ़े तीन फीसदी अवाम की मातृभाषा है. शेष जनता कश्मीरी और स्थानीय भाषाएं बोलती हैं.

उर्दू तो भारत से देश के विभाजन के वक्त सरहद के उस पार गए मुहाजिरों की ही भाषा है. ये लोग मुख्य रूप से दिल्ली, यूपी और मध्य प्रदेश से पाकिस्तान गए थे.

शरीफ की मातृभाषा भी पंजाबी है. उनके पुरखे अमृतसर के जट्टीउमरा गांव से थे. वे तो अंग्रेजी भी जब बोलते हैं तो पंजाबी स्टाहइल में. हालांकि वे पाकिस्तान के तीसरी बार वजीरे आजम के ओहदे को संभाल रहे हैं, पर पहली बार उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में उर्दू में बोलने का फैसला लिया. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने शरीफ के संयुक्त राष्ट्र को उर्दू में संबोधित करने की तैयारी की है.

पाकिस्तान का उर्दू के साथ रिश्ता बड़ा ही अजीब सा रहा है. इतिहास के जानकार जानते हैं कि 21 मार्च,1948 को ढाका में मोहम्मद अली जिन्ना ने उर्दू को राष्ट्र भाषा घोषित करके उस वतन को दो-फाड़ करने की नींव रख दी थी जिसे उन्होंने खुद बनाया था. उर्दू को पाकिस्तान की राष्ट्र भाषा को घोषित किए जाने के साथ ही समूचे ईस्ट पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हिंसक प्रदर्शन चालू हो गए थे. ईस्ट पाकिस्तान को अपने ऊपर उर्दू को थोपा जाना नामंजूर था. हालांकि जिन्ना साहब तो 11 सितंबर, 1948 को इंतकाल कर गए थे, पर उर्दू के खिलाफ आंदोलन जारी रहा.

21 फरवरी, 1952 को उर्दू को पाकिस्तान की राष्ट्र भाषा बनाए जाने का विरोध कर रहे ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों पर पाकिस्तान रेंजर्स ने गोलियां बरसाईं. दर्जनों छात्र मारे गए. उन्हीं उर्दू का विरोध करने वालों और अपनी मातृभाषा के लिए शहीद हुए छात्रों के बलिदान को याद रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 21 फरवरी को विश्व मातृभाषा दिवस मनाने का फैसला लिया. और उसी संयुक्त राष्ट्र में अब सुनाई देगी उर्दू.

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लेखक

विवेक शुक्ला विवेक शुक्ला @vivek.shukla.1610

लेखक एक पत्रकार हैं.

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