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Updated: 23 सितम्बर, 2021 04:43 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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दक्षिण ध्रुवीय वातावरण की आदी कुछ हम्‍बोल्‍ट पेंगुइन शिवसेना के युवा राजकुमार आदित्‍य ठाकरे की महत्‍वाकांक्षा के कारण दक्षिण मुंबई में रह रही हैं. उनके अनुकूल माहौल रखने के लिए यहां करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद अब तक एक मादा पेंगुइन की मौत सहित इस प्रोजेक्‍ट को कई धक्‍के लगे हैं. यह योजना समय-समय पर आलोचना की शिकार होती रही है. पशु अ‍ध‍िकार और पर्यावरण के लिए काम करने वाले एक्टिविस्‍ट कहते हैं कि आजाद रहने वाले इन प्राणियों को कैद करके रखना क्रूरता है, तो वहीं इनके रखरखाव पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपए को लेकर मुंबई की जनता और विपक्षी पार्टियां फिजूलखर्ची करार देती आई हैं. अब आइए, समझते हैं कि इस मामले से जुड़ा ताजा बवाल क्‍या है.

2020 और 2021 पूरी दुनिया की तरह भारत ने भी कोविड 19 का रौद्र रूप देखा. भारत में भले ही कोविड के पहले मामले की शुरुआत केरल से और पहली मौत देश की राजधानी दिल्ली के जनकपुरी में हुई हो. मगर महाराष्ट्र का शुमार उन चुनिंदा राज्यों में है, जहां स्थिति बद से बदतर हुई. अब इसे बदहाल चिकित्सा व्यवस्था कहें या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का ढीला रवैया महाराष्ट्र में राज्य सरकार जब नींद से जागी तो बहुत देर हो चुकी थी. तमाम लोग थे जो ऐसा सोए कि उनके परिजन आज भी इसी इंतजार में हैं कि वो वपास आ जाएं ताकि सब एक बार फिर तमाम गिले शिकवे मिटाकर एक बार फिर साथ रह सकें. ध्यान रहे पूर्व में तमाम मामले ऐसे हमारे सामने आए हैं जिसमें महाराष्ट्र में मरीजों को न तो एम्बुलेंस ही मिल पाई और न ही अस्पताल में बेड. सवाल होगा कि एक ऐसे समय में जब अभी देश में कोरोना की तीसरी लहर आनी बाकी ही हो तो महाराष्ट्र और वहां के मुखिया उद्धव ठाकरे का जिक्र क्यों? कारण है पेंगुइन. जी हां विचलित होने की कोई ज़रूरत नहीं है. आपने जो सुना बिल्कुल सही सुना दरअसल महाराष्ट्र की सियासत में पेंगुइन्स के कारण सियासी भूचाल आ गया है जिसके थपेड़े सूबे के मुखिया उद्धव ठाकरे की कश्ती पर लगने शुरू हो गए हैं.

मुंबई स्थित वीर माता जीजाबाई भोसले जू में बीएमसी पेंगुइंस के रखरखाव पर 15.15 करोड़ रुपये खर्च करना चाहती है.ऐसे में कांग्रेस समेत विपक्ष का कहना है कि इस पैसे का इस्तेमाल स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए उस वक़्त हो सकता है जब उद्धव ठाकरे शासित महाराष्ट्र में अभी कोविड की तीसरी लहर आनी बाकी है.कोविड कै दौर में पेंगुइन को लेकर बेवजह की कॉन्ट्रोवर्सी में फंस गए हैं उद्धव ठाकरे

क्या है मामला और महाराष्ट्र की सियासत से पेंगुइन्स का क्या लेना देना?

महाराष्ट्र में पेंगुइन बवाल को समझने के लिए हमें मुंबई स्थित वीर माता जीजाबाई भोसले प्राणी उद्यान का रुख करना होगा. मुंबई स्थित वीर माता जीजाबाई भोसले प्राणी उद्यान भारत का पहला ऐसा जू है जहां आपको हम्बोल्ट पेंगुइन देखने को मिलेगी. बात यदि पेंगुइन की इस खास प्रजाति की हो तो इनकी औसत ऊंचाई दो फीट होती है और इनकी आंखों के चारों ओर बड़े पैच होते हैं जो इस प्रजाति की पहचान है. प्रायः ठंडे पानी की धारा में पाई जाने वाली पेंगुइन की इस प्रजाति की खोज अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट ने चिली में की थी और बाद में उन्हीं के नाम पर इस प्रजाति का नाम हम्बोल्ट पेंगुइन पड़ा.

इन पेंगुइंस को जुलाई 2016 में मुंबई जू लाया गया जिसका संचालन बीएमसी करता है. बताते चलें कि 2016 में 8 बर्ड्स जिसमें तीन नर और 5 मादाएं शामिल थीं इन्हें साउथ कोरिया स्थित सिओल से बीएमसी द्वारा 2.5 करोड़ रुपए में खरीदा गया.

बताया जाता है कि विशेष प्रजाति की इन बर्ड्स की खरीद फरोख्त महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के आग्रह पर हुई. आदित्य वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार में पर्यटन मंत्री हैं.

किस बात को लेकर हुआ है बवाल

चिड़ियाघर प्रशासन ने पुनः इन पेंगुइंस के प्राकृतिक आवास को दो मंजिला बाड़े में बनाने की मांग की है जो 35000 वर्ग फुट में फैला है. इस बाड़े में हवा का तापमान 16 से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच रखा गया है. जिस पानी में ये पेंगुइंस रहती हैं उसका तापमान 11 से 16 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. अब जाहिर सी बात है जब बाड़ा ऐसी खासियतें लिए होगा तो उसमें काफी खर्च आएगा. ऐसे में यही खर्च विवाद का विषय है.

पेंगुइन के इस बाड़े के रखरखाव के लिए 15.26 करोड़ रुपए का टेंडर निकाला गया है जिसे लेकर न केवल विपक्ष बल्कि गठबंधन में सहयोगी की भूमिका निभा रही कांग्रेस ने बीएमसी को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है.

बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने इस खर्च को पूरी तरह से पैसे की बर्बादी माना है. साथ ही ये दोनों जानना चाहते हैं कि बीएमसी द्वारा कार्य को आउट सोर्स करने के बजाए पेंगुइन की देखभाल के लिए एक नया तंत्र क्यों नहीं स्थापित किया गया.

पेंगुइन को ढाल बनाकर उद्धव के खिलाफ हो रही है तीखी बयानबाजी!

मामले के मद्देनजर कांग्रेस नेता रवि राजा खुलकर सामने आए हैं. उनका कहना है कि बीएमसी को पेंगुइन बाड़े के खर्च पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. रवि राजा का कहना है कि, पेंगुइन यहां 5 साल से अधिक समय से हैं. बीएमसी को उनकी देखभाल के लिए एक इन हाउस सुविधा बनानी चाहिए थी. वहीं उन्होंने सरकार पर बड़ा हमला करते हुए ये भी कहा कि उन्हें शहर में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण पर अधिक पैसा खर्च करने की आवश्यकता थी.

वहीं भाजपा की तरफ़ से बढ़ी हुई राशि का मुद्दा उठाया गया है. भाजपा नेता प्रभाकर शिंदे ने कहा है कि पहले ये ठेका 10 करोड़ रुपये में दिया गया था इसलिए बीएमसी को बढ़ी हुई लागत पर अपने वाजिब तर्क प्रस्तुत करने चाहिए.

विवाद पर बीएमसी के तर्क भी कम दिलचस्प नहीं!

चूंकि पेंगुइंस को लेकर विवाद हो ही गया है तो जो तर्क बीएमसी की तरफ से पेश हुए हैं वो भी कम दिलचस्प नहीं हैं. बीएमसी का दावा है कि 15.26 करोड़ रुपये के टेंडर में पेंगुइन से संबंधित सभी खर्च शामिल होंगे, जिसमें पशु चिकित्सा शुल्क, चारा लागत, एयर कंडीशनिंग और वेंटिलेशन सिस्टम, प्रदर्शन रखरखाव और संगरोध क्षेत्र शामिल हैं. निगम का कहना है कि टेंडर में देरी हुई तो पेंगुइन की जान को खतरा होगा.

बताते चलें कि सितंबर 2018 में पेंगुइन बाड़े के रखरखाव के लिए हाईवे कंस्ट्रक्शन नाम की एक कंपनी के साथ तीन साल के कार्यकाल के लिए एक अनुबंध हुआ था जो कि शीघ्र ही खत्म होने वाला है. बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल का दावा है कि पेंगुइन ने मार्च 2017 से निगम को चिड़ियाघर के राजस्व संग्रह में 12.26 करोड़ रुपये की वृद्धि करने में मदद की है. इसके विपरीत, सितंबर तक उनके रखरखाव के लिए कुल खर्च 11.46 करोड़ रुपये था.

बहरहाल मुद्दा पेंगुइन्स तो हैं ही साथ ही महाराष्ट्र में बढ़ते हुए कोविड केस भी है. कोविड 1 और कोविड 2 में उद्धव ठाकरे शासित महाराष्ट्र की क्या हालत हुई सारे देश ने देख लिया है. अब जबकि कोविड 19 की तीसरी लहर कभी भी दस्तक दे सकती है उद्धव की तैयारी कोई खास नहीं है.

अपनी पिछली दो गलतियों से सबक लेते हुए उद्धव कोविड की तीसरी लहर को रोकने में कामयाब होते हैं या नहीं इसका जवाब तो वक़्त देगा. लेकिन जो गंभीरता उनकी पेंगुइंस के प्रति दिख रही है उसने इस बात की तस्दीख कर दी है कि बड़े लोगों के सामने आम आदमी की ज़िंदगी की कोई वैल्यू नहीं है. शौक़ बड़ी चीज है. पूरे होते रहना चाहिए.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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