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Updated: 06 नवम्बर, 2021 12:09 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने उत्तराखंड में भी सरकारी परियोजनाओं का उद्घाटन किया है. जैसे उत्तर प्रदेश में हाल फिलहाल कई बार कर चुके हैं. ये सब चुनावों से पहले खूब होता है. आगे भी होता रहेगा - तब तक जब तक चुनाव आयोग वोटिंग की तारीखें बता कर आदर्श आचार संहिता लागू नहीं कर देता.

केदारधाम में आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) की मूर्ति का अनावरण करने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि आने वाला दशक उत्तराखंड का है. प्रधानमंत्री मोदी के आकलन का आधार जो भी हो, लेकिन उनको लगता है कि बीते सौ साल में जितने श्रद्धालु उत्तराखंड नहीं पहुंचे, अगले दस साल में ही जाने वाले हैं. असल में 2013 में आई आपदा के दौरान आदि शंकराचार्य की मूर्ति और समाधि क्षतिग्रस्त हो गयी थी, जिसे दोबारा बनवाया गया है.

भक्ति भाव के साथ भाषण की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ देर तक तो आध्यात्मिक बातें की, लेकिन फिर असली मुद्दे पर फोकस हो गये - उत्तराखंड में चुनाव जो है. देश की आजादी के अमृत महोत्सव की चर्चा के बीच मोदी बोले, 'देश अपने पुनर्निर्माण के लिए नए संकल्प ले रहा है... इस कड़ी में हम आदि गुरु शंकराचार्य को एक नई प्रेरणा के तौर पर देख सकते हैं... क्योंकि देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तैयार कर रहा है.'

अपनी बात समझाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीतिक विरोधियों की भी मदद ली और बताया कि देश के बड़े लक्ष्य पूरे करने के लिए समय सीमा तैयार की गयी है. मोदी ने कहा, 'लोग इस बात पर सवाल उठाते हैं कि ये जो तय किया है, ये हो भी पाएगा कि नहीं... तब मेरे मुंह से यही निकलता है कि समय के दायरे में बंध कर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है.' बात में दम है, लेकिन ऐसे ही कभी पांच ट्रिलियन इकनॉमी के भी चर्चे हुआ करते थे - अब टॉपिक बदल गया है.

उत्तराखंड चुनाव (Uttarakhand Election 2022) की वजह से ही, बीजेपी पांच साल में तीन मुख्यमंत्री दे चुकी है - 2017 से अब तक पुष्कर सिंह धामी फिलहाल उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री हैं. पांच साल पहले बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन उनको बदल दिया गया.

कोरोना संकट के बीच ही हरिद्वार कुम्भ का मुहूर्त आ गया था. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुम्भ का आयोजन तो कराया लेकिन काफी सख्ती भी बरती थी. जैसे फिलहाल पटाखों को लेकर सोशल मीडिया पर लोग दिवाली के मौके पर सुप्रीम कोर्ट के प्रति नाराजगी जता रहे हैं, कुम्भ को लेकर भी लोगों के मन में ऐसी ही धारणा बन रही थी. ऐसा बीजेपी को लगा था और फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को लाया गया, ताकि लोगों के बीच गये गलत मैसेज को दुरूस्त किया जा सके.

तीरथ सिंह रावत ने आते ही कुम्भ से पाबंदियां खत्म कर दीं, लेकिन अपने छोटे से ही कार्यकाल में ऐसे बहकने लगे कि बीजेपी नेतृत्व को लगा कि वो चुनावी वैतरणी तो डुबो ही देंगे - फिर पुष्कर सिंह धामी को लाया गया. कांवड़ यात्रा के दौरान सख्त रुख तो पुष्कर सिंह धामी ने भी दिखायी, लेकिन बाकी चीजें ठीक भी करने लगे.

उत्तराखंड के केदारधाम पहुंच कर प्रधानमंत्री मोदी ने विकास को हिंदुत्व में पिरो कर तीर तो एक ही चलायी है, लेकिन निशाने कई साध लिये हैं -

1. ताकि हिंदुत्व का एजेंडा कायम रहे

केदारधाम का तबाही के बाद पुनर्निर्माण और आदि शंकराचार्य की मूर्ति के अनावरण को बीजेपी चाहती है कि उत्तराखंड के लोग वैसे ही लें, जैसे उत्तर प्रदेश के लोग अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को ले रहे हैं. ध्यान रहे - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारधाम के मंच से ही अयोध्या की दिवाली की भी याद दिलायी और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की भी. संकेत साफ है. जिन तक मैसेज पहुंचना है, बीजेपी और मोदी को भी उम्मीद होगी ही कि पहुंच जाएगा.

narendra modiकेदारधाम से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर डाली चुनावी रैली

ये सब बीजेपी के राजनीतिक विरोधियों को काउंटर करने का सबसे कारगर उपाय होता है. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी का जोर ये बताने पर रहा कि कैसे केदारधाम का काम निश्चित समय सीमा के भीतर पूरा कर लिया गया. अक्सर प्रधानमंत्री मोदी ये बताना नहीं भूलते कि कैसे कांग्रेस नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट तक में राम मंदिर निर्माण में अड़ंगे लगाने की कोशिश की थी.

2. विकास इसे ही तो कहते हैं

केदारधाम क्षेत्र में पुनर्निर्माण के काम को प्रधानमंत्री मोदी ने उम्मीदों से बेहतर बताया है. लगे हाथ ये भी याद दिलाया है कि विकास कार्यों की यही गति अयोध्या में भी चल रही है - और काशी में भी.

हिंदुत्व केंद्रित विकास का ये नया मॉडल है. अगर विकास का गुजरात मॉडल याद नहीं दिलाया जा रहा हो तो भी कोई बात नहीं - केदारनाथ मंदिर क्षेत्र में उसका अक्स देख सकते हैं. बस भुज के भूकंप और उसके बाद के काम को एक बात याद कर लीजिये. नरेंद्र मोदी को तभी गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था.

उत्तराखंड में प्रधानमंत्री मोदी ने केदारधाम को यूपी के मंदिर आंदोलन से जोड़ कर पेश किया, 'आज अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है... अयोध्या को उसका खोया हुआ गौरव वापस मिल रहा है... दो दिन पहले ही अयोध्या में भव्य दीपोत्सव हुआ जिसे पूरी दुनिया ने देखा.'

अयोध्या की ही तरफ यूपी में काशी भी है. वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव क्षेत्र भी है. बोले, 'उत्तर प्रदेश में काशी का भी कायाकल्प होने वाला है - काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है और पूरा होने की ओर है.'

3. भुज की तरह केदारधाम में हुआ काम

प्रधानमंत्री मोदी ने भुज का नाम तो नहीं लिया, लेकिन केदारधाम के काम को भी वैसे ही पूरा होता हुआ बताया. भुज में 2001 में भूकंप आया था और गुजरात के लोग तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के कामकाज से नाराज होने लगे थे. तभी दिल्ली से मोदी को अहमदाबाद भेजा गया था - और भुज में तेजी से चीजों को दुरूस्त किया गया.

जैसे भुज में मोदी ने भूकंप प्रभावित लोगों को काम के जरिये मैसेज देने की कोशिश की कि सरकार को भी अपने लोगों का ख्याल रहता है, केदारधाम में उसी को दोहराने की कोशिश की गयी लगती है. जैसे मोदी ने भुज में काम कराया था - केदारनाथ में भी काम वैसे ही हुआ है - ये याद दिलाने की कोशिश है.

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया, 'सरस्वती तट पर घाट का निर्माण हो चुका है... मंदाकिनी पर बने पुल से गरुड़ चट्टी के मार्ग को भी सुगम कर दिया गया है... गरुड़ चट्टी से मेरा पुराना नाता भी रहा है... वहां कुछ लोग हैं जो अब भी मुझे पहचान जाते हैं.'

नरेंद्र मोदी ने 80 के दशक में गरुड़ चट्टी में डेढ़ महीने तक साधना की थी. तब वो हर रोज केदारनाथ मंदिर पहुंचकर दर्शन और जलाभिषेक किया करते थे. प्रधानमंत्री मोदी वही सब याद दिलाने की कोशिश कर रहे थे.

4. चुनाव है तो रोजगार भी मिलेगा

अगला दस साल उत्तराखंड का बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले सौ साल की तुलना में आने वाले दस साल में कहीं ज्यादा पर्यटक उत्तराखंड पहुंचने वाले हैं - और इस तरह उत्तराखंड में पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलने वाला है.

प्रधानमंत्री मोदी ने एक लोकोक्ति का जिक्र करते हुए सरकारी योजनाओं का फायदा समझाया. बोले, 'पहले कहा जाता था कि पहाड़ का पानी... और पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आती... मगर राज्य सरकार जो नये काम कर रही है उससे पलायन रुकेगा - और युवाओं को रोजगार मिलेगा.'

5. थोड़ी भक्ति, थोड़ी देशभक्ति

भक्ति के साथ देशभक्ति भी तो जरूरी होती है और वो भी तब जब सिर पर चुनाव हों. चुनावों से पहले बीजेपी अपने राष्ट्रवाद के एजेंडे को कभी नहीं भूलती - बीजेपी की सरकार बनवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ऐसा करना नहीं भूलते.

दिवाली के मौके पर प्रधानमंत्री जवानों से मिलने पहुंचे थे. जवानों से प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि परिवार के साथ दिवाली मनाने का मन हुआ तो उनके बीच पहुंच गये - उत्तराखंड के लोगों को प्रधानमंत्री ये बात भी जोर देकर याद दिलायी.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'दीपावली के अवसर पर कल मैं अपने सैनिकों के साथ था... आज मैं सैनिकों की भूमि पर हूं... मैंने त्योहार की खुशियां अपने सैनिकों के साथ बांटी हैं... मैं 130 करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद लेकर उनके पास गया था.'

आगे बोले, 'गोवर्धन पूजा के दिन केदारनाथ धाम जी में दर्शन-पूजा करने का मुझे सौभाग्य मिला है... बाबा केदार के दर्शन के साथ मैंने आदि शंकराचार्य की समाधि स्थल में कुछ पल बिताये... वे दिव्य पल थे... मैं केदारनाथ आकर कण-कण से जुड़ जाता हूं.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केदारधाम से जितने भी संदेश देने संभव थे, सारे दे डाले - बाकी उत्तराखंड के लोग तो समझदार हैं ही!

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#उत्तराखंड, #नरेंद्र मोदी, #केदारनाथ, Narendra Modi, Adi Shankaracharya, Uttarakhand Election 2022

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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