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Updated: 29 अक्टूबर, 2021 09:14 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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अमित शाह (Amit Shah) उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityath) के लिए पांच साल और मांग रहे हैं - क्योंकि कुछ काम बाकी रह गये हैं. ये काम बाकी इसलिए रह गये हैं, अमित शाह के मुताबिक, क्योंकि यूपी को लेकर बीजेपी की जो परिकल्पना है, उसके हिसाब से और काम किया जाना है.

अमित शाह का दावा है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने यूपी में 90 फीसदी चुनावी वादे पूरे कर दिये हैं - और अभी दो महीने में बचे हुए वादे भी पूरे कर लिये जाएंगे. बीजेपी नेता शाह का कहना है कि लोक संकल्प के सारे वादे पूरे किये हैं, लेकिन अभी पांच साल का मौका इसलिए चाहिये ताकि उत्तर प्रदेश को सभी जगह देश में नंबर वन बनाया जा सके.

अमित शाह ने पिछले यूपी दौरे में भी योगी आदित्यनाथ के शासन की बदौलत कई मामलों में देश में नंबर वन बताया था - खास तौर पर कानून व्यवस्था के मामले में. इस बार वो उसके आगे की बात कर रहे हैं - हर मामले में यूपी को नंबर वन बनाने की.

ऐसे में जबकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर लोगों को न्याय दिलाने की बात कर रही हैं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बातों से ऐसा लगा जैसे उनको ऐसी चीजों की जरा भी परवाह नहीं है.

अमित शाह ने बीजेपी से पहले के सपा-बसपा शासन का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी को बर्बाद कर दिया गया, लेकिन मौजूदा योगी शासन की तारीफ करते हुए बोले, 'आज रात 12 बजे उत्तर प्रदेश की बच्ची त्योहार में गहने लादकर स्कूटी से निकल जाती है.'

सारे दावों के बावजूद एक बात नहीं समझ में आ रही है और वो ये कि जब योगी आदित्यनाथ की सरकार में सब कुछ अच्छा ही अच्छा है तो फिर अमित शाह उनके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नाम पर वोट क्यों मांग रहे हैं?

मोदी के नाम पर क्यों?

अब तक जितने भी प्री-पोल सर्वे आये हैं, सभी का आकलन यही है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता में वापसी कर रही है - लेकिन यूपी में चुनावी रैली करके अमित शाह का योगी आदित्यनाथ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगना कई तरह के शक शुबहे को जन्म देने वाला लगता है.

बीजेपी यूपी चुनाव योगी आदित्यनाथ के नाम पर ही लड़ने जा रही है, संदेह तो पहले भी नहीं था - लेकिन सीनियर बीजेपी नेता अमित शाह ने एक बार फिर सार्वजनिक मंच से ऐलान कर साफ किया है कि योगी आदित्यनाथ ही बीजेपी के सत्ता में लौटने पर मुख्यमंत्री होंगे.

हो सकता है अमित शाह को ये बयान इसलिए भी देना पड़ा हो क्योंकि उत्तराखंड के राजभवन से बुला कर चुनावी मौर्चे पर तैनात किये जाने के बाद बेबी रानी मौर्य की महत्वाकांक्षा हाल फिलहाल देखने को मिली थी. जिस तरह से बेबी रानी मौर्य ने वाराणसी के एक कार्यक्रम में महिलाओं और लड़कियों को शाम के पांच बजे के बाद जरूरी होने पर भी थाने न जाने की सलाह दी - और बहुत जरूरी होने पर अगले दिन भी घर से किसी पुरुष सदस्य को साथ लेकर जाने को कहा - चर्चाएं तो शुरू हो ही जाएंगी.

yogi adityanath, amit shah, narendra modiयूपी में भी बीजेपी को ब्रांड मोदी का ही भरोसा!

एक तरफ अमित शाह यूपी की कानून व्यवस्था को देश में सबसे अच्छी बता रहे हों और दूसरी तरफ बीजेपी की ही एक राष्ट्रीय अध्यक्ष लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली पुलिस पर ही सवाल खड़े कर रही हों. अमित शाह ने एक बार फिर सपा-बसपा शासन का जिक्र करते हुए कहा है कि वो दौर देख कर उनका खून खौल उठता था. वैसे बीएसपी नेता मायावती हमेशा ही अपने शासन की कानून व्यवस्था की दुहाई देती रही हैं.

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर भी अमित शाह एक ही साथ मोदी और योगी सरकार को क्रेडिट दे रहे हैं, 'आपने दोबारा दो-तिहाई बहुमत दिया... मोदी जी ने राम जन्मभूमि का शिलान्यास कर दिया - और देखते-देखते आज आसमान को छूने वाला भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है.'

समाजवादी पार्टी सरकार को निशाने पर लेते हुए अमित शाह ने कहा, 'अखिलेश यादव को मैं याद दिलाता हूं कि आपकी पार्टी की सरकार में निर्दोष रामभक्तों को गोलियों से भून दिया गया था... आज उसी जगह पर रामलला शान के साथ गगनचुंबी मंदिर में विराजमान होने वाले हैं.'

अमित शाह यहीं नहीं रुकते, 'अखिलेश एंड कंपनी 2014, 2017 में हमें ताने मारती थी कि मंदिर वहीं बनाएंगे, तिथि नहीं बताएंगे... अखिलेश बाबू हमने तो नींव भी बना दी... आप तो 5 हजार रुपये का चंदा देने से भी चूक गये.'

2019 के आम चुनाव से पहले ही संघ और वीएचपी के साथ बीजेपी ने भी स्पष्ट कर दिया था कि वो राम मंदिर को चुनावी मुद्दा नहीं बनाएगी, लेकिन अब जबकि राम मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है - अमित शाह को क्यों लग रहा है कि योगी आदित्यनाथ के नाम पर यूपी में वोट मिले ही, जरूरी नहीं है?

अमित शाह ये भी समझाते हैं कि क्यों यूपी में बीजेपी की सरकार का बनना जरूरी है - 'उत्तर प्रदेश के बिना भाजपा की सरकार नहीं बन सकती... मोदी दोनों बार जीते हैं तो उसका पूरा श्रेय यहां की जनता को जाता है... दिल्ली का रास्ता लखनऊ होकर जाता है.'

लेकिन तभी शर्त भी रख देते हैं 'अगर 2024 में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है तो 2022 में एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना होगा.'

ये तो यही बात हुई कि अगर लोग अगली बार भी नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के तौर पर कुर्सी पर बैठे देखना चाहते हैं तो वे योगी आदित्यनाथ को फिर से मुख्यमंत्री बनायें - लेकिन योगी आदित्यनाथ के लिए वोट मोदी के नाम पर मांगने की जरूरत क्यों आ पड़ी है?

क्या अमित शाह को कोरोना संकट के वक्त योगी सरकार के कामकाज पर उठते सवालों को लेकर अब भी डर सता रहा है - जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में योगी आदित्यनाथ को पहले ही क्लीन चिट दे चुके हैं. मोदी ने तो यहां तक कहा है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कोरोना संकट के दौरान सबसे बढ़िया काम किया था.

अमित शाह यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर जो भी दावे करें लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जहां कहीं भी जा रही हैं ये याद दिलाना नहीं भूलतीं कि लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ क्या हुआ - और किसने किया?

बनारस के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा अब गोरखपुर में रैली करने जा रही हैं - और प्रतिज्ञा यात्रा की शुरुआत से पहले खेतों में जाकर महिलाओं से मुलाकात में भी याद दिलाना नहीं भूलीं कि कैसे लखीमपुर खीरी में मोदी सरकार के मंत्री के बेटे ने क्या किया?

क्या अमित शाह को शक है कि लखीमपुर खीरी हिंसा और केंद्रीय मंत्री के आरोपी बेटे की गिरफ्तारी भी चुनावों में मुद्दा बन सकता है, तब भी जबकि वो यूपी की कानून व्यवस्था को देश में बेस्ट बता चुके हैं.

सत्ता विरोधी फैक्टर

बीते सात साल के दौरान ऐसे कई मौके देखने को मिले हैं जब अमित शाह ने चुनावों के दौरान सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने के लिए ब्रांड मोदी का इस्तेमाल किया है - बीजेपी नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे करके कोशिश ये करता है कि लोग बाकी बातें भूल जायें.

ऐसा ही मामला 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिला था. बीजेपी के इंटरनल सर्वे में पाया गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर है. एनडीए में जेडीयू के साथ बीजेपी नेतृत्व नीतीश कुमार के नाम पर ही चुनाव लड़ रहा था, ऐसे में अमित शाह को नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की काट प्रधानमंत्री मोदी ही नजर आये.

बिहार चुनाव से पहले भी मूड ऑफ द नेशन के सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता देश में सबसे ज्यादा रही, बल्कि कहें कि मोदी के बाद बाकी नेता लोकप्रियता के मामले में काफी पीछे रहे - और अमित शाह का प्रयोग रंग भी लाया, जेडीयू को जो भी नुकसान हुआ हो, जैसे सही, बीजेपी ने तो मोदी का फायदा उठाया ही, नीतीश कुमार को वादे के मुताबिक मुख्यमंत्री भी बना दिया.

2019 के आम चुनाव के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता तो बनी हुई थी, लेकिन बीजेपी सांसदों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर सत्ता विरोधी फैक्टर को महसूस किया गया - और फिर तो प्रधानमंत्री मोदी को आगे कर उनके नाम पर ही बीजेपी ने वोट मांगे. नतीजा ये हुआ कि 2014 के मुकाबले ज्यादा ही वोट मिल गये.

ये सत्ता विरोधी लहर ही है जिसे काउंटर करने के लिए बीजेपी ने गुजरात में भी मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को हटा कर भूपेंद्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाया गया - और उत्तराखंड में तो थोड़े से ही अंतराल पर दो-दो मुख्यमंत्री बदल दिये गये.

बीजेपी नेतृत्व के फैसले को देखते हुए योगी आदित्यनाथ को लेकर भी कुछ दिन पहले संदेह के बादल मंडराने लगे थे, लेकिन अब तो ऐसी कोई बात नहीं लगती - लेकिन ये थोड़ा अजीब लगता है कि यूपी में अमित शाह को योगी आदित्यनाथ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगने पड़ रहे हैं!

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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