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Updated: 20 सितम्बर, 2016 05:22 PM
संतोष चौबे
संतोष चौबे
  @SantoshChaubeyy
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उरी में आर्मी बेस कैंप पर हमले का आज तीसरा दिन है. 18 जवान जो इस कायराना हमले में शहीद हुए हैं, देश उनको नमन कर रहा है और क्रोधित भी है कि इस बार पाकिस्तान को उसके दुस्साहस के लिए कड़ी सजा दी जाए. कई लोगों ने तो भारत पाकिस्तान में सीधी जंग की ही वकालत की है और उनके गुस्से को देखते हुए ये स्वाभाविक भी है.

लेकिन सीधी जंग कभी भी छद्म युद्ध (प्रॉक्सी वॉर) का सीधा जवाब नहीं हो सकता है. हमारे रणनीतिकार इसे जानते हैं, और वो भी उन परिस्थितियों में जब पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का मुख्य उद्देश्य ही कश्मीर मसले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना और भारत को नीचा दिखाना है. अब जबके भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है और दुनिया पाकिस्तान द्वारा भारत में प्रायोजित आतंकवाद का संज्ञान लेने लगी है, ऐसे समय में पाकिस्तान पर सीधा हमला पाकिस्तान के हाथों में खेल जाना है क्योंकि दुनिया का ध्यान तुरंत पाकिस्तान के प्रॉक्सी वॉर से भारत पाकिस्तान के सीधे जंग और कश्मीर पर केंद्रित हो जाएगा. भारतीय सेना ने हालांकि मुंहतोड़ जवाब देने की बात कही है लेकिन साथ ही ये भी कहा है कि ये कब, कहां और कैसे होगा ये भारतीय सेना ही तय करेगी.

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 भारतीय सेना ने हालांकि मुंहतोड़ जवाब देने की बात कही है

फिर हम ये भी नहीं भूल सकते हैं कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्तियां हैं. भारत तो संयम रख सकता है लेकिन पाकिस्तान का क्या जिसके नेता बात बात पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देते हैं. अभी कल ही पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने फिर से भारत के खिलाफ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की बात कही है.

उस स्थिति में जो दूसरा रास्ता बचता है वो है डिप्लोमेटिक ओफेंसिव (राजनयिक आक्रमण) का.

एनडीए सरकार में वरिष्ठ मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कल कहा कि उरी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते अब पहले जैसे नहीं रह सकते. भारत कई विकल्पों पर विचार कर रहा है जिसमे पाकिस्तान से राजनयिक रिश्तों को सीमित करना, पाकिस्तान के कश्मीर आधारित प्रोपेगंडा का मुंहतोड़ जवाब देना और पाकिस्तान द्वारा बलोचिस्तान और पाक-अधिकृत-कश्मीर पाक सेना द्वारा हत्याओं और मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को दुनिया के सामने रखना मुख्य हैं. इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) से हो सकती है जहां कल पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज़ शरीफ का बयान है. पाकिस्तान ने कहा है कि वो इस मंच का उपयोग दुनिया को ये बताने में करेगा कि कैसे भारत कश्मीर में अपना दमन चक्र चला रहा है और नवाज़ शरीफ का बयान इसी पर केंद्रित होगा. पाकिस्तान काफी समय से इन प्रयासों में लगा हुआ है और दुनिया के विभिन्न देशों और संगठनों में अपने नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स को भेजता रहा है जिसमें कश्मीर में जारी हिंसा के दौर के बाद से काफी तेजी आ गयी है.

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अब भारत को इसका जवाब देना है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तयारी में है कि अगर यूएनजीए में नवाज़ शरीफ कश्मीर का मुद्दा उठाते हैं तो भारत उसका मुंहतोड़ जवाब बलोचिस्तान और पाक-अधिकृत-कश्मीर में पाक के दमन चक्र और भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की घटनाओं के सबूत पेश कर के दे. इसके आलावा भी भारत ने हर वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठाने की तैयारी कर ली है. अभी पिछले हफ्ते ही जब पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् में कश्मीर का मसला उठाया तो भारत ने उसका पुरजोर विरोध किया ये कहते हुए कि कश्मीर में जारी हिंसा के पीछे पाकिस्तान ही है. वास्तव में तो भारत को ये कार्य बहुत पहले शुरू कर देना चाहिए था. ये निर्विवाद सत्य है कि कश्मीर में आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान रहा है लेकिन फिर भी हम दुनिया को ये बताने में असफल रहे हैं. नरेंद्र मोदी की सरकार इसमें बदलाव की बात कर रही है

अगर हम भारत और पाकिस्तान का इतिहास देखें तो पाएंगे की कुछेक मौकों को छोड़कर पाकिस्तान हमेशा ही हमसे आगे रहा है कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में. ये क्यों हुआ और कैसे हुआ इसको ध्यान में रखते हुए ही हमें आगे मौके तलाशने होंगे. पाकिस्तान को आइना दिखाना और कूटिनीति को कूटनीति के स्तर पर लड़ना और जीतना, यही भारत का मूल मंत्र होना चाहिए. और पाक-अधिकृत-कश्मीर, बलोचिस्तान और भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद इसके मूल में होना चाहिए.  

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हालांकि नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच अगर कुछ है तो वो पाक-अधिकृत-कश्मीर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद है और बलोच मुक्ति आंदोलन को भी नैतिक समर्थन देने की बात कही है, रास्ता लंबा है और ये तो बस अभी शुरुआत है. देखना ये है की नरेंद्र मोदी की सरकार कैसे ये कोर्स करेक्शन कर पाती है. डिप्लोमेटिक ओफ्फेंसिव में केवल आपको पाकिस्तान की कूटनीति का जवाब ही नहीं देना हैं, बल्कि पाकिस्तान पर लगातार कूटनीतिक आक्रमण करने हैं. हमें इंतजार नहीं करना चाहिए कि पाकिस्तान अब क्या करेगा जबकि हमें पता है कि पाकिस्तानी क्रूरता पाक-अधिकृत-कश्मीर और बलोचिस्तान में बदस्तूर जारी है और बलोच नेताओं और स्वतंत्रता सेनानिंयों ने नरेंद्र मोदी के भरोसे के बाद इसके खिलाफ वैश्विक मंचों से बोलना शुरू कर दिया है. भारत को पाक-अधिकृत-कश्मीर से भी ऐसी ही आवजों की जरूरत होगी.

लेखक

संतोष चौबे संतोष चौबे @santoshchaubeyy

लेखक इंडिया टुडे टीवी में पत्रकार हैं।

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