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Updated: 24 अगस्त, 2021 04:48 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने के बाद भारत में अचानक से इस इस्लामिक आतंकी संगठन के हिमायतियों की एक बड़ी फौज खड़ी हो गई है. तालिबान के नए उदार चेहरे की तारीफों के कसीदे पढ़े जाने से लेकर उसके बर्बर रुख को जायज ठहराने के लिए लोग कुतर्कों का सहारा लेने से भी नहीं चूक रहे हैं. तालिबान की अफगानिस्तान में आवक का फायदा भारत में राजनीतिक तौर पर भी उठाने की भरपूर कोशिश की जा रही हैं. इस मौके की नजाकत को भांपकर पीडीपी मुखिया और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी तालिबान के कंधे पर बंदूक रखते हुए कश्मीर को अफगानिस्तान बनाने की चेतावनी दे डाली है. महबूबा मुफ्ती ने अपने बयान के सहारे लोगों को एक बार फिर से धार्मिक तौर पर भड़काने की कोशिश की है. प्रथम दृष्टया महबूबा मुफ्ती का ये भड़काऊ बयान धारा 370 हटने के बाद राजनीतिक रूप से हाशिये पर जाने की खीझ मिटाने जैसा लगता है. लेकिन, ऐसे बयानों की एक लंबी फेहरिस्त है. जो ये बताती है कि महबूबा मुफ्ती के भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक होने की वजह सियासत से कहीं आगे की राह तक जाती है.

महबूबा मुफ्ती की सियासत ही नफरत को पाल-पोसकर आगे बढ़ी है. महबूबा मुफ्ती की सियासत ही नफरत को पाल-पोसकर आगे बढ़ी है.

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद घाटी समेत पूरे राज्य का माहौल काफी हद तक बदल चुका है. आतंकवाद के खात्मे से लेकर विकास की नई इबारतें लिखने के लिए जम्मू-कश्मीर पूरी तरह से तैयार नजर आ रहा है. लेकिन, महबूबा मुफ्ती सरीखे नेताओं के लिए ये बातें कोई मायने नहीं रखती हैं. अपने भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थित बयानों के जरिये महबूबा मुफ्ती घाटी की आवाम को भड़काए रखने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं. महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोग बर्दाश्त कर रहे हैं. मगर जिस वक्त ये बर्दाश्त का बांध टूट जाएगा, तब आप (भारत) नहीं रहोगे, मिट जाओगे. पड़ोस (अफगानिस्तान) में देखो क्या हो रहा है. इतनी बड़ी ताकत अमेरिका को भी वहां से बोरिया-बिस्तर लेकर वापस जाना पड़ा. आपके लिए मौका है अभी भी, जिस तरह वाजपेयी जी ने बातचीत शुरू की थी कश्मीर में, बाहर भी (पाकिस्तान के साथ) और यहां भी, उसी तरह आप भी बातचीत का सिलसिला शुरू करो.'

वैसे, महबूबा मुफ्ती की सियासत ही नफरत को पाल-पोसकर आगे बढ़ी है. 'कश्मीरियत' के नाम पर अलगाववादियों से करीबी लेकर आतंकियों की मौत के मातम में शामिल होकर महबूबा मुफ्ती ने भारत विरोधी लोगों की एक बड़ी भीड़ अपने साथ इकट्ठा कर रखी है. उनके भारत विरोधी बयान पर सुनाई देने वाली तालियां इस बात की तस्दीक पर कर देती हैं. इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भविष्य में ये लोग भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए निश्चित तौर पर एक बड़ा खतरा बन सकते हैं. तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो जाने के बाद से ही आशंका जताई जा रही है कि भारत के लिए आगे का समय चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है. माना जा रहा है कि अफगानिस्तान की जमीन पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन भारत के खिलाफ साजिश रचने की तैयारियां करेंगे.

हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के एक नेता ने दावा कर ही दिया है कि तालिबान कश्मीर को जीतकर पाकिस्तान को दे देगा. तालिबान की पनाहगाह रहे पाकिस्तान के नेता अगर ये बात कह रहे हैं, तो आने वाले वक्त में भारत के लिए चुनौतियां बढ़ने वाली हैं. और, इन चुनौतियों में महबूबा मुफ्ती के नफरती बयान 'आग में घी' का काम करेंगे. इस्लामिक उग्रवाद की चपेट में आए जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का क्या हाल हुआ था, ये किसी से छिपा नहीं है. महबूबा मुफ्ती का ये बयान निश्चित तौर पर देश विरोधी है. केंद्र की मोदी सरकार ऐसे बयानों को केवल बयानों से काउंटर करने की रणनीति पर काम कर रही है. ये उसकी राजनीतिक एजेंडे को सूट करने वाला बयान है. लेकिन, भविष्य में इसके दुष्परिणामों को भी झेलना का बोझ मोदी सरकार को ही अपने कंधों पर उठाना होगा. लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का हक है. लेकिन, इसके सहारे किसी को देशद्रोह की छूट नहीं दी जा सकती है.

महबूबा मुफ्ती ने इसी कार्यक्रम में कहा कि कश्मीरी कमजोर नहीं हैं. चींटी जब हाथी की सूंड में घुस जाती है, तो वो हाथी का जीना हराम कर देती है. मोदी सरकार को चेतावनी देने के नाम पर एक तरह से उन्होंने खुली धमकी दी है कि छोटी संख्या में ही सही लेकिन, वो घाटी में हर उस शख्स को भारत के खिलाफ भड़काने की पूरी कोशिश करेंगी, जो अलगाववाद का समर्थक है. पीडीपी मुखिया वैसे भी अलगाववादियों और आतंकियों के साथ नरम रुख के लिए जानी जाती हैं. तो, इस बात की संभावना भी बढ़ ही जाती है कि भविष्य में अगर तालिबान या पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह की घाटी का माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेंगे, तो आजाद कश्मीर की मांग करने वाली महबूबा मुफ्ती उनके समर्थन में आ सकती हैं. यह भारत के लिए गृह युद्ध जैसे हालात पैदा कर देगा.

हालांकि, कहा जा रहा है कि महबूबा मुफ्ती का ये बयान उनकी मां गुलशन नजीर को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पूछताछ के लिए तलब किए जाने से गुस्सा होने पर दिया गया है. लेकिन, अगर ऐसा भी है, तो ये मोदी सरकार के लिए अभी से चेत जाने का अवसर है. पीडीपी मुखिया का हालिया बयान मोदी सरकार के लिए नाकाबिल-ए-बर्दाश्त होना चाहिए था. जम्मू-कश्मीर में जब हालात सुधरने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं महबूबा मुफ्ती आतंकियों के खिलाफ मोदी सरकार की कार्रवाई से लेकर हर उस भारत विरोधी मसले पर लोगों को भड़काने में जुटी हैं, जो उनके पाकिस्तानी आकाओं को खुश करता है. बीते साल महबूबा ने कहा था कि मरने से बेहतर यही होगा कि जम्मू-कश्मीर के युवा हथियार उठा लें. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के साथ ही मुफ्ती के ऐसे बयानों में तेजी आई है. घाटी में हालात सुधर रहे हैं, लेकिन ऐसे बयान लोगों को समय-समय पर भड़काने और उनके जेहन में आजाद कश्मीर की सोच को पुख्ता करने के लिए काफी हैं.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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