New

होम -> सियासत

 |  7-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 14 जुलाई, 2019 01:31 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
  • Total Shares

कर्नाटक और गोवा में बीजेपी के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कांग्रेस को थोड़ी राहत मिल सकती है. ज्यादा तो नहीं लेकिन बीजेपी कांग्रेस को कुछ देर राहत की सांस लेने का मौका जरूर मुहैया करा रहा है.

राजनीतिक हलचलें तो यही इशारा कर रही है कि बीजेपी का अगला निशाना न तो मध्य प्रदेश है, न ही राजस्थान. मध्य प्रदेश को लेकर तो कांग्रेस नेतृत्व हाई अलर्ट पर बताया जा रहा है, मुसीबत तो राजस्थान में भी कम नहीं है. दरअसल, बीजेपी लंबे अरसे से पश्चिम बंगाल पर नजर लगाये हुए है - वैसे भी लोक सभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने सत्ताधारी ममता बनर्जी की पार्टी को कोई कम डैमेज नहीं किया है.

पश्चिम बंगाल को लेकर बीजेपी नेता मुकुल रॉय का जो बयान आया है वो सबसे ज्यादा ममता बनर्जी के लिए परेशान करने वाला है. ये बात अलग है कि कांग्रेस भी उससे अछूती नहीं रहने वाली है. ये भी हो सकता है कि नुकसान के मामले में बराबरी पर हो.

पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ा 'ऑपरेशन लोटस' तूफान

आम चुनाव के दौरान जब तृणमूल कांग्रेस के 2 विधायक और 50 पार्षद बीजेपी में शामिल हुए, पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने उसे पहला चरण बताया था. पश्चिम बंगाल में सभी सात चरणों में चुनाव हुए थे और कैलाश विजयवर्गीय की बात का आशय हर चरण में TMC विधायकों के बीजेपी ज्वाइन करने से थी. हालांकि वैसा कुछ हुआ नहीं. कैलाश विजयवर्गीय हाल फिलहाल अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय की एक अफसर के खिलाफ बल्लेबाजी को लेकर खासे चर्चा में रहे. आकाश विजयवर्गीय को कई दिन जेल में बिताने पड़े और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो कह दिया कि ऐसे लोगों को बीजेपी में होना ही नहीं चाहिये.

जब टीएससी के एक और विधायक के साथ 10 जिला परिषद सदस्यों ने भगवा को अपनाया तो मुकुल रॉय ने कैलाश विजयवर्गीय वाली ही बात दोहरायी लेकिन अपने अंदाज में - ‘ये तो अभी ट्रेलर है. फिल्म अभी बाकी है.’

लगता है मुकुल रॉय अब फिल्म भी रिलीज करने वाले हैं. अभी सिर्फ थोड़ा सा हिस्सा रिलीज किया है, लेकिन वो बंगाल में सत्ताधारी टीएमसी में खलबली मचाने वाला है. मुकुल रॉय कभी ममता बनर्जी के सबसे करीबी नेता हुआ करते थे. बीजेपी ने मुकुल रॉय को तोड़ कर ममता बनर्जी पर पहला गंभीर सियासी वार किया था. काफी दिनों तक मुकुल रॉय करिश्मा दिखाने के लिए जूझते रहे लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी. आम चुनाव में मोदी लहर का बंगाल से सबसे बड़ा फायदा तो मुकुल रॉय के खाते में ही गया जिसमें उनके नाकामी के सारे कलंक धुल गये.

मुकुल रॉय का ताजातरीन बयान तो और भी ज्यादा खतरनाक है. खासकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस के हिसाब से. ये तो अधीर रंजन चौधरी के दिल्ली आ जाने के सबसे ज्यादा कांग्रेस को होने वाला नुकसान लगता है.

mukul roy with narendra modi on west bengalबंगाल की ओर बढ़ रहा है ऑपरेशन लोटस...

मुकुल रॉय का दावा है कि पश्चिम बंगाल में विपक्ष के 107 विधायक बीजेपी ज्वाइन करने वाले हैं. चुनाव प्रचार के दौरान हुगली जिले के श्रीरामपुर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली में एक बयान के बाद खूब रिएक्शन हुआ था. टीएमसी नेता डेरेक-ओ-ब्रायन ने गहरी नाराजगी जताते हुए रिएक्ट किया था. मोदी का कहना था, '23 मई को लोकसभा चुनावों के नतीजे के बाद हर जगह बीजेपी ही नजर आएगी. दीदी! आपके तमाम विधायक आपका साथ छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम लेंगे. आज भी आपके 40 विधायक हमारे संपर्क में हैं.' हर जगह तो नहीं लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद काफी जगह बीजेपी नजर आने लगी है. 23 मई से पहले ममता बनर्जी विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद की भी दावेदार रहीं. इसे लेकर मोदी का कहना रहा, 'दीदी! मुठ्ठी भर सीटें लेकर आप दिल्ली नहीं पहुंच सकतीं. दिल्ली बहुत दूर है.' जैसे भी मुमकिन हुआ हो, प्रधानमंत्री मोदी की बात तो सही साबित हो ही चुकी है. मुकुल रॉय के मुताबिक जिन 107 विधायकों का वो जिक्र कर रहे हैं उनमें तृणमूल कांग्रेस के साथ साथ सीपीएम और कांग्रेस के विधायक भी शामिल हैं. मुकुल रॉय तो दो कदम आगे बढ़ाकर भी दावा कर रहे हैं - 'हमारे पास उनके नामों की लिस्ट है और वो हमारे संपर्क में हैं.'

फिर तो मान कर चलना चाहिये कि गोवा में ऑपरेशन लोटस की कामयाबी और कर्नाटक में सफलता की सीढ़ी चढ़ने के बाद ये मिशन पश्चिम बंगाल में भी गुल खुलाने वाला है.

ममता बनर्जी की सरकार को कितना खतरा?

खबर है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ बेंगलुरू जा रहे हैं. बेंगलुरू में कमलनाथ के एक दिन रुकने का भी कार्यक्रम है. मुमकिन है कांग्रेस नेतृत्व को लगा हो कि जिस काम में गुलाम नबी आजाद और केसी वेणुगोपाल जैसे नेता फेल हो चुके हैं, कमलनाथ कुछ काम आ सकें. डीके शिवकुमार अकेले सीधे मैदान में डटे हुए हैं. अब तक डीके शिवकुमार को भी कोई सफलता नहीं मिल पायी है और मुंबई से तो बैरंग ही वापस आना पड़ा था. हो सकता है, कमलनाथ बेंगलुरू पहुंच कर डीके शिवकुमार की कुछ हौसलाअफजाई कर सकें. दोनों ही नेता अपने अपने इलाके में हर तरह के साधन और संसाधन से संपन्न माने जाते हैं. कुछ और नहीं तो कमलनाथ अपनी इस यात्रा में कर्नाटक संकट से कुछ सबक हासिल कर लौटने पर मध्य प्रदेश में काउंटर के लिए अप्लाई तो कर ही सकते हैं.

जहां तक पश्चिम बंगाल की बात है तो 2016 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी अपनी लोकप्रियता के बल पर ही सत्ता में वापसी करने में कामयाब रहीं. चुनाव के ऐन पहले टीएमसी के कई नेताओं के नाम भ्रष्टाचार के मामलों में घसीटे गये - बावजूद तमाम अड़चनों के नारदा-सारदा की बाधाएं ममता बनर्जी ने सफलतापूर्वक पार कर लिया. ममता बनर्जी उन नेताओं को भी जिताने में कामयाब रहीं जो आरोपों के घेरे में रहे.

पिछले विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 295 सीटों में से 211 जीतने में सफल रहीं. चुनाव 294 सीटों पर ही हुए थे. ताजा स्थिति ये है कि टीएमसी विधायकों की संख्या घटकर 207 हो चुकी है.

आम चुनाव में बीजेपी ने ममता बनर्जी को भारी झटका दिया. बीजेपी जहां 18 सीटें जीतने में कामयाब रही, वहीं तृणमूल 34 से लुढ़क कर 22 पर पहुंच गयी. अगला विधानसभा चुनाव अब 2021 में होना है और बीजेपी ममता बनर्जी को दूसरी शिकस्त देने की तैयारी कर रही है. वैसे राज्य सभा में टीएमसी के 13 सांसद हैं.

जहां तक विपक्ष के नंबर का सवाल है तो कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 43 विधायक और लेफ्ट फ्रंट के पास 29 हैं. वाम मोर्चे में भी सबसे ज्यादा सीपीएम के विधायक हैं - 23. मुकुल रॉय के हिसाब से जोड़ा जाये तो सीपीएम के 23 और कांग्रेस के सभी 43 विधायकों के बाद भी 107 की संख्या तक पहुंचने के लिए टीएमसी के 41 विधायकों की जरूरत पड़ेगी.

टीडीपी के राज्य सभा सदस्यों और गोवा के कांग्रेस विधायकों का पैटर्न देखें तो बीजेपी विधायकों के सामने कम से कम दो-तिहाई नंबर के साथ पार्टी छोड़ने की सलाह दे रही है ताकि दलबदल कानून की मार से बचा जा सके. इस हिसाब से कांग्रेस 28 और सीपीएम के कम से कम 15 विधायकों को पार्टी छोड़नी होगी. अगर बीजेपी में जाने को आतुर विधायक अपनी पार्टियां छोड़ने का ये तरीका अपनाते हैं फिर तो मुकुल रॉय की सूची में टीएमसी 64 विधायक भी हो सकते हैं.

पश्चिम बंगाल में बीजेपी के 12 विधायक हैं. अगर 107 विधायक और आ जाते हैं तो संख्या 119 हो जाएगी जो बहुमत से काफी कम है. पश्चिम बंगाल में बहुमत का आंकडा 149 है - ऐसे में ममता बनर्जी तात्कालिक तौर पर परेशान तो हो सकती हैं, लेकिन पराजित नहीं. ममता बनर्जी को पराजित करने के लिए बीजेपी को 2021 के चुनाव का इंतजार करना ही होगा.

इन्हें भी पढ़ें :

ममता बनर्जी BJP के खिलाफ जंग में Rahul Gandhi जैसी गलती कर रही हैं

बीजेपी के सदस्यता अभियान का फोकस वोटर नहीं, विपक्षी नेताओं पर!

ममता बनर्जी ने 2021 विधानसभा चुनाव में अपनी हार का इंतजाम खुद ही कर लिया है.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय