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Updated: 08 अगस्त, 2019 04:19 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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जम्मू-कश्मीर के हालात किसी से छुपे नहीं हैं. धारा 370 पर मोदी सरकार द्वारा लिए गए सख्त फैसले के बाद तो वहां बहुत से इलाकों में कर्फ्यू तक लगा दिया गया है. लोग घरों में बंद हैं. यहां तक कि वहां के मुख्य नेता महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को भी मोदी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया है और गेस्ट हाउस में रखा है. ये सब सुनने के बाद मन में ये सवाल आना लाजमी है कि आखिर जम्मू-कश्मीर में ये चल क्या रहा है? आखिर सरकार इस तरह से कर्फ्यू लगाकर कोई फैसला क्यों लागू कर रही है? सबसे अहम ये कि आखिर वहां के बड़े नेताओं को क्यों गिरफ्तार कर लिया है, जो वहां के लोगों की ओर से उनके प्रतिनिधि जैसे हैं?

5 अगस्त को जब मोदी सरकार ने धारा 370 के तीन में से दो खंड़ों को समाप्त करने का फैसला किया, तभी से जम्मू-कश्मीर को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं. अधिकतर लोग तो मोदी सरकार के फैसले का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन कुछ इसका विरोध भी कर रहे हैं. विरोध सबसे अधिक इस बात का हो रहा है कि आखिर बड़े नेताओं को बोलने क्यों नहीं दिया जा रहा है? इस बात का बड़ा ही आसान सा जवाब है, जो इन नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट से मिल सकता है. वैसे फिलहाल तो पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल का फेसबुक अकाउंट ही देख लीजिए, इन लोगों को गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने की वजह साफ हो जाएगी.

धारा 370, जम्मू और कश्मीर, राजनीति, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्लानेताओं के गिरफ्तार करने की वजह उनके दिए बयान ही हैं.

'8-10 हजार मौतों के लिए तैयार है सरकार'

ये बयान है पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल का. उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर ये लिखा हुआ है. एक लंबी चौड़ी पोस्ट के बीच में उन्होंने चंद लाइनों में जो बात कही है, वह बेशक हर कश्मीरी के अंदर डर पैदा कर सकती है. और हां याद रहे, ये डर ही है जो अधिक बढ़ने पर गुस्से की शक्ल इजात कर लेता है. उन्होंने लिखा है- 'कुछ नेता जो हिरासत में लिए जाने से बच गए हैं वह टीवी चैनलों पर शांति की अपील कर रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि सरकार करीब 8-10 हजार मौतों के लिए तैयार है. तो अक्लमंदी इसी में है कि हम उन्हें इस नरसंहार का मौका ही ना दें.'

धारा 370, जम्मू और कश्मीर, राजनीति, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्लाशाह फैसल या तो खुद कंफ्यूज हैं, या लोगों को कंफ्यूज करना चाहते हैं.

शाह फैसल ने आईएएस की नौकरी भी छोड़ दी और उधर जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भी चमकने का मौका अब गया ही समझिए. ऐसे में वह पूरी तरह से कंफ्यूज हैं. या पता नहीं लोगों को कंफ्यूज करना जा रहे हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि सुबह तो उन्होंने नरसंहार जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, घाटी के लोगों को डराने वाली बातें कीं और शाम होते-होते ये कह रहे हैं कि उनके एक दोस्त अपने परिवार के साथ बड़े ही आराम से श्रीनगर एयरपोर्ट तक पहुंच गए. इसके लिए उन्होंने अपने एयर टिकट को कर्फ्यू पास की तरह इस्तेमाल किया. यानी एक ओर वह 8-10 हजार लोगों के मारे जाने का खतरा बता रहे हैं यानी स्थिति बहुत ही खराब जताना चाहते हैं. वहीं दूसरी ओर ये भी बता रहे हैं कि उनका दोस्त शांति से एयरपोर्ट जा पहुंचा. पता नहीं वह खुद कंफ्यूज हैं या फिर कंफ्यूज कर रहे हैं.

'नहीं समझे तो मिट जाओगे हिन्दुस्तान वालों'

ये कहना है महबूबा मुफ्ती का. जब लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मोदी सरकार ने जीतने पर धारा 370 हटाने का वादा किया था, तो महबूबा मुफ्ती ने ये बात कही थी. उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा था- 'कोर्ट में वक्त क्यों गंवाना. भाजपा द्वारा धारा 370 को खत्म करने का इंतजार करिए. अगर ऐसा हुआ तो हम खुद ही चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे, क्योंकि तब भारतीय संविधान जम्मू-कश्मीर पर लागू ही नहीं होगा.' यहां तक तो ठीक था, लेकिन आगे महबूबा मुफ्ती ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, वह किसी हिंदुस्तानी नहीं, बल्कि पाकिस्तानी जैसे लगे. वह बोलीं- 'ना समझोगे तो मिट जाओगे हिंदुस्तान वालों, तुम्हारी दास्तां तक भी ना होगी दास्तानों में.'

धारा 370, जम्मू और कश्मीर, राजनीति, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्लामहबूबा मुफ्ती का ये बयान साफ करता है कि वह समस्या सुलझाना नहीं, उलझाना चाहती हैं.

इतना ही नहीं, धारा 35ए को हटाने की बात पर भी वह एक बार भड़काऊ बयान दे चुकी हैं. उन्होंने कहा था कि आग से मत खेलो, धारा 35ए से छेड़छाड़ मत करो वरना 1947 से अब तक जो आपने नहीं देखा, वह देखोगे. अगर ऐसा हुआ तो मुझे नहीं पता कि जम्मू-कश्मीर के लोग तिरंगा उठाने के बजाय कौन सा झंड़ा उठाएंगे. उसे हाथ में उठाना तो दूर, उसे कांधा देना भी मुश्किल हो जाएगा. और जब कोई दूसरा झंडा उठाएंगे तो ये ना कहना कि हमने आपसे पहले कहा नहीं था.

अब जरा सोचिए, ऐसी भाषा बोलने वाली महबूबा मुफ्ती को गिरफ्तार नहीं किया जाए तो क्या किया जाए. दिक्कत ये नहीं है कि वह विरोध करतीं, बल्कि दिक्कत ये है कि वह लोगों के भड़कातीं. पत्थरबाजों और अलगाववादियों को ताकत इसी तरह के बयानों से तो मिलती है. पाकिस्तान भी इसी वजह से आए दिन भारत के सामने आंखें तरेरता है. विरोध करना गलत नहीं है, लेकिन विरोध के नाम पर पूरी घाटी को हिंसा की आग में झोंक देना ऐसा अपराध है, जिसके लिए माफी नहीं सजा मिलनी चाहिए.

उमर अब्दुल्ला की बातें भी भड़काने वाली

महबूबा मुफ्ती की तरह उमर अब्दुल्ला यूं ही कुछ भी नहीं बोल देते. वह ये ध्यान रखते हैं कि उनकी बातें गलत तरीके से ना समझी जाएं. लेकिन उनकी बातें भी घुमा-फिराकर लोगों के भड़काने वाली ही होती हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान जब धारा 370 हटाने का जिक्र हुआ था तो उन्होंने कहा था- हम अपने राज्ये के दर्जे से छेड़छाड़ करने वाले किसी भी प्रयास का मुकाबला करेंगे. अपने विशेष दर्जे पर किसी और हमले की इजाजत नहीं देंगे. हम फिर उसे हासिल करेंगे, जिसका उल्लंघन किया गया. हम अपने राज्य के लिए प्रधानमंत्री पद फिर से हासिल करने की कोशिश करेंगे.

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