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Updated: 15 अगस्त, 2022 10:07 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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खबर है कि कर्नाटक के शिवमोगा में अमीर अहमद सर्कल पर लगी वीर सावरकर का पोस्टर हटा दिया गया. इसके पीछे की वजह ये थी कि टीपू सुल्तान सेना के मुस्लिम युवकों को वीर सावरकर की तस्वीर पर आपत्ति थी. और, ये लोग वहां टीपू सुल्तान का पोस्टर लगाना चाहते थे. इसकी वजह से हिंदूवादी संगठनों और टीपू सुल्तान सेना के मुस्लिम युवकों के बीच झड़प हो गई. जिसमें एक शख्स को चाकू मारकर घायल कर दिया गया. सांप्रदायिक तनाव की स्थिति को देखते हुए धारा 144 लागू कर दी गई है. और, पुलिस ने वीर सावरकर का पोस्टर हटा दिया है.

Karnataka Shivamogga Removing Veer Savarkar posterटीपू सुल्तान सेना के झंडे लेकर आए मुस्लिम कट्टरपंथियों ने वीर सावरकर के पोस्टर को हटा दिया. और, कोई कुछ नहीं बोला.

आखिर स्वतंत्रता सेनानी सावरकर की तस्वीर क्यों हटाई?

ये वही कर्नाटक है, जहां कुछ महीने पहले मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन पीएफआई की स्टूडेंट विंग के इशारे पर हिजाब विवाद को बढ़ावा दिया गया. ये वही कर्नाटक है, जहां मुस्लिम कट्टरपंथियों ने केवल हलाल मांस के इस्तेमाल को लेकर बाकायदा एक मुहिम चलाई. बीते कुछ महीनों में कर्नाटक के अंदर मुस्लिम कट्टरपंथियों की तादात तेजी से बढ़ती जा रही है. तो, जब भारत में आजादी के अमृत महोत्सव पर देश के स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया जा रहा हो. तब कर्नाटक में वीर सावरकर की तस्वीर लगाने पर विवाद होना ही था. बता दें कि शिवमोगा के ही एक मॉल में स्वतंत्रता दिवस को लेकर की गई सजावट में वीर सावरकर की तस्वीर को भी एक मु्स्लिम शख्स की आपत्ति के बाद हटाना पड़ गया था.

इसी कर्नाटक के मेंगलुरु में एक चौराहे पर लगे वीर सावरकर के पोस्टर को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के कार्यकर्ताओं हटा दिया था. एसडीपीआई के कट्टरपंथी लोगों को इस बैनर पर भी आपत्ति थी. अब यहां ये बताने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए कि एसडीपीआई भी मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन पीएफआई की ही एक शाखा है. वैसे, बीते दिनों से देशभर में कट्टरपंथी मुस्लिमों ने कई लोगों को पैगंबर टिप्पणी विवाद का समर्थन करने के नाम पर 'सिर तन से जुदा' करने की सजा दी है. जिससे देश के आम नागरिकों में खौफ भर गया है कि ये लोग कुछ भी कर सकते हैं. और, इन्हें ऐसा करने में किसी तरह का पछतावा भी नहीं होता है. तो, अपनी जान को खतरे में देखते हुए लोगों के पास आपत्ति जताए जाने के बाद पोस्टर हटाने के अलावा कोई चारा भी नहीं बचता है. क्योंकि, इन कट्टरपंथियों का कोई भरोसा नहीं है कि कब इनमें से कोई भड़क कर बवाल फैला दे? 

लिखी सी बात है कि वीर सावरकर के पोस्टर के लिए कोई जान तो नहीं दे देगा. तो, इन मुस्लिम कट्टरपंथियों की बात मानना जरूरी हो जाता है. खासकर तब कांग्रेस पार्टी से लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं द्वारा टीपू सुल्तान का गुणगान किया जाता हो. वो अलग बात है कि इतिहास में कम से कम टीपू सुल्तान को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा तो नहीं ही मिला है. लेकिन, भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर को स्वातंत्र्यवीर कहा. और, उनके नाम पर डाक टिकट तक जारी करवाया. खैर, वीर सावरकर के पोस्टर के लिए कोई अपनी जान का खतरा क्यों उठाएगा?

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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