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Updated: 15 मई, 2018 08:14 PM
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे लगातार आ रहे हैं और अभी तक सरकार किसकी बनेगी ये सस्पेंस बना हुआ है. सुबह जहां कांग्रेस की बढ़त थी वहीं अब भाजपा की है, लेकिन अभी भी पूर्ण बहुमत से पार्टी दूर है. कांग्रेस ने सारे पत्ते खोल ये कहा है कि जेडीएस को बाहर से सपोर्ट कर देंगे और मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को बना देगी. अभी तक ये समझ नहीं आ रहा है कि बधाई येदियुरप्पा को दें या फिर कुमारस्वामी को, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में सिद्धारमैया का पत्ता पूरी तरह से साफ हो गया है.

फिलहाल कांग्रेस का सपोर्ट जेडीएस ने स्वीकार लिया है. कांग्रेस 73 सीटों पर और जेडीएस 40 सीटों पर थीं और मिलकर भाजपा की 107 सीटों पर भारी पड़ गईं. इस सस्पेंस के साथ ही कर्नाटक इलेक्शन की एक और बात है जो उसे बहुत खास बनाती है. वो ये कि कर्नाटक इलेक्शन अब तक का सबसे महंगा राज्य इलेक्शन रहा है. इस चुनाव के लिए करीब 10 हज़ार 500 करोड़ का खर्च किया गया है.

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सेंट्रल फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) के हिसाब से कर्नाटक इलेक्शन में सभी पार्टियों ने मिलाकर 9500 से लेकर 10500 करोड़ तक खर्च किया है.

पिछले इलेक्शन से दुगना..

2018 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सभी पॉलिटिकल पार्टियों ने पिछले विधानसभा चुनाव जो 2013 में हुए थे उससे दुगना खर्च किया है. मज़े की बात तो ये है कि इस सर्वे में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई इलेक्शन कैंपेन का खर्च शामिल नहीं है. हां, ये बात तो पक्की है कि ये चुनाव आंद्रप्रदेश और तमिलनाडु के चुनावों से ज्यादा खर्चीले साबित हुए हैं.

2019 में पार हो सकता है 50 हज़ार करोड़ का आंकड़ा..

सर्वे के हिसाब से अगर खर्च की हालत ऐसी ही रही तो आने वाले साल में लोकसभा चुनाव में पार्टियां 50 हज़ार से 60 हज़ार करोड़ का खर्च कर सकती हैं. ये 2014 में खर्च हुए पैसा का दुगना होगा. सर्वे ये भी बता रहा है कि कर्नाटक इलेक्शन में कैंडिडेट का खर्च भी 75 प्रतिशत बढ़ गया है इस हिसाब से तो लोकसभा में हर कैंडिडेट और पॉलिटिकल पार्टियों का खर्च भी 50-60 प्रतिशत बढ़ सकता है.

इस समय ये इलेक्शन भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही जरूरी है. जहां भाजपा के लिए ये वर्चस्व की लड़ाई है वहीं कांग्रेस के लिए ये अस्तित्व की लड़ाई है. अगला सीएम कौन होगा इसके बारे में भी अभी कुछ तय नहीं है. अभी तक तो यही लग रहा था कि येदियुरप्पा ही सीएम बनेंगे, लेकिन अब 5 बजे देवे गौड़ा कांग्रेस का समर्थन लेकर गवर्नर के पास जाएंगे और ये भी हो सकता है कि अमित शाह अपना कोई नया दांव खेलें और एक बार फिर भाजपा के पास पांसा आ जाए. फिलहाल तो इसका इंतजार करना होगा.

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