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Updated: 16 जुलाई, 2016 05:24 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
  @alok.ranjan.92754
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शुक्रवार को फ्रांस के शहर नीस में जो हमला हुआ है, वो आतंकवादियों द्वारा अपनाया गया एक और हैरान करने वाला तरीका है. हालांकि, ये पहली बार नहीं है. पहले भी इन तथाकथित जिहदियों ने ऐसे कई कारनामों को अंजाम दिया है. आतंक को अंजाम देने के लिए ट्रकों का इस्तेमाल पहले भी किया गया है. अंतर इतना है कि इसका इस्तेमाल एक्सप्लोसिव व्हीकल या सुसाइड बॉम्बर ट्रक के रूप में किया गया है.

नीस अटैक और पहले के आतंकी हमलों में अंतर यह है कि इस घटना में मारे गए लोगों की संख्या काफी अधिक है. 80 से ज्यादा लोगों की मौत दिखाती है कि किस तरह सुनियोजित तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया जो कि पूरे विश्व को दहलाने के लिए काफी है.

इस आतंकी घटना को अंजाम सिर्फ एक ट्रक ड्राइवर द्वारा दिया गया जिसने तेज़ रफ़्तार में भीड़ से भरी रोड में कई लोगो को मौत के घाट उतार दिया. आखिरकार पुलिस उसे मार कर ही अपना नियंत्रण कर पाई. पहले भी कई आतंकवादी संगठन ट्रकों या गाड़ियों का इस्तेमाल आतंक फैलाने और कई देशों को दहलाने, डराने के लिए कहते रहे है.

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 ऐसे हमले कोई पहला उदाहरण नहीं है..

अक्टूबर 2010 में यमन की अल क़ायदा शाखा ने अपने ऑनलाइन मैगज़ीन 'inspire' में इसका उल्लेख करते हुए अपने रेक्रुइटो को ट्रक को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया. 'The Ultimate Mowing Machine' नामक लेख में बताया गया कि कैसे पिक अप ट्रक को घास काटने जैसे मशीन के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है, पर घास काटने के लिए नहीं परन्तु 'खुदा के दुश्मनों' को काटने के लिए. यह संदेश तो अमेरिका के लिए था लेकिन पूरे विश्व के देशों को दहलाने के लिए भी काफी था. और इस तरह के हमले को रोकने के लिए कोई भी तैयारी नाकाफी है.

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इसी तरह सितंबर 2014 में ISIS ने अपने हमलावरों को अपने दुश्मनो के ऊपर कार चढ़ा कर मारने का सुझाव दिया था.

पूर्व में हमने कई घटनाओं को देखा है जिसमें कार बम या ट्रक बम का प्रयोग कर के आतंकवादी वारदातों को अंजाम दिया गया. ये आतंक के बहुत ही प्रभावशाली हथियार हैं, क्योंकि इसके द्वारा बारूद का ट्रांसपोर्ट बहुत आसानी से किया जा सकता है और जहां ब्लास्ट को अंजाम देना है वहां तुरंत पहुंचा भी जा सकता है.

ISIS ने कई बार विस्फोटकों से से भरे कार को सुसाइड बम के तौर पर इराकी फौज के खिलाफ इस्तेमाल किया है. इसी साल अप्रैल में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमे ये दिखा था की किस तरह ISIS की सुसाइड बॉम्बर ट्रक को कुर्दिश लड़ाकूओं ने मिसाइल के द्वारा नस्तेनाबूद कर दिया.

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ट्रकों का इस्तेमाल आतंकी हमलों में पहले भी होते रहा है, पर यह पहला मामला है जिसमे मरने वालो की संख्या काफी अधिक है वो भी जब न तो किसी एक्सप्लोसिव का प्रयोग किया गया हो या ट्रक को सुसाइड बॉम्बर के रूप में इस्तेमाल किया गया है. ये घटना हमारे सुरक्षा तंत्रों को भी एक कड़ी चुनौती पेश करती है. जो भी देश आतंक से जूझ रहे हैं, उन्हें अब ऐसे खतरों से भी चौकन्ना रहना चाहिए.

भारत ऐसा देश है जो कई साल से आतंक से लड़ रहा है. यह घटना भारत के लिए आंख खोलने को कह रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटना कभी यहां दोहराया न जा सके. भारत में पहले जिस तरह से आतंकी हमले हुए हैं, चाहे वो 2008 मुंबई हमला हो या हाल का पठानकोट अटैक, हमारी सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख देती है. भारत को नीस की घटना से सीख लेते हुए अपनी सुरक्षा को और मजबूत करना चाहिए ताकि ऐसी घटना जिसका पहले से अनुमान लगाना मुश्किल हो, को समय रहते रोका जा सके.

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आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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