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Updated: 29 सितम्बर, 2016 09:04 PM
राकेश चंद्र
राकेश चंद्र
  @rakesh.dandriyal.3
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मई 2014 में जैसे ही केंद्र में मोदी सरकार पावर में आयी व जिस प्रकार पूर्व रॉ अधिकारी अजीत डोभाल को चंद दिनों के अंदर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया, इससे पाक खुफिया एजेंसी के कान खड़े हो गए. डोभाल सात साल तक पाकिस्तान में एक गुप्त एजेंट बन के रहे थे. डोभाल ने एक पाकिस्तानी जासूस के वेष में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ से पहले खालिस्तानी आतंकवादियों से कई जानकारियां एकत्र की. उन्होंने इस्लामाबाद, पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में छह साल तक काम किया.

हाल फ़िलहाल में ही पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक अजीत डोभाल के आने के बाद पाकिस्तान में फिर इस तरह के ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया है. उसके दो उदाहरण है. पहला, बलूचिस्तान आर्मी को भारत का सपोर्ट और दूसरा एमएमक्यू को मदद करना. प्रधानमंत्री का 15 अगस्त 2016  को बलूचिस्तान की सहायता का वचन भी यहाँ झलकाता है की मिशन में कहीं न कहीं डोभाल का रोल है. इस पर ऊपर से सितम्बर 2015 में मोदी सरकार में मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि जरूरत पड़ने पर भारत पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद के खिलाफ 'कोवर्ट ऑपरेशन' चला सकता है.

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तो क्या भारत निकट भविष्य में पाकिस्तान में कोवर्ट आपरेशन करेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिंग जब तक मोदी और अजीत डोभाल की जोड़ी है कुछ भी नामुमकिन नहीं है.

क्या होता है ओवर्ट और कोवर्ट ऑपरेशन?

सिक्योरिटी के मामले में दो तरह के ऑपरेशन होते हैं. पहला ओवर्ट और दूसरा कोवर्ट. ओवर्ट ऑपरेशन में आपरेशन की घोषणा पहले ही कर दी जाती है ताकि आपरेशन से संबधित सूचना सभी के पास हो.

कोवर्ट ऑपरेशन गुप्त व बहुत ही सीक्रेट तरीके से किया जाता है. इस आपरेशन की जानकारी बहुत ही कम लागों को होती है. ऐसा इसलिए भी किया जाता है क्योंकि कई बार ऐसे ऑपरेशन के नतीजे भी दुनिया के सामने नहीं आ पाते हैं. ऐसे ऑपरेशन में शामिल एजेंट्स का नाम, पहचान, सब कुछ बदल दिया जाता है. पकड़े जाने पर भी उनका और उनके देश का रिश्ता साबित नहीं हो पाता.

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 नरेंद्र मोदी और अजीत डोभाल

कोवर्ट ऑपरेशन एक टार्गेटेड ऑपरेशन होता है, जो खास ऑब्जेक्ट/ आतंकवादी/ स्थान को लक्ष्य बनाकर ही शुरू किया जाता है या उनके जो समर्थक हैं उनको खत्म करने के लिए किया जाता है. आपरेशन में समय का अहम रोल है. जितने कम से कम समय में इसे किया जाय उतना ही बढ़िया आपरेशन माना जाता है.

कोवर्ट ऑपरेशन का उदाहरण मई, 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिका की ओर से ओसामा बिन लादेन के खिलाफ किया गया ऑपरेशन नेप्च्यून स्पियर था.

भारत के कुछ उदारहण

1971 के युद्ध से पहले भारतीय सेना ने बांग्लादेशी मुक्ति वाहिनी को प्रशिक्षण देकर पाकिस्तान के खिलाफ लडऩे में मदद की थी. भारतीय सेना मुक्ति वाहिनी की ही ड्रेस में बांग्लादेश में घुसी.

अक्टूबर 1984 में इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद राजीव गाँधी ने खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों पर फिया एजेंसी द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करवाई थी. इस ऑपरेशन को सीआईटी एक्स और ऑपरेशन सीआईटीजे नाम दिया गया था. माना जाता है कि राजीव गांधी और इंदिरा गांधी के शासन में हमारी खुफिया एजेंसियों और भारतीय सेना ने पाकिस्तान की जमीन पर कुछ कार्रवाईयां करने में सफलता मिली थी.

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मोरारजी-गुजराल ने रोका

मोरारजी देसाई ने भी 1977 में रॉ की सारी क्षमतायें खत्म कर दी थी. यही काम 1997 में प्रधानमंत्री गुजराल ने किया. उन्होंने रॉ की सारी कार्रवाइयां रोक दी थीं.

आपरेशन ओवर्ट इन म्यांमार

मणिपुर में 18 सैनिकों के हत्यारों पर कार्रवाई का फैसला 4 जून 2016 को लिया गया और मंगलवार 9 जून को इसे सुबह 3 बजे अंजाम दिया गया. यह पहला मौका था जब भारत ने क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन के जरिए ऐसी कार्रवाई की. सेना के कमांडो ने यह कार्रवाई एक विशेष सूचना के आधार पर म्यांमार अफसरों से तालमेल बैठाकर की. म्यांमार में हुए सैन्य आपरेशन पर बयान देने के बाद विपक्ष के निशाने पर आए केंद्रीय मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने अपना बचाव किया. राठौड़ ने कहा कि उग्रवादियों के खिलाफ आपरेशन ओवर्ट (खुलकर) था, कोवर्ट (छिपकर किया गया) नहीं.

लेखक

राकेश चंद्र राकेश चंद्र @rakesh.dandriyal.3

लेखक आजतक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं

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