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Updated: 26 जून, 2022 07:33 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हार्दिक पटेल को भाजपा में शामिल हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है. कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार की ओर से की जा रही अनदेखी की वजह से हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थामा था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो हार्दिक पटेल की कांग्रेस से 'एग्जिट' की राह खुद पार्टी आलाकमान ने ही तैयार की थी. अब ऐसा ही कुछ राजस्थान में भी होता नजर आ रहा है. दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट को एक बार फिर से निशाने पर ले लिया है. 2020 में राजस्थान सरकार पर आए सियासी संकट के मद्देनजर अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि 'भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राजस्थान के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट साजिश में मिले हुए थे.' जब राजस्थान में सब कुछ ठीक चल रहा है, तो गहलोत का ये बयान चौंकाता है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सचिन पायलट के भाजपा में शामिल होने की राह 'कांग्रेस' ही तैयार कर रही है?

Is Congress paving the way for Sachin Pilot to join BJP Ashok Gehlot again attacked Pilot for conspiracy to topple the governmentअशोक गहलोत अपनी सरकार को खतरे में डालने वाले सचिन पायलट को इतनी आसानी से माफ कर देंगे क्या?

राहुल की तारीफ पर भारी गहलोत का 'तंज'

बीते दिनों कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ईडी की पूछताछ के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत में सचिन पायलट के धैर्य की तारीफ की थी. इस तारीफ के बाद सचिन पायलट समर्थकों का उत्साह देखने लायक था. दरअसल, माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर उतारा जा सकता है. वैसे, राजनीतिक गलियारों में अटकलें इस बात की भी लगने लगी हैं कि कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार जल्द ही सचिन पायलट पर मेहरबान हो सकता है. क्योंकि, राजस्थान में कांग्रेस गुजरात वाला हाल नहीं होने देना चाहती है. और, राजस्थान में ही हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी युवा नेताओं को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव पास हुआ था. लेकिन, अशोक गहलोत अपनी सरकार को खतरे में डालने के मामले पर सचिन पायलट को इतनी आसानी से माफ करते नजर नहीं आ रहे हैं. गजेंद्र सिंह शेखावत को निशाने पर लेते हुए अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है. 

सचिन पायलट निशाने पर क्यों आए?

ये विवाद गजेंद्र सिंह शेखावत की जयपुर के चोमू में हुई एक सभा से शुरू हुआ था. जिसमें गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान में सचिन पायलट से चूक हो गई. अगर मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी फैसला हो जाता. तो, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) का काम अब तक शुरू हो जाता. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि गजेंद्र सिंह शेखावत का इशारा 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में हुई बगावत की ओर ही था. हालांकि, सचिन पायलट ने शेखावत के इस बयान पर पलटवार किया था. सचिन पायलट ने कहा था कि 'पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना में भाजपा अपनी विफलता का ठीकरा जनता पर फोड़ रही है. ERCP को लेकर राज्य सरकार और सभी कांग्रेसी एकजुट हैं.' लेकिन, ऐसा लग रहा है कि सचिन पायलट का गजेंद्र सिंह शेखावत को दिया ये जवाब अशोक गहलोत को कुछ खास रास नहीं आया है. इसी वजह से गहलोत ने सचिन पायलट पर परोक्ष रूप से हमला बोला है. ताकि, कांग्रेस आलाकमान को ध्यान रहे कि पायलट ने ही सरकार को खतरे में लाने के पीछे बड़ी भूमिका निभाई थी.

गहलोत की 'बगावत' क्या झेल पाएगी कांग्रेस?

2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में राजस्थान सरकार के खिलाफ हुई सियासी बगावत को अशोक गहलोत ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से दबा दिया था. लेकिन, इसी दौरान सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था. खैर, गहलोत सरकार गिरने से पहले ही सचिन पायलट समेत तमाम बागी विधायकों ने कांग्रेस में वापसी कर ली थी. लेकिन, अहम सवाल यही है कि क्या सचिन पायलट को लेकर किये जाने वाले किसी बड़े फैसले पर कांग्रेस आलाकमान अशोक गहलोत की 'बगावत' के लिए तैयार है. क्योंकि, गहलोत शायद ही इतनी आसानी से सचिन पायलट के लिए अपनी कुर्सी खाली करेंगे. ये बात तब और पुख्ता हो जाती है. जब भाजपा नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ उनके सियासी तालमेल की चर्चा हमेशा से रही हो. आसान शब्दों में कहा जाए, तो राहुल गांधी भले ही सचिन पायलट के 'सब्र' की तारीफ करें. लेकिन, कांग्रेस आलाकमान गहलोत को नजरअंदाज कर पायलट को लेकर इतनी आसानी से कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकती है.

सचिन पायलट के पास विकल्प क्या है?

राजस्थान में अशोक गहलोत के रहते सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान की ओर से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान सरकार में लंबे समय तक अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल विस्तार को लटकाए रखा. ताकि, सचिन पायलट के करीबियों को सरकार में शामिल न करना पड़े. राजस्थान की सियासी स्थिति पर नजर डालें, तो यहां हर विधानसभा चुनाव में सरकार बदलने का ट्रेंड रहा है. तो, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी हो. इस हालत में सचिन पायलट का क्या रुख होगा, ये देखना दिलचस्प होगा. लेकिन, इतना तय है कि सचिन पायलट के भाजपा में शामिल होने की राह 'कांग्रेस' ही तैयार कर रही है. क्योंकि, राजस्थान में कांग्रेस का मतलब अशोक गहलोत ही है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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