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Updated: 30 मार्च, 2019 06:53 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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भारत एक ऐसा देश है जहां बहुत कुछ सिलेक्टिव होता है. यहां रिश्तों से लेकर सार्वजनिक विरोध तक सब कुछ सिलेक्टिव होता है. हर जगह 'Conditions Apply' वाला कॉलम दिखता है. इस दौर में जब लोकसभा चुनवा 2019 बहुत नजदीक हैं एक और सिलेक्टिव विरोध की बात करना जरूरी है. बात बहुत पुरानी नहीं है जब हार्दिक पांड्या को कॉफी विद करण में कहे गए स्टेटमेंट के लिए बहुत कुछ कहा गया था, उन्हें बैन कर दिया गया, उन्हें सोशल मीडिया पर इतना सुनाया गया कि उन्हें शायद जिंदगी भर का सबक मिल गया, पर यहां भी भारत की जनता सिलेक्टिव हो गई क्योंकि एक क्रिकेटर की बातों पर भड़कने वाले लोग ये भूल गए कि देश चलाने वाले नेता किस तरह महिलाओं की बेइज्जती करते हैं और आए दिन अपने बयानों से पितृसत्ता की नई परिभाषा कहते हैं.

ताज़ा मामला कांग्रेस सांसद उदयनराजे भोसले का है. जहां उन्होंने एक स्कूल इवेंट के दौरान कुछ ऐसी बात कह दी जो शायद कोई भी सुने तो चौंक जाए! स्कूल इवेंट के दौरान एक छात्रा ने सांसद से पूछा कि अगर कोई लड़का किसी लड़की को लगातार घूरता रहता है तो लड़की को क्या करना चाहिए?

इसपर उदयनराजे भोसले जिनके नाम के आगे छत्रपति भी लगा हुआ है उनका कहना था कि, 'अगर लड़के लड़कियों को नहीं देखेंगे तो क्या लड़कों को देखेंगे? ये प्राकृतिक थोड़ी है.'

उदयनराजे भोसले ये भूल गए कि वो किस तरह की शिक्षा दे रहे हैं स्कूल के बच्चों को.उदयनराजे भोसले ये भूल गए कि वो किस तरह की शिक्षा दे रहे हैं स्कूल के बच्चों को.

उनकी इस बात पर स्कूल इवेंट में मौजूद लड़कों ने तालियां भी बजाईं. मतलब इतनी छोटी उम्र में ही वो लड़कों को गलत बात के लिए सपोर्ट कर रहे हैं और कम उम्र की लड़कियों के मन में ये बात डाल रहे हैं कि अगर उन्हें छेड़ा जाता है तो ये प्राकृतिक है.

भारतीय राजनीति में इस तरह के उदाहरण मिलना कोई बड़ी बात नहीं है. भारतीय नेता पितृसत्ता का प्रचारक ही समझते हैं खुद को जिनके हिसाब से रेप से लेकर छेड़खानी तक सब कुछ लड़िकयों की ही जिम्मेदारी होती है. चलिए आज कुछ ऐसे ही नेताओं की बात कर लेते हैं..

फिरोज़ खान जो कहते हैं कि जया प्रदा के आने से रामपुर की शामें रंगीन होंगे और ठुमके लगेंगे-

ये समाजवादी पार्टी के नेता कहते हैं कि मैं भाजपा की महिलाओं के बारे में कुछ नहीं कहूंगा. जिसका जैसा पेशा है वो करेगा. कोई गुंडी बनेगा, कोई ठुमका लगाएगा. रामपुर के लोगों की शामें रंगीन हो जाएंगी. गाना चलेगा. हो सकता है हमारे संसद क्षेत्र से भी लोग अपनी शाम रंगीन करने चले जाएं. हमने काम किया है तो हमें वोट देंगे, लेकिन मजे लूटने की बारी आएगी तो लोग मज़े तो लेंगे ही.

यूनियन मिनिस्टर महेश शर्मा जो ममता बनर्जी को नाचने वाली और प्रियंका गांधी को पप्पू की पप्पी कहते हैं-

कुछ दिन पहले ये वीडियो वायरल हुआ था जिसमें यूनियन मिनिस्टर महेश शर्मा ने कहा था कि अगर ममता बनर्जी यहां आकर कत्थक नाचें तो क्या होगा. ये पप्पू कहता है कि मैं पीएम बनूंगा अब तो पप्पू की पप्पी भी आ गई है. इनके ऊपर तो हमारा शेर मोदी है.

संजय निरुपम जिन्हें स्मृति ईरानी सिर्फ ठुमका लगाने वाली लगती हैं-

संजय निरुपम जो कांग्रेस सांसद हैं वो इस तरह की बातों को लेकर बहुत प्रसिद्ध हैं. निरुपम ने स्मृति ईरानी के लिए कहा था कि ये कुछ दिन पहले तक टीवी पर ठुमके लगाती थीं और अब चुनाव विश्लेषक कैसे बन गईं.

अभीजीत मुखर्जी जिन्हें लगता है कि रेप के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली लड़कियां गलत हैं-

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बेटे अभीजीत मुखर्जी ने निर्भया गैंगरेप के समय विरोध प्रदर्शन के मामले में कहा था कि ये डेंटेड-पेंटेड प्रदर्शन करने वाली लड़कियां छोटे कपड़े पहन कर डिस्को जाती हैं फिर इंडिया गेट पर आकर प्रदर्शन करती हैं.

मुलायम सिंह यादव जिन्हें लगता है कि गांव की महिलाओं को उनकी शकल के कारण अवसर नहीं मिलते, और रेप लड़कों की गलती होता है जुर्म नहीं-

रेप के मामले में फांसी की सज़ा के विरोध में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि लड़कों से गलती हो जाती है इसमें क्या कहें. साथ ही बाराबंकी में एक रैली के दौरान कहा था कि सिर्फ महिलाएं जो एक क्लास की होती हैं वो आगे बढ़ती हैं, लेकिन आप गरीब गांव की महिलाओं को ऐसे मौके नहीं मिलते क्योंकि आप ज्यादा आकर्षक नहीं हैं.

दिग्विजय सिंह जिन्हें लगता है कि केजरीवाल और राखी सावंत दोनों सिर्फ बेफालतू एक्सपोज करते हैं-

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा था कि केजरीवाल राखी सावंत की तरह है जो बहुत कुछ एक्सपोज़ करता है, लेकिन अंदर कुछ नहीं है. दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन को भी 100 टका टंच माल कहा था. दिग्विजय सिंह के लिए ऐसी बातें आम हैं.

मुख्तार अब्बास नक्वी जो लिपस्टिक-पाउडर वाली महिलाओं को आतंकवादियों से जोड़ चुके हैं-

मुख्तार अब्बास नक्वी ने 26/11 के हमले के बाद लिपस्टिक-पाउडर वाली महिलाओं को आतंकवादियों से जोड़ दिया था और कहा था कि लिपस्टिक पाउडर वाली महिलाएं मुंबई की सड़कों पर आ गई हैं और राजनीति को कोस रही हैं. यही तो आतंकवादी कश्मीर में कर रहे हैं.

श्रीप्रकाश जयसवाल जिन्हें लगता है कि बूढ़ी बीवी आकर्षक नहीं होती-

श्रीप्रकाश जयसवाल जो यूनियन कोयला मंत्री रह चुके हैं वो भारत की मैच में जीत के बाद कह चुके हैं कि जीत की खुशी फीकी पड़ जाती है जैसे बीवी बूढ़ी होने लगती है तो अपना आकर्षण खो देती है.

अबू आजमी जो लड़कियों को शक्कर और लड़कों को चींटी समझते हैं-

समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी हमेशा अपने ऐसे कमेंट्स के लिए जाने जाते हैं. बेंगलुरु मास मॉलेस्टेशन मामले में भी उन्होंने कहा था कि अगर शक्कर होगी तो चींटी आएंगी ही, पेट्रोल के पास ही आग लगती है. आजकल जितनी ज्यादा निर्वस्त्र लड़की है उतनी ही फैशनेबल है. अगर मेरे परिवार की लड़कियां 31 दिसंबर को रात में पार्टी करने जाएंगी और उनका पति-पिता या भाई साथ नहीं है तो वो भी गलत हैं.

गिरिराज सिंह जिन्हें लगता है कि सिर्फ रंग गोरा है तो लड़की को कुछ भी मिलेगा-

गिरिराज सिंह ने सोनिया गांधी के लिए कहा था कि अगर वो गोरी नहीं होतीं तो क्या उन्हें कांग्रेस पार्टी अपना लीडर चुनतीं?

ज्ञान देव आहूजा जिन्हें प्रियंका गांधी में सूर्पनखा दिखती हैं-

ज्ञान देव आहूजा जो अपने अभद्र कमेंट के लिए चर्चित हैं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ज्ञान देव आहूजा ने रावण और सूर्पनखा बताया था. साथ ही इस विधायक को लगता है कि गाय मारना आतंकवाद से ज्यादा बड़ा जुर्म है. यही वो नेता है जिसने जेएनयू के बाहर कंडोम की गिनती की थी. यही वो नेता है जिसने मुस्लिम महिलाओं पर हमले की धमकी दी थी.

राम कदम जिनके लिए लड़की उठवाना सौभाग्य की बात है-

भाजपा विधायक राम कदम के अनुसार अगर कोई लड़की शादी के लिए नहीं मानती है तो उसके लिए वो लड़के की मदद करेंगे और लड़की को उठाकर शादी करवाएंगे. यानी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नहीं बेटी उठाओ और बेटी डराओ.

दयाशंकर सिंह जिन्हें मायावती को वैश्या कहने में भी शर्म नहीं आई-

भाजपा के दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए कहा था कि वो एक वैश्या से भी बुरी हैं. अगर कोई वैश्या पैसे लेती है तो अपना वादा पूरा करती है, लेकिन मायावती पार्टी टिकट बेचने के लिए वो भी नहीं करतीं. जिसकी बोली ज्यादा उसे टिकट मिल जाता है.

विनय कटियार जिन्हें प्रियंका गांधी सिर्फ सुंदरता के पैमाने पर दिखती हैं-

भाजपा के विनय कटियार को सिर्फ सुंदरता ही दिखती है उनके हिसाब से प्रियंका गांधी के प्रचार से कोई मतलब नहीं उनसे ज्यादा सुंदर महिलाएं हैं प्रचार के लिए.

शरद यादव जो वसुंधरा राजे और स्मृति ईरानी को बॉडी शेम करते हैं-

जनता दल यूनाइटेड के शरद यादव ने राजस्थान की मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे के लिए कहा था, 'उन्हें आराम दो, थक गई हैं, बहुत मोटी हो गई हैं. पहले पतली थीं, हमारे मध्यप्रदेश की बेटी थीं.' शरद यादव ने स्मृति ईरानी के लिए भी इसी तरह की बात बोली थी. संसद में उन्होंने स्मृति ईरानी को काली कहा था और जब उन्हें ईरानी ने टोंका कि वो महिलाओं के रंग की बात न करें तो शरह यादव ने भरी सभा में कहा था, 'मुझे पता है कि तुम क्या हो.' इस मामले में शरद यादव ने बहस भी शुरू करी थी कि हिंदुस्तान की अधिकतर महिलाएं सांवली ही हैं.

अखिलेश यादव जिन्हें गठबंधन के पहले मायावती हाथी ही दिखती थीं-

भले ही अभी सपा-बसपा गठबंधन हो गया हो, लेकिन अखिलेश यादव ने मायावती और उनके वजन के बारे में बहुत कुछ बोला है. एक रैली में कुछ साल पहले उन्होंने कहा था कि मायावती को इतनी जगह चाहिए तभी तो उनका चुनाव चिन्ह भी हाथी है.

सुरेंद्र नारायण सिंह जिन्हें मायावती के काले बालों से आपत्ती है और कहते हैं कि राहुल गांधी को सपना चौधरी से शादी कर लेनी चाहिए-

भाजपा विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह ने मायावती के लिए कहा था कि जो रोज़ खुद फेशियल करवाती है वो क्या हमारे नेता को शौकीन कहेगी. बाल पके हुए हैं और रंगीन करवाकर अपने को जवान मायावती जी कहलाती हैं. 60 साल की उम्र में भी बाल काले हैं. वो क्या कहेंगी कपड़ों के शौक के बारे में.

यही सुरेंद्र सिंह बोले हैं कि राहुल गांधी को सपना चौधरी से शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि सपना भी उसी पेशे से हैं जिस पेशे में सोनिया गांधी इटली में थीं. तो राहुल को भी अपनी परंपरा आगे बढ़ाते हुए सपना को अपना बना लेना चाहिए.

सज्जन सिंह वर्मा जिन्हें लगता है कि हेमा मालिनी के अलावा सब खुरदुरे चेहरे हैं भाजपा में-

भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि कांग्रेस चॉकलेटी चेहरों के कारण जीत पाने की कोशिश कर रही है. इसपर कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा ने कहा था कि भाजपा की बदकिस्मती है कि उनके पास सभी खुरदुरे चेहरे हैं. एक हेमा मालिनी है उसे ही पूरे भारत में कत्थक करवाकर वोट पाते हैं.

शत्रुघ्न सिन्हा जिन्हें लगता है #Metoo सिर्फ लोगों को बर्बाद करने के लिए है-

बचपन से सुनते आए हैं कि हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है. ये कहावत समय के साथ-साथ कई बार तोड़ी-मरोड़ी गई है. इसे सिन्हा ने भी अपनी सहूलियत के हिसाब से कह डाला. इवेंट में उन्होंने कहा कि, 'अब #Metoo का दौर है और अब ये कहने में कोई भी शर्म नहीं आनी चाहिए कि एक सफल आदमी को बर्बाद करने के पीछे भी एक महिला का ही हाथ होता है. सफल आदमी की मुश्किलों और तकलीफों के लिए अधिकतर महिलाएं ही जिम्मेदार रही हैं. कम से कम इस मूवमेंट के बाद तो यही दिखा है.'

'मैं अपने आप को खुशकिस्मत समझता हूं कि इतना सब कुछ करने के बाद भी मेरा नाम #Metoo में नहीं आया. इसलिए में अपनी पत्नी की बात सुनता हूं और कई बार उसकी आड़ भी लेता हूं. ताकि मैं लोगों को दिखा सकूं कि मैं एक खुशहाल इंसान हूं और जिंदगी सही चल रही है. मेरी पत्नी देवी है और मेरा सब कुछ है.'

पन्नालाल शाक्या जिनके मुताबिक अगर महिलाएं संस्कारी बच्चे नहीं पैदा कर सकतीं तो बांझ रहें-

हमेशा से ही अपने विवादित बयानबाजी को लेकर सुर्खियों में रहने वाले मध्य प्रदेश के गुना से भाजपा विधायक पन्नालाल शाक्य ने एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान अजीबोगरीब बयानबाज़ी की है. मंच से की गई बयानबाज़ी में पन्नालाल शाक्य ने महिलाओं को सुसंस्कृत बच्चे पैदा करने की नसीहत दे डाली. हालांकि विधायक के निशाने पर कांग्रेस का शासनकाल था लेकिन मुद्दे से वो भटक गए.

वैसे तो अगर इस लिस्ट को बढ़ाते जाएं तो न जाने कितने लोग इसमें शामिल हो जाएंगे और ये नेताओं की लिस्ट कम नहीं होगी, लेकिन इसमें दो नाम ऐसे भी हैं जिनके बारे में जानना आपके लिए जरूरी है. वो हैं नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी. किसी विधायक या सांसद का महिलाओं के बारे में गलत कहना तो हम कबसे सुनते आ रहे हैं, लेकिन जब वो नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी जैसे नेता हों तो?

नरेंद्र मोदी जिनके महिलाओं पर हमले कम नहीं-

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस तरह के विवादित बयान देने में कम नहीं हैं. नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने शशि थरूर के रिश्ते पर सवाल करते हुए सुनंदा पुष्कर पर निशाना साधा था. उस समय सुनंदा पुष्कर को 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड कहा गया था. इतना ही नहीं. प्रधानमंत्री मोदी ने दिसंबर 2018 में विधवाओं के लेकर जो टिप्पणी की थी वो बहुत ही अशोभनीय थी. एक रैली में नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'ये कांग्रेस की कौन सी विधवा थी जिसके खाते में रुपया जाता था?' ये नरेंद्र मोदी के कुछ सबसे अशोभनीय बयानों में से एक था. यहां यूपीए करप्शन और सोनिया गांधी को निशाना बनाया जा रहा था.

इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने बंगलादेश की पीएम शेख हसीना को लेकर भी कुछ बातें कहीं थीं. उन्होंने कहा था, 'एक महिला होने के बावजूद शेख हसीना आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करतीं.' इस कमेंट के बाद सोशल मीडिया पर #depsitebeingawoman ट्रेंड करने लगा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काफी कुछ सुनना पड़ा था.

राहुल गांधी भी पीछे नहीं हैं-

राहुल गांधी भी इस लिस्ट में पीछे नहीं हैं. हाल ही में राफेल मुद्दे में राहुल गांधी ने निर्मला सीतारमन पर इसी तरह की टिप्पणी की थी. राहुल ने कहा था कि, 'जनता की अदालत से 56 इंच की छाती वाला चौकीदार भाग गया और एक महिला से कहता है सीतारमन जी आप मेरी रक्षा कीजिए. मैं अपनी रक्षा नहीं कर पाऊंगा. आपने देखा 2.5 घंटे भी महिला रक्षा नहीं कर पाई.'

इस लिस्ट में ऐसे और कई सारे नेता शामिल हो सकते हैं जिन्होंने न सिर्फ महिलाओं पर अभद्र कमेंट किए हैं बल्कि उन विवादित बयानों को लेकर खुलेआम स्वीकार भी किया है. भारतीय राजनीति में हर तरह का नेता मिल जाएगा जो हर तब्के की महिला के बारे में कुछ न कुछ गलत कह चुका है. केरल के सुधाकरण से लेकर हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर और अनिल विज तक ऐसे कितने नेता हैं जिनके बारे में आप जानते हैं और आए दिन सुनते रहते हैं कि कुछ न कुछ गलत कहा है उन्होंने. भाजपा के साक्षी महाराज को ही ले लीजिए जो सिर्फ और सिर्फ अपने विवादों के कारण ही प्रसिद्ध हैं न कि अपने काम के कारण. वो तो चाहते हैं कि हिंदू महिलाएं कम से कम 4 बच्चे पैदा करें. भले ही उसे कैसे भी पालें, लेकिन हिंदू धर्म को बढ़ाएं. यही साक्षी महाराज रेप और मर्डर के भी आरोपी हैं जो न जाने कितने भारतीय नेता हैं.

महिलाओं को ऐसा समझा जाता है कि अगर महिला घर से बाहर निकली है तो वो गलत ही होगी. रेप को लेकर न जाने कितनी बार खराब कमेंट दिए गए हैं. पुद्दुचेरी का एक नेता कहता है कि किरण बेदी पुरुष हैं या महिला ये समझ नहीं आता, इस तरह के कमेंट क्या उस देश को शोभा देते हैं जहां देवी की पूजा होती है?

नारी को शक्ति का रूप मानने वाला देश इतना घिनौना चेहरा आखिर कैसे बर्दाश्त करता है. यही तो है न सिलेक्टिव विरोध जहां देश को चलाने वाले नेताओं को ही हम कुछ नहीं कह रहे. आखिर किसे वोट दें और क्यों?

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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