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Updated: 16 जून, 2020 11:20 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
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India-China face-off: भारत-चीन सीमा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार रात चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के गश्ती दल पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें हमारे एक अफसर सहित 20 सैनिक शहीद हो गए. लद्दाख के नजदीक गलवान घाटी (Galwan valley, Ladakh) में हुई इस झड़प ने दोनों के देशों के बीच तनाव को नए लेवल पर पहुंचा दिया है. दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देश क्या युद्ध के मैदान में उतर जाएंगे? इस सवाल का दबाव चीन से ज्यादा भारत पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल दागे जा रहे हैं. पूछा जा रहा है क्या भारत चुपचाप बैठा रहेगा, या चीन की इस हिमाकत का जवाब देगा.

भारत और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि दोनों ही देशों के बीच बातचीत का सिलसिला भी जारी है लेकिन ताजा घटनाक्रम बड़ी चिंता पैदा कर रहा है. एशिया या यूं कहें कि दुनिया की दो बड़े ताकतवर देशों के बीच सीमा पर ऐसा तनाव न सिर्फ एक दूसरे के लिए बल्कि दुनियाभर के लिए खतरनाक है. इस तनाव की कोई वजह साफ नहीं है. सीमा पर असल में क्या हो रहा है इसको लेकर सिर्फ और सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे हैं. सरकार का दावा था कि सीमा (Border) पर सबकुछ ठीक है, बातचीत भी सकारात्मक दौर में है. लेकिन इसी बीच ये खबर आ गई कि भारत के 20 सिपाही चीनी सैनिकों द्वारा शहीद कर दिए गए हैं. उधर दूसरी ओर चीन ने भी दावा किया कि चीनी सैनिक भी हताहत हुए हैं. दोनों ही ओर से यह भी साफ हो गया कि सीमा पर किसी भी तरह कि कोई गोलीबारी नहीं हुयी है. इन लोगों की जान हिंसात्मक झड़प के जरिए हुयी है. भारत और चीन की सीमा पर विवाद कोई नया नहीं है लेकिन इतना अधिक तनाव दशकों के बाद पैदा हुआ है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इतना तनाव किस बात को लेकर है.

China, India, PM Narendra Modi, Xi Jinping, Ladakh लद्दाख स्थित एलएसी पर चीन और भारतीय सैनिकों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है.

भारत और चीन के बीच तनाव की एक प्रमुख वजहों में से एक वजह अमेरिका है. अमेरिका और चीन के बीच बेहद तल्ख रिश्ते हैं. दोनों ही देश एक दूसरे को फूटी कौड़ी नहीं पसंद कर रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच इस वक्त रिश्ते बेहद अच्छे हैं. प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की दोस्ती किसी से भी छिपी नहीं है. चीन को यह दोस्ती कभी भी रास नहीं आयी. वह हमेशा चाहता है कि एशिया में उसकी ताकत को हिलाने वाला कोई न हो. भारत चीन से अपना रिश्ता अच्छा बनाए रखना चाहता है इसमें भी कोई शक नही है.

चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की भारत यात्रा भी आपको याद ही होगी. प्रधानमंत्री मोदी ने जिनपिंग को झूला झुलाने से लेकर सैर सपाटे भी कराए थे जिसके बाद लग रहा था कि भारत और चीन के रिश्ते अब दोस्ताना ही रहेंगे. चीन के रिश्ते सिर्फ भारत के साथ ही नहीं बिगड़े हैं बल्कि चीन के अधिकतर पड़ोसी देशों के साथ उसके रिश्ते ठीकठाक स्थिति में नही है.

चीन का एक ही मानना है कि वह अपने सभी पड़ोसी देशों में दखल देना चाहता है और ज़रा सा भी किसी की न-नुकुर को वह बर्दाश्त नहीं करता है और फिर वह उस देश की सीमा दखल देना शुरू कर देता है. हद तो तब हो गई जब चीन ने इंडोनेशिया के एक द्धीप पर अपना दावा ठोक दिया. यह द्धीप चीन की सीमा से हजारों किलोमीटर दूर स्थित है. इंडोनेशिया इस पूरे मसले को यूएन लेकर गया है.

चीन अपनी ताकत को हमेशा बढ़ते हुए देखना चाहता है और इसी मनमानी में वह अपने सभी पड़ोसी देशों पर अपनी दखल बनाए रखने के लिए हर हथकंडे अपनाता है. चीन ने कई देशों को कर्ज में लाद डाला है जिसका वह समय समय फायदा भी उठाता रहता है. चीन के पड़ोसी देश पाकिस्तान, श्रीलंका, मंयामार और इंडोनेशिया जैसे देश चीन के ही कर्जों में डूबे हुए हैं जिसकी वजह से चीन के खिलाफ वह कोई भी हरकत पर न तो आवाज उठा सकते हैं और न ही वह चीन के खिलाफ जा सकते हैं.

चीन एक चालबाज देश है और वह इस समय पूरी दुनिया की आंखो पर चढ़ा हुआ है. अधिकतर देश चीन को कोरोना वायरस का जिम्मेदार मानते हैं और मानते हैं कि चीन ने सही वक्त पर दुनिया को इस वायरस के बारे में सही जानकारी नहीं दी जिसकी वजह से आज हर देश कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहा है. चीन इस पूरे मसले से मुंह मोड़ना चाह रहा है.

पहले तो वह सभी देशों की मदद की बातें करता रहा लेकिन जब वह खराब क्वालिटी के सामानों पर घिरने लगा तो उसने अपने पड़ोसी देशों की सीमाओं पर तनाव की स्थिति पैदा करनी शुरू कर दी. ताईवान और भारत दोनों ही ओर उसका तनाव बढ़ा हुआ है इसी बीच जिनपिंग ने अपनी सेना को युध्द के लिए तैयार रहने को कह डाला.

यानी वह किसी तरह से अपने सिर आए इल्जामों से बचना चाहता है और इसीलिए वह तनाव को बढ़ावा देने का कार्य लगातार कर रहा है. अब भारत और चीन में कौन मजबूत है इसकी जानकारी के लिए आप गूगल करिए लेकिन भारत और चीन में बहुत फर्क है. चीन का जीडीपी लगभग 14 ट्रिलियन डॉलर है और भारत का 3 ट्रिलियन से भी कम.

भारत और चीन के बीच मतभेद कितने सुलझेंगे और किस तरह से शांति पैदा होगी यह तो आने वाले दिन में तय हो जाएगा लेकिन अब भारत को चीनी मसले के हल के लिए कमर कस लेनी चाहिए इसके लिए भारत को उन देशों से सीख लेने की ज़रूरत है जो चीन के इस मसले का हल ढ़ूंढ़ चुके हैं.

भारत की समझदारी इसी बात में है कि एशिया और दूसरे महाद्वीपों में जो देश चीन के खेमे में नहीं हैं, उनसे साझेदारियां बढ़ाए. जापान, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम जैसे देशों की राह पर भारत को भी चलना होगा. भारत को अब इस पूरे मसले को जड़ से खत्म करना होगा वरना सीमा पर यह तनाव हमेशा ही पैदा होता रहेगा.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

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