New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 21 अगस्त, 2020 09:17 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
  • Total Shares

भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध (India-China border standoff) मई 2020 से ही जारी है. 15 जून 2020 को ये तल्खियां और बढ़ गई थी. जब दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. हमारे देश के 20 बहादुर जवान शहीद हो गए. चीन का भी अच्छा-खासा नुकसान हुआ था. हालांकि उसने आज तक खुलकर अपना नुकसान स्वीकार नहीं किया है. लेकिन उसकी तिलमिलाहट बता रही है कि उसे नुकसान तो पहुंचा है. इस घटना के बाद पूरा देश चीन पर भड़क गया. लेकिन भारत एक शांतिप्रिय देश है. भारत ने इस पूरे विवाद को बातचीत के माध्यम से ही हल करने की बात कही. चीन भी बातचीत के ज़रिए ही हल निकालने की बात करता है. लेकिन चीन सिर्फ बात करता है. दोनों ही देशों के अधिकारियों के बीच अब तक पांच बार बातचीत हो चुकी है. लेकिन चीन इस बातचीत में हुए फैसले को अमल में नहीं लाता है. दोनों ही देशों के अधिकारियों के बीच घंटे भर की बातचीत होती है, फैसला होता है और फिर बैठक से उठते ही चीन मुकर जाता है.

भारत और चीन के बीच चल रहे इस तनाव पर दुनिया भर कि नज़र टिकी हुई है. दोनों ही देश विश्व में अपनी-अपनी साख रखते हैं. रिपोर्टों की मानें तो भारत और चीन के बीच तनाव अप्रैल के महीने से शुरू हो गया था. हालांकि तब भी एलऐसी पर तनाव को कम करने को लेकर बातचीत जारी थी. दोनों ही देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल ही रही थी कि 15 जून को दोनों के बीच हिंसक झड़प हो गई.

India, China, laddakh, Galwan Valley, Indian Armyचीन चाहे कितनी भी बातें क्यों न बना ले मगर जैसा उसका रवैया है शायद ही वो सुधरे

घटना के बाद आलाधिकारियों के साथ फिर से बैठकें हुई. 22 जून को चीन के मोलडो में, 30 जून और 14 जुलाई को चुशुल इलाके में भी बैठक हई. भारत ने बैठक में अप्रैल महीने से पहले वाली स्थिति को बरकरार रखने की शर्त रखी. दूसरी ओर चीन है जो यह कह रहा है कि वह तो वहीं है जहां वो था. दोनों के बीच मतभेद इसलिए हैं क्योंकि एलऐसी की रेखा को भारत अलग मानता है और चीन अलग. चीन इसी बात का फायदा उठाकर "दो कदम आगे और एक कदम पीछे" जाने की जुगत में लगा हुआ है.

जबकि भारत चाहता है अबतक जिस तरह से सीमा की सुरक्षा दोनों देश के सैनिक करते आए हैं वैसा ही हो. यही वजह है कि अब तक जितनी भी बैठके हुई हैं सभी बैठकों के संपन्न होने के बाद चीन निर्धारित बातों से मुकरता नज़र आया है. गोगरा और फिंगर-8 ये दोनों इलाके ऐसे हैं जहां चीन अभी भी आगे बढ़ा हूआ है. भारत चाहता है चीन सभी इलाकों में वहीं चला जाए जहां वह अप्रैल महीने में था.

दोनों ही देशों के बीच 5 बार वार्ता हो चुकी है लेकिन मामला सुलझने के बजाए वैसा ही उलझा हुआ है. चीन ने सीमा पर एक अच्छी खासी सेना तैनात कर रखी है. भारत ने भी अपनी सेना को बढ़ा दिया है. चीन है कि दोहरी नीति से बाज नहीं आ रहा है. चीन न सिर्फ खुद बल्कि अपने प्रोपगंडे के साथ नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों को भी भड़का रहा है और सीमा पर तनाव बढ़ाने का क्राय कर रहा है.

भारत की अंतराष्ट्रीय स्तर पर पकड़ को देखते हुए चीन बौखला गया है, वह चाहता है कि उसका कोई भी पड़ोसी देश इतना मजबूत न होने पाए. चीन हमेशा अपने आपको शक्तिशाली मानता आया है और उसकी नीति यही है कि वह हमेशा अपने पड़ोसी देशों को कमजोर देश के रूप में देखना चाहता है. चीन का भारतीय बाजारों पर जबरदस्त तरीके से कब्जा है.

भारत के लोग अब चीनी सामानों का बहिष्कार बड़े स्तर पर कर रहे हैं. खुद भारत सरकार भी चीन पर डिजिटल वार कर रही है. भारत ने चीन के कई मोबाईल ऐप बैन कर दिए जिसके बाद भी चीन सीमा पर तनाव को बढ़ाए हुए है और दूसरी तरफ चीन यह भी मानता है कि भारत का यह कड़ा रुख पूरी तरह से गलत है.

चीन चोरी और सीनाजोरी वाले फार्मूले पर बात करना चाहता है जबकि भारत वैश्विक स्तर पर मजबूत देश है वह चीन की इस दोगली नीति का विरोध जारी रखने वाला है. मौजूदा वक्त तक तनाव में नरमी आने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं लेकिन संभावना यही है कि भारत जल्द ही इस गतिरोध को खत्म कर शांति बनाने की कोशिश में कामयाब हो जाएगा.

ये भी पढ़ें -

Article 370 के खात्मे का एक साल पूरा हुआ, लेकिन शेहला राशिद का झूठ कायम है!

उमा भारती अयोध्या तो जाएंगी लेकिन पीएम मोदी से दूरी का मकसद कुछ और है

कांग्रेस के आपसी झगड़े में निशाने पर सोनिया गांधी हैं, मनमोहन सिंह तो कतई नहीं!

लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय