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Updated: 19 सितम्बर, 2019 03:23 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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ऐसा लग रहा है जैसे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री पद का पूरा दारोमदार इमरान खान पर ही आ गया हो. अव्वल तो काम का ज्यादातर बोझ फौज के कंधों पर हुआ करता था. ऐसा भी हो सकता है, फजीहत वाला पार्ट इमरान खान के हिस्से आ गया हो और ऐश वाला हिस्सा कमर जावेद बाजवा ने अपने खाते में रख लिया हो. मुजफ्फराबाद में रैली के बाद से ही इमरान खान लगातार अपने पसंदीदा जवानों से संवाद कर रहे हैं, लेकिन हर बार अलग अलग बातें सुनने को मिल रही हैं.

पहले तो पाकिस्तानी नौजवानों की रैली में इमरान खान ने भारत में घुसपैठ का पूरा प्लान ही सरेआम बता डाला था, लेकिन अब अगले मोड़ से यू-टर्न लेने को कह रहे हैं. अंदाज भी सड़कछाप ही है - 'सावधान! आगे अंधा मोड़ है', 'सावधान! आगे खतरनाक मोड़ है'

अब इमरान खान घूम घूम कर अपील करने लगे हैं - 'भाई! मेरे भाई, कश्मीर जाओ - लेकिन मेरे भाई जिहाद के लिए तो हरगिज नहीं जाना. प्लीज.' ऐसा भी नहीं कि राजनाथ सिंह के Tejas पर सवार होने के बाद इमरान खान ने ऐसी बात कही हो. वो तो रक्षा मंत्री के तेजस से उड़ान भरने की खबर आते ही पलटना शुरू कर दिये थे. दरअसल, हरियाणा की एक रैली में राजनाथ सिंह ने कह दिया था कि पाकिस्तान से बात तो होगी. निश्चित रूप से होगी - लेकिन अब बात सिर्फ PoK पर ही होगी.

इमरान खान अमेरिका से लेकर UN तक दौड़ लगा रहे हैं - लेकिन अभी तक तो कभी भी सुनवाई नहीं हो सकी है. ले देकर एक चीन है जो सबसे अच्छे दोस्त से भी अच्छे दोस्त का वादा निभा रहा है. वो भी कब तक कहना मुश्किल है. जब बिजनेस पर आता है तो दोस्ती भूल जाती है. दुनिया का उसूल है और चीन तो चीन है. यूरोपीय संघ की संसद ने कश्‍मीर मुद्दे पर पाकिस्‍तान को हरकतों से बाज आने को ही कह डाला है.

इमरान खान की नयी बंदिश - 'मत जाना कश्मीर प्यारे'

इमरान खान ने 'राग कश्मीर' नाम नहीं बदला है. राग के सारे वादी, संवादी और विवादी स्वर जस की तस रखे हुए हैं. सुर ही नहीं ताल में भी कोई तब्दीली नहीं की गयी लगती है - अगर कुछ बदला है तो बस बंदिश के शब्द. नये कम्पोजीशन में कश्मीर को लेकर इमरान खान ने नहीं हिदायतें पिरो दी हैं.

हाल की मुजफ्फराबाद रैली में पाकिस्तानी नौजवानों को अपने जोशीले भाषण में इमरान खान ने बताया कि हर सूरत में घुसपैठ करनी ही है - और जगह भी वही होगी लेकिन 'तारीख हम बताएंगे'.

imran khan says no to jihadसंसद से सड़क तक इमरान खान की फजीहत ही फजीहत!

लगता है एक के बाद एक सभी मंचों पर कश्मीर को लेकर मुंह की खाने के बाद इमरान खान मजबूरी में पलटी मार रहे हैं. असल में यूरोपीय संघ की संसद ने कश्‍मीर मुद्दे पर पाकिस्‍तान को बड़े ही सोफियाने तरीके से नसीहत दी है. यूरोपीय संघ ने नाम तो नहीं लेकिन जो कहा उसमें शक शुबहे की कहीं कोई गुंजाइश नहीं थी - 'भारत में हमला करने वाले आतंकी चांद से नहीं उतरते हैं. ये आतंकी भारत के पड़ोसी मुल्‍क से ही आते हैं.'

कश्मीर पर इमरान खान की लड़खड़ाती जबाव संभलने की बार बार कोशिश कर रही है. हालांकि, इमरान खान पूरी कोशिश कर रहे हैं कि पाकिस्तानी अवाम ये न सोचे कि वो मजबूरी में पीछे हट रहे हैं, ‘अगर पाकिस्तान से कोई जिहाद के लिए भारत जाएगा... तो वो कश्मीरियों के साथ नाइंसाफी करने वाला पहला शख्स होगा. वो कश्मीरियों का दुश्मन होगा.'

इमरान खान का UN प्लान

इमरान खान की हालत ऐसी हो रही है जैसे बाढ़ के वक्त कोई व्यक्ति कड़ी मशक्कत के बाद मुश्किलों से पार तो पा जाता है, लेकिन ऐसे टापू पर पहुंच जाता है जहां मदद की कोई उम्मीद दूर दूर तक दिखायी नहीं देती.

भारत के खिलाफ पाकिस्तानी मुहिम का पर्दाफाश होते ही दुनिया के ज्यादातर मुल्कों ने मुंह मोड़ना शुरू कर लिया है. भारत ने जबसे PoK वापस लेने की चर्चा शुरू की है, संसद से सड़क तक इमरान खान के लिए मुंह खोलना मुसीबत मोल लेना हो रहा है.

सरहद पर इमरान खान की रैली में भी नजारा कुछ ऐसा ही रहा. इमरान खान नौजवानों से अपील करते फिर रहे हैं कि वे घरों और स्कूलों से बाहर निकल कर कश्मीर के लोगों को सपोर्ट करें. मुजफ्फराबाद रैली में तो इमरान खान के खिलाफ 'गो-बैक' के नारे ही लगाये गये. बताते हैं कि विरोध करने वालों के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है.

रैली से पहले तो नारेबाजी और भी खतरनाक रही - 'नियाजी गो-बैक'. ऐसे नारे की वजह भी रही. इमरान खान का सरनेम नियाजी है. 'नियाजी' ऐसा शब्द है जो पाकिस्तान में अपमानजनक शक्ल अख्तियार कर चुका है. असल में 1071 की जंग में पाकिस्तानी फौज ने आमिर अब्दुल्ला खान निजायी की अगुवाई में ही भारत की सेना के सामने सरेंडर किया था.

इमरान खान के राजनीतिक विरोधी पहले से ही हमलाव थे, अब आक्रामक भी हो गये हैं. कराची को लेकर इमरान सरकार के फैसले से नाराज PPP नेता बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तान से सिंध के अलग हो जाने तक की धमकी दे चुके हैं. इमरान खान के बारे अपनी राय भी बिलावल भुट्टो ने साफ जाहिर कर दी है - 'इमरान खान को उनकी अवाम ने नहीं चुना है, बल्कि सेना ने पद पर बिठाया है - इमरान इलेक्टेड नहीं, सिलेक्टेड पीएम हैं.'

मुल्क के भीतर और बाहर चौतरफा हमले झेलते हुए इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र से उम्मीद नहीं छोड़ी है. इमरान खान 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले हैं. इमरान खान का दावा है कि यूएन में कश्मीर का मामला वो इतने जोरदार तरीके से उठाएंगे जैसे पहले कभी नहीं हुआ था.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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