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Updated: 30 मार्च, 2022 01:54 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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पाकिस्तान में एक बार फिर से तख्तापलट के हालात बनते दिखाई पड़ रहे हैं. दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पेश किया है. जिस पर नेशनल असेंबली में जल्द ही वोटिंग होनी है. सियासी संकट से घिरे इमरान खान अपनी सरकार को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश करने में जुटे हैं. हालांकि, इमरान खान की अपनी ही पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के करीब दो दर्जन सांसदों और उनकी सरकार को समर्थन देने वाले दलों के बगावती तेवर अख्तियार कर लेने से उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं. विपक्ष के दावों की मानें, तो इमरान खान सरकार अल्पमत में आ गई है.

वैसे, इमरान खान सरकार के तख्तापलट की ये कोशिश संवैधानिक नजर आ रही है. लेकिन, पाकिस्तान में ऐसी कोई भी कोशिश बिना पाकिस्तानी सेना की मर्जी के पूरी नहीं हो सकती है. क्योंकि, पाकिस्तान में सत्ता किसी की भी हो, लेकिन सरकार की बागडोर अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तानी सेना के हाथ में ही रहती है. पाकिस्तान में सरकारें भले ही जम्हूरियत यानी लोकतंत्र की बातें करती हों. लेकिन, पाकिस्तानी सेना के एजेंडे से जरा सा भी दाएं-बाएं होने पर वहां सरकार बदलने में देर नहीं लगती है. और, माना जा रहा है कि इमरान खान की सरकार आज जिस संकट में घिरी हुई है, उसके पीछे भी पाकिस्तानी सेना का ही हाथ है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पाकिस्तान में पीएम इमरान खान की विदाई लगभग तय मानी जा रही है.

वैसे, पाकिस्तान में जम्हूरियत को पाकिस्तानी सेना द्वारा पहली बार नहीं कुचला जा रहा है. बल्कि, इससे पहले भी पाकिस्तान में तख्तापलट कर सैन्य शासन (Military Rule in Pakistan) स्थापित किया गया है. लेकिन, नवाज शरीफ को हटाकर सैन्य शासन लगाने के बाद पाकिस्तानी सेना ने अब तक कई बार पाकिस्तान की सरकार बदली है. लेकिन, पाकिस्तानी सेना ने हर बार संवैधानिक तख्तापलट का सहारा लिया है. आइए जानते हैं कि पाकिस्तान में अब तक कितनी बार हुआ है तख्तापलट...

Imran Khan Qamar Javed Bajwaबीते साल फैज हमीद को ISI चीफ बनाए रखने को लेकर इमरान खान सीधे जनरल बाजवा से भिड़ गए थे.

फिरोज खान नून vs अयूब खान

1958 में पाकिस्‍तान में पहली बार सैन्य तख्‍तापलट हुआ. इस तख्तापलट में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति मेजर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को बर्खास्त कर दिया था. राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने तख्तापलट के बाद आर्मी कमांडर-इन-चीफ जनरल अयूब खान को चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्‍ट्रेटर नियुक्त किया था. लेकिन, जनरल अयूब खान ने कुछ ही दिनों बाद इस्कंदर मिर्जा को साइडलाइन करते हुए सत्ता अपने हाथों में ले ली थी. और, 1960 में जनरल अयूब खान ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था. पाकिस्तान की सत्ता पर जनरल अयूब खान का एक दशक तक कब्जा रहा.

अयूब खान vs याह्या खान

राष्ट्रपति रहने के दौरान 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मिली करारी हार के बाद जनरल अयूब खान की सत्ता पर पकड़ कमजोर पड़ने लगी थी. कहा जाता है कि अयूब खान के खिलाफ तख्तापलट को पाकिस्तान की पहली 'जनरल रानी' अकलीम अख्तर ने अंजाम दिया था. जनरल रानी के नाम से मशहूर अकलीम अख्तर ने ही पाकिस्तानी सेना के जनरल याह्या खान को नया चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्‍ट्रेटर बनने के लिए उकसाया था. जिसके बाद याह्या खान ने जनरल अयूब खान के खिलाफ बगावत कर पाकिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था. याह्या खान के सत्ता पर काबिज होने के बाद 1971 में पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया. बांग्लादेश के जन्म के बाद पाकिस्तान में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए कई आंदोलन हुए.

जुल्फिकार अली भुट्टो vs जिया उल हक

सत्ता जाती देख याह्या खान ने 1973 में मशहूर नेता जुल्फिकार अली भुट्टो को राष्ट्रपति और चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्‍ट्रेटर बना दिया था. हालांकि, बाद में जुल्फिकार अली भुट्टो लोकतांत्रिक तरीके से प्रधानमंत्री चुने गए. इस दौरान जुल्फिकार अली भुट्टो ने भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने की भरपूर कोशिश की. और, पाकिस्तानी सेना को यही बात रास नहीं आई. जुल्फिकार अली भुट्टो ने जिस जिया उल हक को पाकिस्तानी सेना का जनरल बनाया था. उसी जिया उल हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो का तख्तापलट किया. 4 जून 1977 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो को गिरफ्तार कर लिया गया. जिसे 'ऑपरेशन फेयर प्ले' के नाम दिया गया. सैन्य तानाशाह जिया उल हक जानता था कि जुल्फिकार अली भुट्टो को रास्ते से हटाए बिना उसका काम नहीं बनेगा. क्योंकि, पाकिस्तान में चुनाव होने की स्थिति में भुट्टो ही जीत हासिल करते. इसलिए जिया उल हक ने एक हत्या के मामले में जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी के फंदे पर लटकवा दिया. 1988 में जिया उल हक की मौत के बाद कई सरकारें बनी. लेकिन, सभी की स्थिति डांवाडोल रही.

नवाज शरीफ vs परवेज मुर्शरफ

1999 में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के नेता और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का सेना ने तख्तापलट किया था. नवाज शरीफ ने भी बहुत सोच-विचार के बाद परवेज मुशर्रफ को पाकिस्तानी सेना का अध्यक्ष बनाया था. लेकिन, 12 अक्टूबर, 1999 को परवेज मुशर्रफ नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के केस में गिरफ्तार कर सैन्य शासन लागू कर दिया. नवाज शरीफ ने उसी साल मुशर्रफ के कहने पर भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध छेड़ा था. तख्तापलट के बाद परवेज मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित किया. इसके साथ ही वो पाकिस्तानी सेना के अध्यक्ष भी बने रहे. 2008 में अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों के दबाव में परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान में चुनाव करवाए. लेकिन, इस चुनाव में बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) को जीत मिली. और, बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति बने. 2016 में परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान छोड़कर लंदन और दुबई में रह रहे हैं.

इमरान खान vs बाजवा

पाकिस्तान में एक बार फिर से राजनीतिक संकट गहरा गया है. और, इस बार पाकिस्तानी सेना के निशाने पर प्रधानमंत्री इमरान खान हैं. कहने को तो इमरान खान भी पाकिस्तानी सेना के ही पिट्ठू थे. क्योंकि, इमरान खान को सत्ता तक पहुंचाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने ही पर्दे के पीछे से उनके लिए समर्थन जुटाया था. हालांकि, बीते साल अक्टूबर में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के चीफ फैज हमीद को हटाने पर इमरान खान ने पाकिस्तानी सेना के जनरल कमर जावेद बाजवा से सीधा पंगा ले लिया था. जनरल कमर जावेद बाजवा को इमरान खान और आईएसआई चीफ फैज हमीद की नजदीकी बिल्कुल भी पसंद नहीं थी. जनरल बाजवा ने फैज हमीद को हटाने का फैसला लिया. तो, इमरान खान ने फैज हमीद को आईएसआई चीफ बनाए रखने की पैरवी की. जिसके चलते जनरल कमर जावेद बाजवा और इमरान खान आमने-सामने आ गए. हालांकि, बाद में इमरान पाकिस्तानी सेना के आगे झुक गए और बाजवा ने नदीम अंजुम को ISI का DG बना दिया. इसके बाद से ही इमरान खान और पाकिस्तानी सेना के बीच दूरी बढ़ना शुरू हो गई.

इसके इतर इमरान खान ने बीते साल ही इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक के खिलाफ पाकिस्तानी सेना से कड़ी कार्रवाई करने की गुजारिश की थी. लेकिन, सेना ने इसे ठुकरा दिया था. वहीं, पाकिस्तानी सेना के जनरल कमर जावेद बाजवा ने इमरान खान को विपक्षी नेताओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल न करने की भी ताकीद की थी. लेकिन, इमरान ने लगातार इस चेतावनी को नजरअंदाज किया. बता दें कि इमरान खान JUI-F के नेता मौलाना फजलुर रहमान (Maulana Fazlur Rehman) को डीजल कहकर चिढ़ाते रहे. हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी इमरान खान ने कई टिप्पणियां कीं. इमरान खान ने अपनी सरकार बचाने के लिए अमेरिका से लेकर यूरोपीय संघ को घेरने की कोशिश की. इससे इमरान अपने लिए समर्थन चाहे न जुटा पाए हों. लेकिन, इससे पाकिस्तानी सेना का गुस्सा जरूर बढ़ गया.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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